Budget 2024 : केंद्र सरकार ने दिमाग से निकाला इन कंपनियों के प्राइवेटाइजेशन का ख्याल, अब दिया सरकारी कंपनियों का मुनाफा सुधारने पर जोर
privatization of government companies : हाल ही में हुए चुनावो से पहले सरकार की ओर से कुछ कंपनियों में अपनी हिस्सेदारी बेचने की खबरे सामने आई थी। लेकिन अब फिर से सरकार ने इस मामले पर विचार किया है और इस बार सरकार ने अपने इस प्लान को बदल लिया है। सरकार अब अपना ध्यान इन कंपनियों के मुनाफे पर देने वाली (modi news) है। आइए जान लें इस बारे में विस्तार से...
HR Breaking News, Digital Desk- पिछली सरकार ने सरकारी कंपनियों के निजीकरण (privatization of government companies) के लिए महत्वाकांक्षी योजनाएं बनाई थी। उस वक्त ये माना जा रहा था कि तीसरी बार सरकार बनने पर इसे तेजी से आगे बढ़ाया जा सकता है। लेकिन अब सरकार ने इस योजना से पीछे हटने का संकेत दिया है। हाल ही में जारी एक रिपोर्ट में सरकारी सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि सरकार 200 से ज्यादा सरकारी कंपनियों का मुनाफा सुधारने की योजना पर काम कर रही है। यह इस बात का संकेत है कि मोदी सरकार प्राइवेटाइजेशन प्रोग्राम को ठंडे बस्ते में डालने की तैयारी कर रही है। मोदी सरकार ने 600 अरब डॉलर के सरकारी क्षेत्र के एक बड़े हिस्से के निजीकरण (Privatization of part of the public sector) के लिए साल 2021 एक महत्वाकांक्षी योजना की घोषणा की थी।
जानकारी के अनुसार अप्रैल-मई में आम चुनाव (General elections in April-May 2024) से पहले इस मोर्चे पर सरकार की रफ्तार धीमी पड़ गई थी। इन चुनावों में बीजेपी अपने दम पर बहुमत पाने में नाकाम रही और वह सरकार चलाने के लिए एनडीए गठबंधन (NDA alliance) के सहयोगियों पर निर्भर है।
वहीं सूत्रों ने बताया कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Finance Minister Nirmala Sitharaman) 23 जुलाई को पेश होने वाले बजट में नई योजना की घोषणा कर सकती है। इसमें कंपनियों के पास मौजूद बिना उपयोग वाली जमीन का एक बड़ा हिस्सा बेचना और अन्य एसेट्स का मॉनिटाइजेशन शामिल है। इसका मकसद चालू वित्तीय वर्ष में 24 अरब डॉलर जुटाना और इन्हें फिर से कंपनियों में निवेश करना शामिल है। प्रत्येक कंपनी के लिए अल्पकालिक लक्ष्यों के बजाय पांच साल का प्रदर्शन और उत्पादन लक्ष्य तय किया जाएगा।
जान लें क्या थी सरकार की योजना
बता दें कि इस बारे में वित्त मंत्रालय (Finance Ministry) ने टिप्पणी के अनुरोधों का जवाब नहीं दिया। चुनाव से पहले फरवरी में पेश किए गए अंतरिम बजट 2024 में सरकार ने एक दशक से अधिक समय में पहली बार हिस्सेदारी बिक्री पर कोई आंकड़ा नहीं दिया। एक अधिकारी ने कहा कि सरकार अंधाधुंध संपत्ति बिक्री से ध्यान हटाकर अब अपनी कंपनियों के आंतरिक मूल्य को बढ़ाने पर जोर दे रही है। सरकार अपनी मैज्योरिटी वाली कंपनियों में उत्तराधिकार योजना (succession planning in companies) भी शुरू करना चाहती है। साथ ही इन कंपनियों में 230,000 मैनजरों को सीनियर रोल्स के लिए तैयार करने के लिए ट्रेनिंग देने का भी प्रस्ताव है।
इनसे पहले साल 2021 में घोषित योजना के अनुसार दो बैंक, एक बीमा कंपनी और स्टील, ऊर्जा और दवा सेक्टर की सरकारी कंपनियों को बेचा जाना था। साथ ही घाटे में चल रही कंपनियों को बंद किया जाना था। लेकिन सरकार केवल कर्ज में डूबी एयर इंडिया को ही टाटा ग्रुप को बेचने (Sale of debt ridden Air India to Tata Group) में सफल रही। कुछ अन्य कंपनियों को बेचने की योजना को उसे वापस लेना पड़ा।
एलआईसी में सरकार ने केवल 3.5% हिस्सेदारी बेची (Government sold stake in LIC) गई है। साथ ही कुछ अन्य कंपनियों में शेयर बेचे गए हैं। इंडिया रेटिंग्स के मुख्य अर्थशास्त्री सुनील सिन्हा ने कहा कि बहुमत नहीं होने के कारण मोदी सरकार के लिए सरकारी कंपनियों की बिक्री को आगे बढ़ाना मुश्किल होगा।