Income Tax : टैक्सपेयर्स को मिली बड़ी राहत, अब इतने साल पुराने मामले नहीं खोल पाएगा इनकम टैक्स विभाग

Income Tax Department : इनकम टैक्स विभाग को कर व्यवस्था बनाए रखने के लिए कई तरह की कार्रवाई करने का भी अधिकार है। लेकिन अब कोर्ट के एक फैसले से जहां टैक्सपेयर्स (Taxpayers news) को बड़ी राहत मिली है, वहीं इनकम टैक्स विभाग पर लगाम कसी गई है। इस महत्वपूर्ण निर्णय के तहत विभाग अब 10 साल पुराने टैक्स मामलों को फिर से खोल नहीं पाएगा। अब टैक्सपेयर्स को पुराने मामलों को लेकर चिंता नहीं रहेगी। कर विभाग (income tax new update) को अब ऐसे पुराने मामलों में नया दावा करने का अधिकार नहीं होगा, हालांकि इसमें कुछ शर्तों को भी शामिल किया गया है।

 

Hr Breaking News - (Income tax notice) : वित्तीय निगरानी से जुड़े आयकर विभाग (Income Tax Department), केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड और प्रवर्तन निदेशालय जैसे विभाग ऐसे व्यक्तियों पर निगरानी रखते हैं, जो अपने कर संबंधी कर्तव्यों में चूक करते हैं या गलत तरीके से पैसा और कमाई छुपाते हैं।

ये एजेंसियां और विभाग उन लोगों की जांच करती हैं जिनकी आय और खर्च में कोई मेल नहीं होता, इस तरह का संदेह होने पर आयकर अधिकारी व टीमें जांच करने के लिए पुराने रिकॉर्ड को खंगालने (IT old records checking rule)लगती हैं। कोर्ट ने ऐसे मामले पर ही टैक्सपेयर्स को राहत देते हुए एक अहम निर्णय दिया है, जिसमें कोर्ट ने यह स्पष्ट किया है कि क्या किसी टैक्सपेयर्स के पुराने मामले फिर से खोले जा सकते हैं।


50 लाख से ज्यादा पर री-असेसमेंट का कानून लागू -


हाल ही में एक अदालत के फैसले से टैक्स पे (taxpayers news) करने वालों को बड़ी राहत मिली है। एक केस के अनुसार इनकम टैक्स विभाग पुराने मामलों की जांच कर रहा था और नोटिस भेजे जा रहे थे। अदालत ने कहा कि अब तीन साल से पुराने और 50 लाख रुपये से कम वाले मामलों में फिर से जांच नहीं की जा सकती।

इसका मतलब है कि विभाग अब इन पुराने मामलों पर कार्रवाई नहीं कर सकता। लेकिन अगर किसी व्यक्ति की आय 50 लाख रुपये से ज्यादा है, तो विभाग री-असेसमेंट (Re-assessment new rules) के उस मामले को फिर से खोल सकता है। इस निर्णय से टैक्स पे करने वालों को बड़ी राहत मिली है क्योंकि अब उन्हें अधिकतर पुराने मामलों में दोबार से जांच आदि को लेकर परेशान नहीं होना पड़ेगा।

गंभीर मामलों को लेकर क्या है नियम-


बजट 2021-22 में नया कर कानून लागू किया गया था, जिसमें री-असेसमेंट (re-assessment Income Tax rules) की समय सीमा को 6 साल से घटाकर 3 साल कर दिया गया। 50 लाख रुपये से अधिक आय या गंभीर धोखाधड़ी के मामलों में यह अवधि 10 साल तक हो सकती है। पहले आयकर विभाग के अधिकारी कभी भी पुराने मामलों को खोलकर नोटिस (IT notice new rules) भेज सकते थे। 

इस धारा के तहत होगी कार्रवाई  -


यह निर्णय उन लोगों के लिए राहत की बात है जो आयकर विभाग से नोटिस प्राप्त करते थे। दिल्ली हाईकोर्ट (delhi high court) ने आयकर विभाग द्वारा नोटिस (Notice by Income Tax Department) भेजने की समय सीमा को ध्यान में रखते हुए एक अहम फैसला सुनाया है। इसके तहत विभाग अब समयसीमा के भीतर ही मामलों को फिर से खोलने के लिए नोटिस जारी कर सकता है। इससे करदाताओं को सुनिश्चितता मिलेगी कि विभाग नियमों में धारा 148 के तहत ही कार्रवाई करेगा और उन्हें अनावश्यक परेशानी का सामना नहीं करना पड़ेगा।


क्या है याचिकाकर्ताओं का कहना -


याचिकाकर्ताओं का मानना था कि ऐसे मामलों में जहां आय 50 लाख रुपये से कम हो, वहां धारा 149 (1) के खंड (ए) के तहत तीन साल की समय सीमा लागू होनी चाहिए। वे कहते हैं कि केवल 50 लाख रुपये से अधिक आय वाले मामलों में 10 साल की सीमा लागू की जानी चाहिए।

इसके विपरीत, आयकर अधिकारियों ने सुप्रीम कोर्ट के एक निर्णय और सीबीडीटी (Central Board of Direct Taxes) द्वारा जारी किए गए एक सर्कुलर का हवाला देते हुए कहा कि इस तरह के नोटिस वैध हैं। अधिकारियों का तर्क था कि आशीष अग्रवाल के मामले में दिए गए सुप्रीम कोर्ट के फैसले के आधार पर केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड द्वारा जारी एक नोटिस की वैधता सुनिश्चित होती है। इसके बावजूद याचिकाकर्ताओं को कोर्ट की ओर से राहत प्रदान की गई।


ट्रैवल बैक इन टाइम सिद्धांत पर कोर्ट की टिप्पणी -


दिल्ली हाई कोर्ट का हाल ही का निर्णय उन करदाताओं के लिए राहत देने वाला है, जो पुनः मूल्यांकन प्रक्रिया का सामना कर रहे थे। कोर्ट ने सीबीडीटी के 'ट्रैवल बैक इन टाइम' (Travel back in time) सिद्धांत को गलत ठहराया है, जो समय सीमा के पीछे जाने की बात करता था। इस निर्णय से री-असेसमेंट कार्रवाई (rule for re-assessment action) का सामना कर रहे लोगों सहित उन व्यक्तियों को भी फायदा होगा, जिन्होंने कोर्ट में याचिका नहीं दायर की थी। 

वित्त मंत्री के बयान का भी दिया हवाला-


दिल्ली हाई कोर्ट ने वित्त विधेयक, 2021 और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Finance minister Nirmala Sitaraman) के बयान के आधार पर यह स्पष्ट किया कि कारोबार करने में आसानी के लिए पुनः मूल्यांकन की समय सीमा को पहले के 6 साल से घटाकर 3 साल कर दिया गया है। यह बदलाव करदाताओं के लिए एक सकारात्मक कदम है, जो भविष्य में समयबद्ध और पारदर्शी प्रक्रिया की उम्मीद कर सकते हैं।