महंगा होगा LOAN, जून में बढेगी ब्याज दर्ज, जानिये RBI का फैसला

RBI Rate Hike Expected आम आदमी को बढती महंगाई के बीच एक और जोरदार झटका सहन करने के लिए तैयार रहना होगा। RBI जल्द ब्याज दर बढाने जा रहा है। 

 

HR BREAKING NEWS (ब्यूरो)।  महंगाई की आंच से यदि आपको अभी से बेचैनी हो रही है, तो खबरदार हो जाइए। क्योंकि कीमतों में लगी ये आग आपको और भी झुलसा सकती है। रिजर्व बैंक (RBI) ने मई के पहले सप्ताह में रेपो रेट बढ़ाकर पहले ही होम और कार लोन ग्राहकों को झटका दे दिया है। 

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जानकारों  के मुताबिक बढ़ती महंगाई (Dearness) और रुपये की गिरावट (fall) को थामने के लिए रिजर्व बैंक एक बार फिर जून में ब्याज दरों में बढ़ोत्तरी कर सकता है। मतलब साफ है, सस्ते लोन (cheap loan) के दिन अब बीत चुके हैं और आने वाले दिनों में आपकी ईएमआई और बढ़ सकती है। 

RBI ने कहा सख्त फैसले लेने पड़ेंगे


खुदरा मुद्रास्फीति (retail inflation) के ताजा आंकड़ों ने RBI की सिरदर्दी और बढ़ा दी है। अप्रैल में मुद्रास्फीति सालाना आधार (inflation yearly basis)पर बढ़कर 7.79 प्रतिशत हो गई, जो आठ साल का सबसे ऊंचा स्तर है।


 महंगाई के इन आकड़ों में बड़ी भागीदारी खाने पीने के सामान की है। यह रिजर्व बैंक (Reserve Bank) के लक्ष्य की ऊपरी सीमा से लगातार चौथे महीने ऊपर रही है। मई में हुई मॉनेटरी पॉलिसी (monetary policy) की आपातकालीन बैठक में आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास (Shaktikanta Das) ने कहा था कि महंगाई अपने सामान्य स्तर को कई महीनों से पार कर रही है।​ जिसके लिए आगे आने वाले वक्त में भी सख्त फैसले लेने पड़ सकते हैं। वहीं सोमवार को रुपये में आई एतिहासिक गिरावट (historical fall) ने रिजर्व बैंक के डर को एक बार फिर जिंदा कर दिया है। 

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जून और अगस्त में ब्याज दरें (interest rates) बढ़नी तय?


भारतीय स्टेट बैंक (sbi) की रिसर्च रिपोर्ट इकोरैप के मुताबिक आने वाले दिनों में भी मौद्रिक नीति समीक्षा की जून और अगस्त की बैठक में ब्याज दरों (interest rates) में इजाफा किए जाने की आशंका है। रिपोर्ट में इस बात की भी संभावना जताई गई है कि इस वित्तवर्ष यानि 2023 के मार्च महीने के आखिर तक रेपो रेट 5.15 फीसदी के स्तर तक पहुंच सकता है।

इन कारणों से बढ़ सकती है ब्याज दरें (बेकाबू होती महंगाई) 


रिजर्व बैंक की मुख्य समस्या महंगाई को लेकर है। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास भी इसे लेकर चिंता जता चुके हैं। एसबीआई रिपोर्ट में बढ़ती महंगाई की वजहों को गिनाते हुए कहा गया है कि रूस-यूक्रेन युद्ध को देखते हुए तमाम खाने पीने की जरूरी चीजों के दाम बढ़ गए हैं। इससे रिजर्व बैंक भी दबाव में है।

RBI द्वारा ब्याज दरें बढ़ाकर महंगाई को काबू में लाने की बात कही है। लेकिन आरबीआई के कदम के बावजूद डॉलर का गिरना बताता है कि ब्याज दरें बढ़ाकर भी मर्ज का इलाज फिलहाल नहीं हो पाया है। 

महंगा क्रूड बिगाड़ रहा है बैलेंस शीट 


यूक्रेन का युद्ध शुरू हुए करीब 3 महीने होने को आ रहे हैं। रूसी संकट शुरू होने के बाद से क्रूड के दाम 100 डॉलर के पार हैं, जिससे भारत का चालू खाता घाटा चरम पर पहुंच गया है। बढ़ते आयात बिल (import bill) के कारण भारत के डॉलर भंडार में भी सेंध लग रही है। 


वहीं विदेशी निवेशकों (foreign investors) के तेजी से भारत से पलायन करने के चलते भी डॉलर के मुकाबले रुपया कमजोर हो रहा है। इस साल जनवरी से लेकर अब तक FII ने भारतीय शेयर बाजारों से 1.3 लाख करोड़ रुपये निकाल लिए हैं। इसी के चलते इसका विदेशी मुद्रा भंडार (foreign exchange reserves) 8 महीने के निचले स्तर तक गिरकर आज 600 अरब डॉलर से भी कम हो गया है। ऐसे में रिजर्व बैंक के लिए मौजूदा समय दुधारी तलवार पर चलने जैसी ही है। 


दुनियाभर में बढ़ती ब्याज दरें


ब्याज दरें सिर्फ भारत (INDIA) में ही नहीं बढ़ी हैं। रिजर्व बैंक के अलावा दुनिया के 21 देशों ने इस साल अप्रैल और मई महीने मे दरें बढ़ाई है। साथ ही इन 21 देशों में से 14 देशों ने दरों में आधा फीसदी या उससे ज्यादा का इजाफा किया है।

अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व (US central bank Federal Reserve) ने भी दो दशक में सबसे बड़ी बढ़त करते हुए ब्याज दरों में आधा फीसदी का इजाफा कर दिया है। इसके चलते भारतीय बाजार विदेशी निवेशकों के लिए ज्यादा लाभकारी नहीं रह गए हैं। ऐसे में इस मोर्चे को संभालना भी रिजर्व बैंक की ​ही जिम्मेदारी है।


गिरते रुपये ने बढ़ाई चिंता


रिजर्व बैंक (RBI) का मुख्य काम भारतीय रुपये की मजबूती को बरकरार रखना भी है। लेकिन हाल के​ दिनों में रिजर्व बैंक जहां एक ओर ग्रोथ और महंगाई के बीच सांस सीढ़ी के खेल में उलझा है, वहीं डॉलर में गिरावट ने उसकी पेशानी पर बल ला दिए हैं। बाजार के विशेषज्ञों के अनुसार रुपया 80 के स्तर को भी पार कर सकता है। इस गिरावट को थामने का दारोमदार भी रिजर्व बैंक (RBI) पर ही है। ऐसे में रिजर्व बैंक की जून की बैठक देश की ग्रोथ की दिशा तय करने के लिए बेहद महत्वपूर्ण होगी।