Success Story: जूती बनाने वाले के बेटे व गरीब परिवार की बेटी ने क्रैक किया नीट, बनेंगे डॉक्टर
HR Breaking News, Digital Desk- देश की बहुप्रतीक्षित नीट परीक्षा के नतीजे घोषित होने के बाद कई ऐसी कहानियां सामने आई है, जो कि प्ररेणादायक और संघर्षभरी है. ऐसी ही दो कहानियां है. बाड़मेर जिले के सिवाना उपखण्ड मुख्यालय की जहां जूती बनाने वाले के बेटे ने नीट क्रैक किया है.
इनके अलावा दलित समुदाय की बेटी ने विपरीत परिस्थितियों के बावजूद सफलता के झण्डे गाड़े हैं. कहते हैं एक पिता के लिए अपनी बेटी की सफलता से बढ़कर कुछ नहीं होता है और वह सफलता तब कुछ और ज्यादा मायने रख जाती है, जब पिता अनपढ़ हो और बेटी देश की सबसे बड़ी परीक्षा को क्रैक कर डॉक्टर बनने की राह पर हो. कहानी सरीखी की नजर आने वाली यह हकीकत है.
पश्चिमी राजस्थान के एक छोटे से गांव पादरू की जहां की रहने वाली बाला मेघवाल ने नीट की परीक्षा न केवल क्रैक की है, बल्कि वह सिवाना उपखंड में मेघवाल समाज की तरफ से बनने वाली पहली महिला डॉक्टर है. भारत-पाकिस्तान सीमा पर बसे बाड़मेर के पादरू में अपनी शुरुआती पढ़ाई करने के बाद अपने छोटे से गांव पादरू में 12वीं कक्षा में विज्ञान संकाय नहीं होने के चलते वह अपने गांव से 171 किलोमीटर दूर बाड़मेर जिला मुख्यालय पर 11वीं और 12वीं करने पहुंची. उसके बाद अपने घर से सैकड़ों किलोमीटर दूर सीकर चली गई. वहां पर रहते हुए उसने हर रोज 8 से 10 घंटे पढ़ाई की और हाल ही में आए नीट के परिणामों में उसने कैटेगरी रैंकिंग में पूरे भारत में 2195 स्थान बनाया है.
इनका यह कहना-
खेती किसानी से जुड़े बाला मेघवाल के पिताजी सांवला राम बताते हैं कि वह तो पढ़ नहीं पाए. क्योंकि उनके बचपन में न केवल पढ़ाई का माहौल था बल्कि लोग सभी के सभी खेतीबाड़ी से जुड़े थे. ऐसे में वह और उसका परिवार भी खेती बाड़ी से जुड़ गया लेकिन अब जमाना अनपढ़ों का नहीं पढ़े लिखे लोगों का है. बाला मेघवाल ने बताया कि कभी भी एक असफलता से खुद को और खुद के कदम को मत रोको क्योंकि बार-बार किए गए प्रयास सही मायने में सफलता तक पहुंचाते हैं.
वहीं सिवाना उपखण्ड मुख्यालय पर रहने वाले रमेश कुमार महिलावास में जूती बनाने का काम करते है. रमेश कुमार के बेटे महेंद्र कुमार ने डॉक्टर बनने का सपना पाला तो पिता ने जूती बनाकर बेचने के रुपयों से महेंद्र की पढ़ाई करवाई. उसके पिता के पास कोचिंग के लिए रुपये नही थे तो महेंद्र ने घर पर बैठकर ही 8-10 घण्टे लगातार पढाई की. इसी की बदौलत महेंद्र ने नीट क्रैक करने में सफलता हासिल की है. महेंद्र कुमार ने नीट में ऑल इंडिया 45449वी रैंक हासिल की है.
10वीं के बाद देखा डॉक्टर बनने का सपना-
महेंद्र ने बताया कि पिता जूती बनाने का काम करते है. 10वीं के बाद डॉक्टर बनने का सपना देखा तो पापा ने बखूबी साथ दिया और अब डॉक्टर बनने का सपना पूरा हुआ है. बाड़मेर के छोटे से गांव की इस दलित समुदाय की इन प्रतिभावों ने सही मायने में वह कर दिखाया है.
जिसके लिए अत्याधुनिक सुविधाएं और चकाचौंध वाली जिंदगी होने के बावजूद भी लोग नहीं कर पाते. अब बाला ना केवल डॉक्टरी की पढ़ाई कर एक काबिल डॉक्टर बनेगी साथ ही आने वाले दिनों में कई बेटियों के लिए प्रेरणा का पुंज बनी नजर आएगी.