RBI- यूपीआई और डेबिट कार्ड से पेमेंट करने वालों को बड़ा झटका, एनईएफटी भी होगा महंगा


पहले जहां पर  भारतीय रिजर्व बैंक अपने ग्राहकों से एनईएफटी कराने पर कोई चार्ज नहीं लेता था। अब वहीं एनईएफटी चार्ज महंगा होने जा रहा हैं। आइए इस खबर के माध्यम से हम आपको बताते है कितना लग सकता एनईएफटी पर चार्ज।

 

HR Breaking News, Digital Desk- 

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने भुगतान प्रणाली के संबंध में जारी एक विचार पत्र में बैंक शाखाओं के जरिए होने वाले एनईएफटी (NEFT) लेन-देन पर प्रोसेसिंग शुल्क वसूले जाने का प्रस्ताव रखा है। एनईएफटी यानी नेशनल इलेक्ट्रॉनिक फंड ट्रांसफर, एक इलेक्ट्रॉनिक भुगतान प्रणाली है, जो पैसा भेजने की सुविधा प्रदान करती है। एनईएफटी द्वारा एक बैंक से दूसरे बैंक में पैसा ट्रान्सफर होता है।


25 रुपये तक का शुल्क- 

इस प्रस्ताव के मुताबिक दो लाख रुपये से ज्यादा की राशि के लेन-देन पर 25 रुपये तक का शुल्क देना पड़ सकता है। वर्तमान में भारतीय रिजर्व बैंक सदस्य बैंकों से एनईएफटी कराने पर कोई प्रोसेसिंग शुल्क नहीं वसूलता है। अभी आरबीआई ने बैंकों को बचत खाताधारकों से ऑनलाइन एनईएफटी कराने पर कोई शुल्क न लेने के लिए कहा है।


एनईएफटी सर्विस आरबीआई द्वारा संचालित है। नियमों के मुताबिक केंद्रीय बैंक एनईएफटी के लिए बैंकों से शुल्क वसूल सकता है। बीते बुधवार को आरबीआई ने बैंक की शाखाओं के जरिए एनईएफटी के लिए शुल्क वसूलने वाले समीक्षा पत्र को जारी किया था। इस राशि में टैक्स शामिल नहीं है। इसमें 10 हजार रुपये तक ढाई रुपये, एक लाख रुपये तक पांच रुपये, दो लाख रुपये तक 15 रुपये और दो लाख रुपये से ऊपर 25 रुपये शुल्क का प्रस्ताव रखा गया है।


यूपीआई लेन-देन पर भी शुल्क का विचार-

भुगतान के लिए यूपीआई (UPI) के इस्तेमाल पर भी शुल्क लगाने का विचार चल रहा है। इतना ही नहीं डेबिट कार्ड से भुगतान करना भी आपकी जेब पर भारी पड़ सकता है। दरअसल आरबीआई ने भुगतान प्रणाली शुल्कों पर एक समीक्षा पेपर जारी किया है। इसमें ऑनलाइन पेमेंट सभी माध्यम जैसे यूपीआई, क्रेडिट और डेबिट कार्ड आदि सभी तरह के पेमेंट सिस्टम मौजूद है।

फंड ट्रांसफर पर लगने वाली लागत वसूलने के लिए इस पर विचार क‍िया जा रहा है। आरबीआई ने शुल्क लगाने को लेकर लोगों से सलाह भी मांगी है। इस पेपर में यह भी सुझाव मांगा गया है कि यूपीआई में चार्ज एक निश्चित रेट पर लिया जाए या पैसे ट्रांसफर करने के हिसाब से लिया जाए। बता दें कि फिलहाल यूपीआई लेन-देन पर किसी तरह का शुल्क नहीं लिया जा रहा।


आरबीआई का तर्क-

रिजर्व बैंक के मुताबिक, इसमें सार्वजनिक रुपये लगे हैं। ऐसे में इसकी लागत निकालना जरूरी है। रिजर्व बैंक ने ये भी साफ क‍िया क‍ि रीयल टाइम ग्रॉस सेटलमेंट यानी आरटीजीएस में लगाया गया शुल्क कमाई का साधन नहीं है। यूपीआई पर होने वाले खर्च को ल‍िया जाएगा, जिससे यह सुविधा भव‍िष्‍य में बिना किसी बाधा के जारी रह सकें।

बैंक से जुड़े कुछ प्रमुख शुल्क-

सर्विस चार्ज यानी एटीएम से निकासी की अधिकतम सीमा के बाद
खाते में रकम न्यूनतम सीमा से कम होने पर
डेबिट कार्ड की सालाना फीस
चेक बुक इश्यू कराने या चेक बाउंस होने पर फीस


नगदी की निकासी और जमा पर भी राशि के हिसाब से शुल्क
डिमांड ड्राफ्ट बनवाने में शुल्क
अधिक पन्ने वाला चेकबुक लेने के लिए
होम बैंकिंग सर्विसेज शुल्क