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Success Story- मां से ट्यूशन पढ़कर की एग्जाम की तैयारी, बेहद गरीबी में पला शख्स ऐसे बना IAS

वैसे तो आपने सैकड़ों सफलता की कहानियां पढ़ी होंगी। लेकिन आज हम आपको एक ऐसी कहानी बताने जा रहे है जिसमें अपनी मां से ही ट्यूशन पढ़कर एग्जाम की तैयारी करने वाला लड़का आज कैसे बना आईएएस। आइए जानते है मां-बेटा दोनों की सफलता के पिछे की कहानी।  

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HR Breaking News, Digital Desk- दोस्तों, यूं तो आपने सैकड़ों सफलता की कहानियां पढ़ी होंगी। लाखों लोग ऐसे हैं जो जमीन से उठकर आज आसमान के सितारे बन गए हैं। गरीबी से जूझकर वो सपनों को साकार कर बैठे।  ऐसे एक शख्स के बारे में आज हम आपको बताने वाले हैं। महाराष्ट्र के एक छोटे से गांव यवतमाल के अज़हरूद्दीन काजी आज भले अफसर की कुर्सी पर बैठे हैं।

लेकिन उनका यहां तक का सफर बेहद मुश्किल रहा। उनकी यूपीएससी जर्नी तो संघर्ष से भरी थी ही साथ ही उनका पारिवारिक जीवन भी कठिन रहा। उनका जन्म एक बहुत ही गरीब परिवार में हुआ जहां उनके पिताजी टैक्सी चलाते थे और घर के एकमात्र अर्निंग मेम्बर थे। उनकी मां ने उन्हें पढ़ाया है। सरकारी स्कूल से पढ़कर निकला ये शख्स कड़ी मेहनत से अफसर बन गया। पर कैसे आइए जानते हैं उनकी सफलता की इस कहानी में-  

अज़हरूद्दीन काजी की माता जी हाउस वाइफ थी और पढ़ाई का शौक रखती थी। अज़हरूद्दीन घर के सबसे बड़े बेटे हैं। उनसे छोटे उनके तीन भाई और हैं यानी कुल चार भाई और माता-पिता से मिलकर बना छः लोगों का यह परिवार है। उनकी माता जी की काफी उम्र में ही शादी हो गई थी इसलिए वे अपनी पढ़ाई पूरी नहीं कर पाईं।

हालांकि उन्होंने अपने इस सपने को बच्चों के साथ पूरा किया और सबकी पढ़ाई का जिम्मा खुद उठाया। यह मजबूरी भी थी। दरअसल परिवार के पास इतना पैसा ही नहीं था कि बच्चों को औपचारिक शिक्षा दिलायी जा सके। अज़हरूद्दीन और बाकी तीनों भाइयों की शुरुआती शिक्षा यवतमाल में ही साधारण सरकारी हिंदी मीडियम स्कूल से हुई।

मां ने पढ़ाया घर में-

एक इंटरव्यू में अज़हरूद्दीन बताते हैं कि उनकी मां ने चारो बच्चों को क्लास दस तक पढ़ाया क्योंकि किसी कोचिंग या ट्यूशन के पैसे उनके पास नहीं थे। आगे चलकर अज़हरूद्दीन ने कॉमर्स विषय चुना और इसी से ग्रेजुएशन पूरा किया। इस दौरान वे एक प्राइवेट जॉब भी कर रहे थे।

बावजूद इसके दिन पर दिन घर के आर्थिक हालात और खराब हो रहे थे और अज़हरूद्दीन के भाइयों की पढ़ाई खतरे में पड़ रही थी। इसी बीच साल 2010 में उन्होंने दिल्ली जाकर यूपीएससी की तैयारी का मन बनाया। इस क्षेत्र में जाने के पीछे कारण था, किसी कार्यक्रम में हुई एक आईपीएस अधिकारी से मुलाकात जिससे वे बहुत प्रभावित हुए।

उनके पास दिल्ली जाने तक के पैसे नहीं थे। वे जैसे-तैसे टिकट लेकर खड़े-खड़े ट्रेन का सफर करते दिल्ली पहुंचे और वहां की एक फ्री कोचिंग का फॉर्म भरा जो यूपीएससी एस्पिरेंट्स को मुफ्त में तैयारी करवाती थी। यहां उनका सेलेक्शन हो गया और उन्होंने यूपीएससी परीक्षा का पहला अटेम्पट दिया।

