Delhi Metro और मोनोरेल में क्या है अंतर, जानिये मुंबई की मोनोरेल बनाने में कितने करोड़ हुए खर्च

Delhi Metro Vs Monorail : आजकल मेट्रो ट्रेन ने महानगरों की भीड़ को कम कर दिया है। मेट्रो ट्रेन के जरिये झट से लोग एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुंच जाते हैं। दिल्ली की मेट्रो ट्रेन (Delhi Metro Train) की तरह मुंबई की मोनोरेल भी है। दिल्ली मेट्रो और मुंबई की मोनोरेल के अंतर को अधिकतर लोग नहीं समझते। बहुत से लोग यह भी जानना चाहते हैं कि यह मोनोरेल (mumbai monorail) कितने करोड़ में बनी है। आइये जानते हैं इस बारे में विस्तार से खबर में-

 

HR Breaking News (Delhi Metro Train)। दिल्ली में मेट्रो ट्रेन की शुरुआत बहुत पहले हो चुकी है। इस ट्रेन की शुरुआत के बाद दिल्ली (delhi metro news) के अधिकतर इलाकों में लोगों का आवागमन बेहद आसान तो हुआ ही है, साथ ही सस्ते सफर की सुविधा के साथ भीड़भाड़ के इलाकों से गुजरने व जाम जैसी समस्या से भी छुटकारा मिला है। मुंबई की मोनोरेल (mumbai monorail detail) भी कुछ इसी नक्शेकदम पर बनाई गई है, जिसे बनाने में बड़ी लागत आई है। खबर में जानिये मुंबई की मोनोरेल को कितने करोड़ में बनाया गया और इस ट्रेन को बनाने के पीछे क्या मकसद रहा है।


इस कारण हो रही दोनों ट्रेनों में तुलना-


दिल्ली मेट्रो (delhi metro detail) से मुंबई की मोनोरेल कितनी अलग है और इसे कितने करोड़ में बनाया गया, ये सवाल बहुत से लोगों के मन में समाया है। बता दें कि मुंबई की मोनोरेल (metro monorail difference) में अक्सर कोई न कोई फॉल्ट आया ही रहता है। इसकी पावर सप्लाई कट होने से इसके कई घंटों तक खड़ी रहने की सूचनाएं भी आम हैं। इससे रेलयात्रियों को परेशानी का सामना करना पड़ता है। इन सभी कारणों के चलते लोग मुंबई की मोनोरेल की तुलना दिल्ली मेट्रो (Mumbai Monorail Vs Delhi Metro) से करके देखने लगे हैं।

दोनों ट्रेनों में यह है बड़ा अंतर -


मुंबई की मोनोरेल और दिल्ली मेट्रो में तकनीक (delhi metro technology) आदि को लेकर कई स्तर पर अंतर है। इसके अलावा इन ट्रेनों के ट्रैक और डिजाइन में भी अंतर है। मुंबई की मोनोरेल (mumbai ki monorail) सीमेंट और कंक्रीट से बनी पतली बीम पर दौड़ती है, जबकि दिल्ली मेट्रो अन्य ट्रेनों की तरह पटरी पर दौड़ती है। इस ट्रेन को करोड़ों की लागत से बनाया गया है। दिल्ली मेट्रो को भी मोटी पूंजी की खपत के बाद तैयार किया गया है। इन ट्रेनों की पटरियों पर भी काफी सारा बजट खर्च होता है।

बिजली सप्लाई का है बड़ा अंतर -


दिल्ली मेट्रो ट्रेन बिजली को ऊपर लगे तारों यानी ओवरहेड केबल (metro overhead cable) से कंज्यूम करती है। मोनोरेल में ऐसा नहीं है, यह  पतले बीम पर ही एक मेटल पट्टी से शू स्लाइड के जरिये बिजली प्राप्त करती है। ये पट्टी टूट गई या फिर इसमें कुछ खराबी आ गई तो मोनोरेल (monorail news) रुक जाती है। इसी तरह की घटनाएं कई बार सामने आ चुकी हैं। इस ट्रेन में घंटों तक यात्री फंसे रहते हैं। 


यात्री संख्या की क्षमता में अंतर-


मोनोरेल मेट्रो (monorail metro me antar) की अपेक्षा काफी छोटी होती है, इसकी क्षमता लगभग एक हजार यात्रियों के सफर करने की है। लेकिन दिल्ली मेट्रो में 8 कोच आमतौर पर जुड़े होते हैं। इसमें मोनोरेल (monorail length) से तीन गुना ज्यादा तक यात्री एक साथ एक बार में सफर कर सकते हैं। यानी मेट्रो की यात्री क्षमता 3 हजार तक है। 


दूरी तय करने में अंतर-


मोनोरेल जब कहीं रुक जाती है तो उसे ट्रैक (monorail ka track) से हटाना इतना आसान नहीं है। इसकी बजाय मेट्रो का आसानी से व जल्दी ट्रेक बदलाव किया जा सकता है। दिल्ली मेट्रो (delhi metro kyo khas h) देश की राजधानी दिल्ली के अधिकतर क्षेत्र को कवर करती है, जबकि मोनोरेल 20 किलोमीटर के दायरे में ही चलती है। 

दिल्ली मेट्रो इस मामले में भी है अलग-


दिल्ली मेट्रो की रफ्तार (delhi metro speed) पर स्टेशन पर ही ब्रेक लगते हैं, ये बीच राह में अक्सर खराब नहीं होती। इसका कारण बेहतर तकनीक, हैवी ओवरहेड केबल से बिजली सप्लाई, बेहतर शंटिंग बैकअप लाइन हैं। अगर ट्रेन को बिजली आपूर्ति करने वाली ओवरहेड केबल खराब हो भी जाए तो इसे जल्दी ठीक किया जा सकता है। ये सब तकनीक दिल्ली मेट्रो ट्रेन (delhi metro train news) को मुंबई की मोनोरेल से अलग करती हैं।