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Success Story: एग्जाम की तैयारी से पहले सोशल मीडिया से किया किनारा, महाकाल को दिया अपनी कामयाबी का श्रेय

हर इंसान को अपनी मंजिल तक पहुंचने के लिए किसी न किसी चीज का बलिदान करना पड़ता है। जो व्यक्ति ऐसा करने में सफल हो जाता है उसे कामयाबी जरूर मिलती है। आज हम आपको एक ऐसी ही कहानी बताने जा रहे है जिसमे एक लड़के ने अपने पेपर की तैयारी करने के लिए सोशल मीडिया से किनारा कर लिया है। आइए जानते है इनकी सफलता की पूरी कहानी। 
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 HR Breaking News, Digital Desk- अगर इंसान किसी मंजिल को पाना चाहता है, तो उसे किसी न किसी चीज से दूर होना पड़ता है. जो व्यक्ति ऐसा करने में सफल हो जाते हैं, उनके लिए आगे के रास्ते खुल जाते हैं. आज हम ऐसी ही स्टोरी आपको बताने जा रहे हैं. दरअसल, यूपीएससी में कामयाबी हासिल करने के लिए तन्मय ने सोशल मीडिया से किनारा कर लिया, इसके अलावा उन्होंने दोस्तों की पार्टी भी 3 साल भी ज्वाइन नहीं की.

उज्जैन की महेश विहार कॉलोनी में रहने वाले तन्मय काले शुरू से ही पढ़ाई में होशियार रहे हैं. उन्होंने हाई स्कूल और हाई सेकेडरी की परीक्षा भी अच्छे अंको से उत्तीर्ण की. इसके बाद उन्होंने उज्जैन के शासकीय इंजीनियरिंग कॉलेज से बीई का डिप्लोमा किया. उन्हें डिप्लोमा करने के बाद  350000 रुपये का पैकेज मिला और नौकरी के कई ऑफर आए लेकिन तन्मय को पता था कि उनकी मंजिल अभी दूर है. इसी वजह से उन्होंने बीटेक करने के बाद साल 2019 से राजधानी दिल्ली में रहकर यूपीएससी की तैयारी शुरू की. इस दौरान उनकी बड़ी बहन ओजस्वी काले का एमपी पीएससी में सिलेक्शन हो गया. वे वर्तमान में उद्योग विभाग में अधिकारी के पद पर पदस्थ हैं. इसके बाद तन्मय का हौसला और बढ़ गया. उन्होंने हाल ही में आए यूपीएससी के परिणाम में 230 वां रैंक हासिल किया है.

पूछा गया भगवान महाकाल से जुड़ा प्रश्न-

तन्मय ने बताया कि उन्हें तीसरे प्रयास में सफलता मिली है. उन्होंने कहा कि 3 साल तक उनके द्वारा अथक प्रयास करने के साथ-साथ सोशल मीडिया से दूरी बना ली गई थी. तन्मय ने बताया कि उन्हें साक्षात्कार के दौरान भगवान महाकाल से जुड़ा एक प्रश्न पूछा गया. यह पूछा गया कि भगवान शिव को 'महाकाल' क्यों कहा जाता है?

इसका तन्मय ने बड़ा ही सुंदर जवाब दिया उन्होंने कहा कि भगवान कालों के काल हैं और समय की गणना भी काल से शुरू होती है. सबसे बड़े काल को महाकाल कहा जाता है. इसके बाद उन्हें यूपीएससी की परीक्षा में सफलता अर्जित हुई और वे अपनी कामयाबी के पीछे परिवार के साथ साथ भगवान महाकाल का आशीर्वाद को श्रेय देते हैं. तन्मय के पिता रेलवे विभाग में स्टेशन मास्टर और उनकी पोस्टिंग उज्जैन में है. तन्मय ने अपनी शिक्षा उज्जैन के केंद्रीय विद्यालय से पूरी की है.