Success Story- दो बच्चों की मां, घर का सारा करना पड़ता था काम फिर भी बन गई अफसर, जानिए इनकी कहानी
 

आज हम बात कर रहे है एक ऐसी महिला की जिसने पर्दे के भीतर रहने की विचारधारा को तोड़कर रख दिया है। तब्बू खातून आज एक मिसाल बन गई हैं। दो बच्चों का साथ और घर का सारा काम कर कैसे बनी ये महिला अफसर। आइए जानते है इनके संघर्ष की कहानी। 
 
 

HR Breaking News, Digital Desk- ग्रामीण परिवेश में मुस्लिम महिलाओं को पर्दे के भीतर रहने की विचारधारा को तोड़कर तब्बू खातून एक मिसाल बन गई हैं. उनके हौसले और कुछ करने की तमन्ना ने सभी चुनौतियों को आड़े हाथ लिया और सकारात्मक सोच व परिवार के सहयोग से धोबवालीया गांव की बेटी ने बीपीएससी में पहली बार में ही सफलता पाई. तब्बू खान ने इस परीक्षा में पास होकर गांव की युवा पीढ़ी को एक सीख भी दी है. 

गोपालगंज जिले के माझा प्रखंड के धोबवलीया गांव के हबीबुल रहमान की बेटी तब्बू खातून ने कम संसाधन व दो बच्चों की मां की जिम्मेदारी निभाते हुए बीपीएससी की परीक्षा में पहले प्रयास में ही सफलता हासिल की है. तब्बू के सफलता मिलते ही पूरे गांव और परिवार में खुशी की लहर है. सभी एक-दूसरे को मिठाइयां खिलाकर खुशियां मनाते हुए नजर आ रहे हैं. साथ ही अपनी सफलता पर तब्बू और उसके पति फूले नहीं समा रहे हैं. 


कहते हैं कि जब मंजिल तय हो तो किसी भी मुश्किल परिस्थितियों से गुजरने के लिए आप तैयार रहते हैं . धोबवलीया गांव निवासी हबीबुल रहमान की बेटी तब्बू ने कुछ ऐसा ही कर दिखाया है. तब्बू की शादी पूर्वी चंपारण निवासी जाहिद हुसैन से हुई थीं. जाहिद रेलवे में गुड्स गार्ड में नौकरी करते हैं. तब्बू खातून के पति ने भी बीपीएससी की परीक्षा दी थी लेकिन वे सफल नहीं हो सके.

वहीं उनकी पत्नी तब्बू खातून ने सफलता हासिल की. तब्बू खातून ने कम संसाधन और दो बच्चों की मां की जिम्मेदारी निभाते हुए बीपीएससी की परीक्षा में सफलता पाई है. तब्बू अब बिहार में जिला आपूर्ति पदधिकारी बन गई हैं. तब्बू के गांव और परिवार में अभी तक कोई बीपीएससी की परीक्षा उतीर्ण करके अधिकारी नही बना है जिससे पूरे गांव में खुशी की लहर है.  


तब्बू खातून ने अपने परिवार की जरूरतों को देखते हुए अपनी तैयारी के लिए समय निकाला. उन्होंने अपनी शुरुआती पढ़ाई गांव के ही राजकीय मकतब मध्य विद्यालय धोबवलिया तथा उच्च शिक्षा कमला राय कॉलेज गोपालगंज से पूरी की है.  बीपीएससी की परीक्षा में पहली बार शामिल हुई और पहले ही प्रयास में उन्होंने सफलता हासिल कर ली. परिजनों का कहना है किं तब्बू बचपन से ही प्रतिभावान थी.  

परिवार के लोगों को पहले ही विश्वास था कि एक न एक दिन तब्बू परिवार का नाम रौशन करेगी.  इस दौरान तब्बू खातून ने कहा कि सकरात्मक सोच और परिवार के सहयोग के कारण ही ये सफलता मिली है. इस सफलता का सारा श्रेय शौहर समेत पूरे परिवार का है जिसने मेरी पढ़ाई में मेरी सहयोग किया है. तब्बू खातून ने कहा कि बिहार और भारत का शिक्षा का संरक्षण बहुत ही पिछड़ा हुआ है, साथ ही उन्होंने कहा कि जागरूक नागरिक होने के नाते संविधान के बारे में जानने का अवसर मिला. 


 पढ़ाई के दौरान मुझे लगा कि महिलाओं का अधिकार है , लेकिन मिल नहीं पाता है या यूं कहें कि अधिकार होते हुए भी हम अधिकार के प्रति सजग नहीं होते हैं. इस अवधारणा के साथ मैंने सफल होने के लिए कड़ी मेहनत की ताकि सफलता के बाद ही मैं समाज के लिए कुछ कर पाऊंगी साथ ही साथ महिलाओं के आवाज बन सकती हूं. तब्बू ने कहा कि मेरे गांव समेत घर मे अभी कोई इस परीक्षा में सफल नही हुआ है. अब शायद इसमें सफल होकर एक प्रेरणा बन सकूं. वैसे तो हमारी सफलता के पीछे हर किसी  का सहयोग रहा है लेकिन पति के सहयोग के बिना कुछ नहीं होता. पति ने मुझ में चेतना जगाने का काम किया है. 


वही तब्बू खातून के पति जाहिद हुसेन से जब बात की गई तो उन्होंने कहा कि  मैने भी बीपीएससी की परीक्षा दी थी, लेकिन सफल नही हो सका. लेकिन मेरी पत्नी ने वह कर दिया जिसे मैंने नही किया. मेरी असफलता में ही सफलता छुपी हुई थी. शुरूआत से ही मुझे पूरा विश्वास था कि एक न एक दिन यह सफल जरूर होगी.