Posting के बाद IAS को सिर्फ एक अदमी ही कर सकता है निलंबित, पावर से सैलरी तक सब कुछ जानिए
HR Breaking News : नई दिल्ली : जैसा कि आप जानते हैं हर साल लाखों बच्चे IAS और IPS बनने के लिए आते हैं। इसमें टॉप पर रहने वालों को IAS and IPS बनने पर भी खूब बात होती है. 1 साल की ट्रेनिंग के बाद ये सफल अभ्यर्थी फील्ड में काम भी करने लगते हैं, लेकिन खबर यहीं तक सिमट कर रही जाती है. हम में से अधिकतर लोग आईएएस और आईपीएस शब्द खूब सुनते हैं, इनके रुतबे को भी जानते हैं, लेकिन इनसे जुड़ी कुछ बातें ऐसी होती हैं जिनकी जानकारी हर किसी को नहीं होती है. इसमें सबसे प्रमुख है इनके काम. आज हम आपको बताएंगे कि आईएएस के जिम्मे कौन-कौन से काम होते हैं.
जानिए कैसे होती है IAS और IPS की पोस्टिंग
ias civil service का सर्वोच्च पद होता है. ट्रेनिंग के बाद आईएएस को उनके कैडर में भेजा जाता है और वहां उन्हें किसी विशेष क्षेत्र या विभाग का चार्ज सौंपा जाता है. ias officer को पहली पोस्टिंग सब डिविजनल मैजिस्ट्रेट के रूप में मिलती है. इसके बाद उन्हें डीएम और उपायुक्त के पोस्टस पर तैनात किया जाता है. केंद्र व राज्य सचिवालय के पदों पर भी IAS अधिकारी ही नियुक्त किए जाते हैं. वहां ये अफसर PSU प्रमुख के रूप में काम करते हैं. आईएएस अफसर डिस्ट्रिक्ट लेवल पर काम करने के अलावा एक कैबिनेट सचिव के साथ-साथ संयुक्त सचिव, उपसचिव और अवर सचिव के रूप में भी काम करता है.
जानिए IAS को मिलने वाले पद
ये भी जानें : UPSC : नौकरी छोड़ी कई बार फेल हुए आखिर में इस तरह बन गए IAS
एक आईएएस अफसर को SDO, SDM, joint collector, मुख्य विकास अधिकारी (CDO), डीएम, डीसी, डिप्टी कमिश्नर, विभागीय आयुक्त, सदस्य बोर्ड ऑफ राजस्व व राजस्व बोर्ड के अध्यक्ष जैसे पद मिल सकते हैं. आईएएस की तैनाती अनुभव के आधार पर केंद्र में भी हो सकती है.
जानिए क्या हैं काम और पावर
ये भी पढ़ें : UPSC : हिंदी मीडियम में पढ़ने वाली ने रचा इतिहास, पढ़िए IAS गरिमा अग्रवाल कहानी
ias officer को राजस्व से सम्बंधित कार्य करने होते हैं, जैसे राजस्व का संग्रह आदि. उसके जिम्मे जिले में कानून और व्यवस्था को बनाए रखना, एक कार्यकारी मैजिस्ट्रेट के रूप में कार्य करना, मुख्य विकास अधिकारी (सीडीओ) या जिला विकास आयुक्त के रूप में कार्य करना, जिले में राज्य सरकार और केंद्र सरकार की नीतियों को प्रभावी ढंग से लागू करवाने, नीतियों की निगरानी के लिए औचक निरीक्षण करने, सरकारी नीति बनाने में संयुक्त सचिव, उप सचिव के रूप में सलाह देने और नीतियों को अंतिम आकार देने का काम भी करना होता है.
IAS जब डीएम के रोल में होता है तो उसके पास जिले के सभी विभाग की जिम्मेदारी होती है. वह डीएम के रूप में पुलिस विभाग के साथ साथ अन्य विभागों का भी मुखिया होता है. जिले में निषेधाज्ञा, धारा 144 व लॉ एंड आर्डर से जुड़े सभी निर्णय वही लेता है. भीड़ पर कार्रवाई करने या फायरिंग जैसे आर्डर भी डीएम दे सकता है. डीएम को जिले में अगर किसी कार्य में कोई लापरवाही दिखती है तो वह कर्मचारियों को निलंबित भी कर सकता है उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज करा सकता है. वहीं आईएएस के निलंबन की शक्ति केवल राष्ट्रपति के पास होती है. अन्य कोई भी यह एक्शन नहीं ले सकता.