OPS : कर्मचारियों की पुरानी पेंशन योजना पर नीति आयोग की तरफ ये आया अहम अपडेट
HR Breaking News, Digital Desk- पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) की बहाली की मांग के बीच नीति आयोग के उपाध्यक्ष ने बड़ा बयान दिया है। नीति आयोग के उपाध्यक्ष सुमन बेरी ने इसे चिंता की बात बताया। उन्होंने कहा कि इससे भविष्य के करदाताओं पर बोझ पड़ेगा। इस वक्त भारत को राजकोषीय स्थिति को बेहतर करने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। दरअसल, कुछ राज्य लगातार पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) की बहाली की मांग कर रहे हैं।
समाचार एजेंसी पीटीआई को दिए साक्षात्कार में बेरी ने कहा कि पुरानी पेंशन योजना के फिर शुरू होने को लेकर मुझे थोड़ी चिंता है। मेरे विचार में यह चिंता का विषय है, क्योंकि इसका भार मौजूदा करदाताओं पर नहीं, बल्कि भावी करदाताओं और नागरिकों पर पड़ेगा।
राजनीतिक दलों को दी हिदायत-
बेरी ने कहा कि राजनीतिक दलों को अनुशासन का पालन करना चाहिए। हम सभी भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि का लक्ष्य लेकर आगे बढ़ रहे हैं। भारत को एक विकसित अर्थव्यवस्था बनाने के लिए केंद्र और राज्य सरकारों को मिलकर काम करना होगा।
इन राज्यों ने किया वादा-
दरअसल, कांग्रेस शासित राज्य राजस्थान और छत्तीसगढ़ ने ओपीएस के क्रियान्वयन का निर्णय पहले ही ले लिया है। भाजपा शासित हिमाचल प्रदेश ने वादा किया है कि सत्ता में आने पर वह इस योजना को बहाल करेगी। झारखंड ने ओपीएस शुरू करने का फैसला किया और आम आदमी पार्टी शासित पंजाब ने भी इस योजना के पुन: क्रियान्वयन को हाल में मंजूरी दी है।
राज्यों के कर्ज को रिजर्व बैंक ने सीमित किया -
उन्होंने बताया कि राज्यों के कर्ज को रिजर्व बैंक ने प्रभावी तरीके से सीमित कर दिया है, इसलिए राज्यों की वजह से आर्थिक स्थिरता को कोई खतरा नहीं है। बेरी ने कहा कि अगले दो वर्ष में वित्तीय मजबूती के जरिए हमें निजी क्षेत्र के लिए जगह बनाना शुरू करना होगा।
क्या है OPS?
ओपीएस के तहत पेंशन की पूरी राशि सरकार देती थी। इस योजना को राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार ने एक अप्रैल 2004 से बंद कर दिया था। नई पेंशन योजना के तहत कर्मचारी अपने मूल वेतन का 10 प्रतिशत हिस्सा पेंशन के लिए देते हैं, जबकि राज्य सरकार इसमें 14 फीसदी का योगदान देती है।
नीति आयोग के कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री ने कही यह बात-
वहीं, केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने नीति आयोग और परमाणु ऊर्जा विभाग द्वारा आयोजित एक कार्यशाला में कहा कि भारत 300 मेगावॉट तक बिजली उत्पादन की क्षमता वाले छोटे परमाणु रिएक्टर विकसित करने के लिए कदम उठा रहा है। इसका मकसद स्वच्छ ऊर्जा को अपनाने की दिशा में आगे बढ़ना है।