HDFC की इस स्कीम में अब नहीं कर पाएंगे निवेश, क्या पुराने इंवेस्टर्स पर भी पड़ेगा असर

HDFC - एचडीएफसी बैंक की म्यूचुअल फंड कंपनी ने अपनी एक स्कीम में नए लोगों का निवेश स्वीकार करने से मना कर दिया है। ऐसे में अब सवाल ये है कि क्या इसका असर स्कीम के पुराने इंवेस्टर्स पर भी पड़ने जा रहा है? हालांकि कई ब्रोकरेज प्लेटफॉर्म पर लोगों को अभी से ही इस स्कीम के लिए नए रजिस्ट्रेशन करने में दिक्कत आ रही है....

 

HR Breaking News, Digital Desk-  एचडीएफसी ग्रुप की म्यूचुअल फंड कंपनी ने ऐलान किया है कि वह 22 जुलाई से अपनी एक स्कीम में किसी भी नए इंवेस्टर्स का पैसा स्वीकार नहीं करेगी. यहां तक कि सिस्टमेटिक इंवेस्टमेंट प्लान (SIP) के जरिए निवेश करने वाले इंवेस्टर्स भी अब इस स्कीम का लाभ नहीं उठा पाएंगे. आखिर कंपनी ने ऐसा क्यों किया है और क्या इसका स्कीम के मौजूदा इंवेस्टर्स पर असर होगा?

एचडीएफसी म्यूचुअल फंड का कहना है कि 22 जुलाई से वह अपने डिफेंस फंड के लिए एसआईपी के नए रजिस्ट्रेशंस स्वीकार करना बंद कर देगी. हालांकि कई ब्रोकरेज प्लेटफॉर्म पर लोगों को अभी से ही इस स्कीम के लिए नए रजिस्ट्रेशन करने में दिक्कत आ रही है.

क्या पुराने इंवेस्टर्स पर पड़ेगा असर?

एचडीएफसी का कहना है कि 22 जुलाई के बाद डिफेंस फंड में सिर्फ उसके मौजूदा एसआईपी इंवेस्टर्स या सिस्टेमैटिक ट्रांसफर प्लान (STP) वाले इंवेस्टर्स का निवेश ही स्वीकार किया जाएगा. कंपनी ने पिछले साल जून में ये स्कीम लॉन्च की थी और इसके कुछ समय बाद ही उसने लमसम रूट से निवेश स्वीकार करना बंद कर दिया था.

पहली बार बंद हुआ SIP रूट-

आम तौर पर म्यूचुअल फंड (mutual fund) हाउस समय-समय पर अपनी कई स्कीम में नए पैसे लगाने पर हॉल्ट लगा देते हैं. कई बार इसकी वजह नए पैसे को उसी सेक्टर में इंवेस्ट करने का स्कोप कम होना होती है. कई बार अन्य वजहों से भी म्यूचुअल फंड हाउस ऐसा करते हैं. हाल में कई स्मॉलकैप फंड पर भी नए निवेश स्वीकार करने को लेकर भी इस तरह के प्रतिबंध लगाए गए हैं. हालांकि ये पहली बार है जब एसआईपी रूट पर रोक लगाई गई है.

डिफेंस फंड ने दिया इतना रिटर्न-

एचडीएफसी डिफेंस फंड के पास करीब 3,000 करोड़ रुपए का कॉर्पस है. पिछले एक साल में बेस्ट रिटर्न देने वाले फंड्स में ये टॉप पर रहा है. इसने एक साल में करीब 144 प्रतिशत का रिटर्न दिया है. इस फंड का पैसा रक्षा क्षेत्र से जुड़ी कंपनियों में लगाया जाता है.

बीते कुछ सालों में डिफेंस सेक्टर के शेयर्स ने जबरदस्त रिटर्न दिया है. इस मामले में भारत सरकार ने भी अपनी नीति बदली है. अब सरकार का फोकस रक्षा सामान के इंपोर्ट से ज्यादा एक्सपोर्ट पर है.