दो प्रयासों में हुए असफल-

अज़हरूद्दीन ने साल 2010 और 2011 में दो अटेम्पट्स दिए पर दोनों में असफल हुए। यह दौर उनके लिए भयंकर आर्थिक संकट का भी था। हताश अज़हरूद्दीन ने सोचा कि शायद वे इस क्षेत्र के लिए नहीं बने हैं। भाइयों की पढ़ाई भी रुक रही थी और उस समय के हालात देखते हुए उन्होंने कोई और नौकरी करने की योजना बनाई।

इस प्रकार उनका एक सरकारी बैंक में पीओ के पद पर चयन हो गया और वे नौकरी करने लगे। अज़हरूद्दीन ने यहां सात साल काम किया। इस दौरान उनके घर के हालात भी सुधरे और भाइयों की पढ़ाई भी पूरी हो गई।

यही वो दौर था जब वे प्रमोशन पर प्रमोशन पाकर अपनी बैंक की नौकरी में एक्सेल कर रहे थे। हालांकि उनके मन में अभी भी कहीं सिविल सेवा का सपना पल रहा था। उन्होंने नौकरी के साथ तौयारी की कोशिश की पर नहीं कर पाए। अंततः उन्होंने अपनी जमी-जमाई सरकारी नौकरी छोड़ दी जहां वे ब्रांच मैनेजर के पद पर थे और दोबारा दिल्ली गए यूपीएससी परीक्षा की तैयारी करने। उनके इस निर्णय को बहुत लोगों ने बेवकूफी करार दिया पर अज़हरूद्दीन आगे चलकर पछताना नहीं चाहते थे।

 सात साल बाद दिया तीसरा अटेम्पट-

पढ़ाई से नाता तोड़े अज़हरूद्दीन को अब सात साल से ज्यादा हो रहे थे पर उन्होंने हार नहीं मानी। एक साल तैयारी करने के बाद फिर तीसरा अटेम्पट दिया जिसमें साक्षात्कार राउंड तक पहुंचे पर सेलेक्ट नहीं हुए। अगले साल 2019 में उन्होंने फिर कोशिश की और इस साल उनका सेलेक्शन हो गया। इसी के साथ वे 2020 बैच के आईएएस बने। इस पद के साथ वे अपने गांव और ऐसे ही दूसरे इलाकों के लिए कुछ करना चाहते हैं जो अत्यंत पिछड़े हैं और जहां सुविधाओं का बहुत अभाव है।

इस दौरान अज़हरूद्दीन ने कोई कोचिंग नहीं ली और पूरी तैयारी सेल्फ स्टडी से ही की। बीच-बीच में वे निराश हुए और ये ख्याल भी आया कि कहीं गलत निर्णय तो नहीं हो गया पर उन्होंने बार-बार खुद को संभाला और सही दिशा में प्रयास करते रहे।

अज़हरूद्दीन की सलाह-

अज़हरूद्दीन दूसरे कैंडिडेट्स को यही सलाह देते हैं कि अपने बैकग्राउंड या आर्थिक स्थिति वगैरह को देखकर कभी पीछे हटने की जरूरत नहीं है। अगर आपके इरादे मजबूत हैं तो ये कभी आपकी सफलता में रोड़ा नहीं बन सकते। कड़ी मेहनत, निरंतरता और धैर्य से एक एवरेज स्टूडेंट भी यह परीक्षा पास कर सकता है।

अज़हरूद्दीन कहते हैं कि बैंक की नौकरी के दौरान जब यूपीएससी का रिजल्ट आता था और उनके दोस्त सेलेक्ट हो जाते थे तो वे सोचते थे कि उनकी जिंदगी उन्हें प्रयास करने का भी मौका नहीं दे रही है लेकिन एक समय आया जब उन्होंने रिस्क लिया और आगे बढ़ें। वे कहते हैं रिस्क लें लेकिन कैलकुलेटिव। अपने सपने को ऐसे न जाने दें। पूरे मन से उसे पाने की कोशिश करेंगे तो सफल जरूर होंगे।