Success Story : जानिए कितना संघर्ष भरा रहा बालकृष्ण का कार धोने से लेकर करोड़ों की कंपनी बनाने तक का सफर

कहते हैं सफलता मेहनत और लगन के अलावा किसी की मोहताज नहीं होती। और ये पंक्ति आंध्र प्रदेश के बालकृष्ण पर बिल्कुल सटीक बैठती है। आइए जानते हैं इनकी पूरी कहानी- 
 

HR Breaking News (ब्यूरो) : बालकृष्ण का जन्म आंध्र प्रदेश के चित्तूर जिले में गांव शंकरयालपेटा में हुआ। उनके पिता एक किसान थे और मां घर पर सिलाई के अलावा स्कूल में शिक्षक थीं। उनका दूध का भी बिजनेस था। बालकृष्ण पढ़ने में ज्यादा होशियार नहीं थे। वह छह बार मैथ्स में फेल हुए। किसी तरह अपनी स्कूली शिक्षा पूरी की।

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ऑटोमोबाइल में किया डिप्लोमा

स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद बालकृष्ण नेल्लोर में ऑटोमोबाइल में डिप्लोमा किया। उन्होंने फैसला किया कि वे अधिक समय बर्बाद नहीं करेंगे। जब वह डिप्लोमा कर रहा था, तो उसके माता-पिता मुश्किल से उसकी मेस की फीस भर सकते थे। बालकृष्ण नहीं चाहते थे कि उनकी मेहनत बेकार जाए।

उन्होंने टेलीफोन बूथ में 300 रुपये प्रति महीने के लिए काम भी किया। वहीं 74% के साथ परीक्षा पास की और अपने कॉलेज के दूसरे टॉपर रहे। बालकृष्ण अपने परिवार की आर्थिक मदद करना चाहते थे। इसलिए उन्होंने नौकरी की तलाश शुरू कर दी। उन्होंने मां से एक हजार रुपए लिए। वह बेंगलुरु के आसपास जॉब सर्च करने लगे।

कार धोने का किया काम

बालकृष्ण नौकरी की तलाश में बेंगलुरु आ गए। कई ऑटोमोबाइल कंपनियों में नौकरी के लिए आवेदन किया, लेकिन कहीं सफलता नहीं मिली। आखिर में उन्होंने कारों की धुलाई का काम शुरू कर दिया। जिसके लिए 500 रुपए सैलरी मिलती थी। किसी बाद आगे मार्केटिग एक्जीक्यूटिव के तौर पर 14 साल तक काम किया।

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पीएफ पैसे का किया इस्तेमाल


वहीं काम के लोड़ के कारण बालकृष्ण ने नौकरी छोड़ दी। साल 2010 में पीएफ के 1.27 लाख रुपए से एक्वापोट नाम की कंपनी शुरू की। उन्होंने सिर्फ अपने दिल की सुनी। शुरुआत में कम लोगों के साथ काम करना शुरू किया। वह खुद पंपों की मरम्मत के लिए जाते थे। लोगों से उनके संबंध काफी अच्छे थे। जल्द ही उनका ग्राहक आधार बढ़ने लगा और उन्होंने एक थोक व्यवसाय शुरू किया। उन्होंने मार्केटिंग पर बहुत मेहनत की।

टी-शर्ट, ब्रोशर जैसी चीजें बांटना शुरू कर दिया। आखिर में उनकी मेहनत रंग लाई। उनका उत्पाद एक्वापोट देश के शीर्ष 20 वाटर प्यूरीफायर में अपना नाम बनाने में कामयाब रहा। आज उनकी कंपनी के उत्पाद पूरे देश में उपयोग किए जाते हैं। उनका कारोबार 25 करोड़ रुपये तक हो गया है।