EPFO पेंशन के मामले में सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला

EFPO Update -  आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में ईपीएफओ पेंशन मामले को लेकर सुनवाई की गई है। जिसके बाद ईपीएफओ पेंशन मामले सुप्रीम कोर्ट ने ये बड़ा फैसला दिया है कि....

 

HR Breaking News, Digital Desk- ईपीएफओ की बढ़ी हुई पेंशन (pension) मामले में सुप्रीम कोर्ट (supreme court) की तीन न्यायाधीशों की पीठ विचार करेगी। दो न्यायाधीशों की पीठ ने अवमानना याचिका को भी सुनवाई के लिए तीन न्यायाधीशों की पीठ को भेज दिया।

 

 

कोर्ट ने कहा कि स्पष्टीकरण अर्जियों के तथ्य और अवमानना याचिका में उठाए गए मुद्दे एक दूसरे से मेल खाते हैं और दोनों में घालमेल (ओवरलैपिंग) है, इसलिए अवमानना याचिका (contempt petition) पर भी तीन न्यायाधीशों की पीठ को स्पष्टीकरण मांग अर्जियों के साथ सुनवाई करनी चाहिए।


कर्माचारी संघ ने दाखिल की थी अवमानना याचिका-
ये आदेश न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस और न्यायमूर्ति संजय कुमार की दो सदस्यीय पीठ ने कर्मचारी संघ नेशनल कन्फेडरेशन ऑफ रिटायरीज (Employees Union National Confederation of Retirees) और अन्य बनाम आरती अहूजा एवं अन्य के मामले में सुनवाई के दौरान दिए। संघ ने ईपीएफओ (epfo) पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवहेलना का आरोप लगाते हुए अवमानना याचिका दाखिल की है जो कि शुक्रवार को सुनवाई पर लगी थी।

कर्मचारी संघ ने ईपीएफओ की दलीलों का किया विरोध-

मामला जैसे ही सुनवाई पर आया तो ईपीएफओ (EPFO) की ओर से पेश वरिष्ठ वकील सीए सुंदरम ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन किया जा रहा है तो फिर इसमें अवमानना कैसे बनती है।

सुंदरम ने कहा कि अगर कोर्ट के आदेश के स्पष्टीकरण की बात है तो ठीक है। हम उस पर सुनवाई के लिए तैयार हैं और जवाब दाखिल करेंगे। लेकिन कर्मचारी संघ की ओर से पेश वरिष्ठ वकील गोपाल शंकर नारायण ने ईपीएफओ की दलीलों का विरोध किया।

तीन न्यायाधीशों की पीठ ही कर सकती है मामले की सुनवाई-
गोपाल शंकर नारायण (Gopal Shankar Narayan) ने कहा कि दोनों मामले अलग अलग हैं। यह मामला तीन न्यायाधीशों की पीठ को इसलिए भेजा गया है क्योंकि ईपीएफओ (EPFO) का बढ़ी पेंशन का विकल्प अपनाने का 4 नवंबर 2022 का फैसला तीन न्यायाधीशों की पीठ ने सुनाया था, इसलिए अब उस फैसले के स्पष्टीकरण की मांग पर भी तीन न्यायाधीशों की पीठ ही सुनवाई कर सकती है।

सुप्रीम कोर्ट (SUPREME COURT) के आदेश के बाद ईपीएफओ ने कर्मचारियों को बढ़ी पेंशन का विकल्प अपनाने का मौका तो दिया है, लेकिन कुछ पुराने दस्तावेज भी मांगे हैं जैसे कि 2014 का संशोधन आने के बाद क्या उन लोगों ने बढ़ी पेंशन का विकल्प अपनाया था और क्या ईपीएफओ ने उसे ठुकराया था दोनों के ही सबूत मांगे गए हैं।

ईपीएफओ का दस्तावेज मांगना ठीक नहीं: कर्मचारी-
कर्मचारियों का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले में ऐसा नहीं कहा गया है। उस फैसले में सभी कर्मचारियों को चार महीने का अतिरिक्त समय विकल्प अपनाने के लिए दिया गया है। ऐसे में ईपीएफओ का दस्तावेज मांगना ठीक नहीं है।