Home Loan की EMI की टेंशन होगी खत्म, अपना लें ये तरीका
HR Breaking News - (Repo Rate Cut)। प्रॉपर्टी के बढ़ते रेटों की वजह से लोगों के लिए प्रॉपर्टी की खरीदी करना और भी ज्यादा मुश्किल होने वाला है। ऐसे में लोगों को प्रॉपर्टी की खरीदी करने के लिए लोन का सहरा लेना पड़ जाता है। हाल ही में आरबीआई ने रेपो रेट (Repo Rate) में 0.50 प्रतिशत तक की कटौती कर दी है। रेपो रेट में कटौती होने की वजह से लोगों के लिए लोन लेना काफी ज्यादा आसान हो रहा है क्योंकि इसकी वजह से ब्याज दरों को भी कम कर दिया गया है।
50 बेसिस पॉइंट की हुई कटौती-
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI Update) ने हाल ही में रेपो रेट में 50 बेसिस पॉइंट यानी 0.50 प्रतिशत तक की कटौती कर दी है। इसकी वजह से बैंकों की लोन देने की लागत कम हो रही है। इसका सीधा प्रभाव होम लोन लेने वालों को दिया जाने वाला है क्योंकि जब बैंक रेपो रेट (Repo rate cut) को कम करता है तो आमतौर पर होम लोन पर ब्याज दरें भी नीचे आ जाती है। इस स्थिति में अगर आपने घर की खरीदी की है। EMI कम करने का ये काफी शानदार मौका हो सकता है।
ब्याज दर में भी होगी गिरावट-
EMI घटाने का मतलब सिर्फ महीने की किस्त (monthly EMI) को कम करना ही नहीं होता है बल्कि इसकी वजह से आप काफी लंबे समय में लाखों रुपये तक के ब्याज दर की बचत कर सकते हैं। इसके लिए कुछ स्मार्ट फाइनेंशियल फैसलों को लेना काफी ज्यादा जरूरी होता है। इन फैसलों में सही वक्त पर लोन ट्रांसफर (Loan Transfer) करना, समय-समय पर पार्ट पेमेंट करना, EMI बढ़ाना या लोन की अवधि बढ़वाना देना शामिल किया जाता है।
ऐसे करें लोन ट्रांसफर-
अगर आपके मौजूदा लोन पर ब्याज दर (Loan Intrest rate) काफी ज्यादा है तो इस स्थिति में आप किसी दूसरे बैंक या फाइनेंशियल इंस्टिट्यूशन में पैसों को ट्रांसफर कर सकते हैं। ये एक समझदारी भरा कदम हो सकता है। कई बैंक इस समय 8.75 प्रतिशत से शुरू होने वाली कम दरों पर बैलेंस ट्रांसफर (Balance transfer) ऑफर कर रहे हैं। ट्रांसफर से पहले प्रोसेसिंग फीस और अन्य चार्जेस की भी जांच करना भी काफी ज्यादा जरूरी है।
पार्ट-पेमेंट करके चुका सकते हैं लोन-
अगर आपको बोनस, टैक्स रिफंड या सेविंग्स (saving tips) से एकमुश्त राशि दी जाती है तो इसका यूज होम लोन के हिस्से का भुगतान करने में करें। इसकी वजह से आपका मूलधन कम होगा और भविष्य की EMI भी घटेगी। फ्लोटिंग रेट वाले लोन में आमतौर पर प्रीपेमेंट पेनल्टी (Prepayment Penalty) नहीं लगाई जाती है।
लोन टैनयोर को बढ़ाकर कम करें कमाई-
अगर मौजूदा EMI आपकी मासिक आय (Monthly income) पर भारी पड़ रही है, तो बैंक से बात करके लोन की अवधि बढ़वाया जा सकता है। इसकी वजह से लोन पर लगने वाली EMI को भी कम कर दिया जाएगा। हालांकि आपको इस बात का ध्यान देना चाहिए कि इससे कुल ब्याज (Loan intrest rate) भुगतान बढ़ जाता है। आपको इस विकल्प का चयन तब करना चाहिए जब कैश फ्लो की दिक्कत हो।
EMI को बढ़ाने पर करें विचार-
अगर आपकी इनकम ज्यादा है या फिर भविष्य में रेगुलर इनकम ग्रोथ (Regular Income Growth) के आसार जताए जा रहे हैं तो EMI की राशि थोड़ी बढ़ाना एक शानदार विकल्प हो सकता है। इसकी वजह से लोन जल्दी खत्म हो जाएगा। वहीं कुल ब्याज भी कम देना पड़ेगा।
EMI प्लान को भी होगा कम-
कुछ बैंक स्टेप-अप EMI प्लान को भी ऑफर करते हैं। इसमें शुरुआत में EMI कम हो जाती है। होती है और समय के साथ धीरे-धीरे बढ़ती है। यह योजना (Loan schemes) उन लोगों के लिए फायदेमंद होती है जिन्हें शुरुआत में सीमित आय होती है लेकिन भविष्य में इनकम ग्रोथ की उम्मीद जताई जा रही है।