Success Story- ये तीन गांव दे चुके हैं 80 से अधिक IAS-PCS अधिकारी, जानिए क्या है ऐसी खास बात

हमारे देश में कई ऐसे गांव हैं जहां के लोग बिना सुविधाओं के उपलब्ध हुए भी बड़े कारनामे कर रहे हैं. इसके बावजूद किसी गांव से एक भी आईएएस और पीसीएस अधिकारी हो जाना उस पूरे क्षेत्र के लिए गर्व की बात होती है. आज हम आपको अपनी खबर में यूपी कुछ ऐसे गांवों के बारे में बताएंगे जिन्हें आईएएस और पीसीएस की फैक्ट्री कहा जा सकता हैं. आइए जानते है इन गांवों की पूरी कहानी।  
 

HR Breaking News, Digital Desk- किसी गांव और परिवार में एक भी प्रशासनिक अधिकारी हो जाने पर पूछे क्षेत्र के लिए यह गर्व और सम्मान का विषय हो जाता है. लेकिन उत्तर प्रदेश के कई गांव और परिवार ऐसे हैं जहां के लगभग प्रत्येक परिवार में आईएएस, आईपीएस या पीसीएस अधिकारी हैं.

उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले का माधोपट्‌टी गांव, प्रतापगढ़ जिले का इटौरी गांव और संभल जिले के औरंगपुर सिलैटा गांव का नाम इसी कड़ी में आता है. जौनपुर जिले का माधोपट्‌टी गांव तो आईएएस/पीसीएस अधिकारियों के गांव के नाम से ही मशहूर है. इस गांव के प्रत्येक घर में कम से कम एक आईएएस या पीसीएस अधिकारी मिल जाएगा.

75 में से 47 घर में आईएएस और आईपीएस ऑफिसर-


जौनपुर जिले के माधोपट्‌टी गांव में कुल करीब 75 घर हैं. जिसमें से 47 घर में आईएएस और आईपीएस अधिकारी हैं. बताते हैं कि इस गांव से पहले आईएएस 1952 में इंदू प्रकाश सिंह बने थे. वे फ्रांस सहित कई देशों में भारत के राजदूत रहे. इस गांव के नाम एक रिकॉर्ड यह भी है कि एक ही परिवार के चार भाइयों ने आईएएस परीक्षा पास किया था.

प्रतापगढ़ के इटौरी गांव में एक परिवार के 4 लोग आईएएस-आईपीएस-


उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिले का छोटा सा गांव इटौरी भी देश को सिविल सेवा अधिकारी देने में बड़ा नाम रखता है. इस गांव के एक ही परिवार के चार सगे भाई-बहन आईएएस और आईपीएस अधिकारी हैं. इनमें तीन IAS और 1 IPS हैं. ये ऑफिसर गांव के पेश से बैंक मैनेजर अनिल मिश्र के बेटे और बेटियां हैं. इसमें दो बेटे और दो बेटियां हैं.


सबसे बड़ी बेटी क्षमा मिश्रा, दूसरे नंबर पर योगेश, तीसरे नंबर बेटी माधवी और चौथे नंबर पर लोकेश मिश्र हैं. सबसे पहले योगेश ने 2013 में यूपीएससी सिविल परीक्षा पास की IAS बने, जिसके बाद 2015 में माधवी मिश्रा भी IAS बनीं. वहीं जून 2016 में क्षमा मिश्रा का IPS में सेलेक्शन हो गया, जबकि सबसे छोटे बेटे लोकेश भी IAS बन गए.

संभल जिले का गांव औरंगपुर सिलैटा-


उत्तर प्रदेश के संभल जिले का एक गांव है औरंगपुर सिलैटा. इस गांव ने अब तक करीब 31 आईएएस और आईपीएस अधिकारी दिए हैं. औरंगपुर सिलैटा गांव की आबादी करीब तीन हजार है. आजादी से पहले इस गांव के हरबख्श सिंह पीसीएस अधिकारी बने थे. इसके बाद से अब तक कुल 31 आईपीएस और पीसीएस अधिकारी बने चुके हैं.

इस गांव का शायद ही ऐसा कोई परिवार हो जिसका कोई सदस्य सरकारी नौकरी में न हो. तीन हजार की आबादी वाले इस गांव में 12 शिक्षण संस्थान हैं- एक इंटर कॉलेज, दो जूनियर हाईस्कूल और दो प्राथमिक विद्यालय हैं. इसके अलावा गांव में एक मदरसा भी है।