Bank Sakhi Scheme: सरकार दे रही कमाई का मौका, बैंक सखी बनकर महिलाएं कमा रही 40 हजार रुपये महीना
HR Breaking News (ब्यूरो) : देश की महिलाओं को सशक्त और स्वावलंबी बनाने के लिए सरकार कई स्कीम चलाती है. कोरोना महामारी को देखते हुए इस तरह की स्कीम को और गति दी गई है. ऐसी ही एक योजना है बैंक सखी स्कीम जिसमें ग्रामीण महिलाओं को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाने पर जोर दिया जाता है.
इस योजना के अंतर्गत ग्रामीण महिलाओं को बैंक सखी बनाया जाता है जो गांव में लोगों की बैंक से जुड़ी जरूरतों को पूरा करती हैं. जो लोग बैंक नहीं जा सकते या घर से बैंक बहुत दूर है, बैंक सखी उनके घर पर बैंकिंग सुविधाएं देती हैं.
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उत्तर प्रदेश में यह योजना तेजी से चल रही है. देश के अन्य राज्य भी इस स्कीम को अपना कर ग्रामीण महिलाओं को सशक्त बना रहे हैं. यूपी में इस योजना को पिछले साल शुरू किया गया था. इसके तहत हर बैंक सखी को 6 महीने तक 4 हजार रुपये का मानदेय दिया गया.
साथ में, लैपटॉप जैसी डिवाइस की खरीद के लिए सरकार की तरफ से 50 हजार रुपये दिए गए. लैपटॉप की जरूरत इसलिए पड़ती है क्योंकि इसी से गांव में घुम-घुम कर बैंक से जुड़े काम किए जाते हैं. लोग बैंक नहीं जा सकते तब भी वे घर बैठे बैंक का काम करा सकते हैं.
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देश के कई हिस्सों में चल रही योजना
देश के कई हिस्सों में यह योजना ग्रामीण महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बना रही है. भोपाल संभाग के राजगढ़ जिले की ज्योति भी इस आजीविका मिशन का भरपूर लाभ उठा रही हैं. ज्योति ने ‘मनी9’ को बताया कि बैंक सखी कार्यक्रम ने उन्हें पूर्ण रूप से स्वावलंबी बना दिया है.
ज्योति इस स्कीम के जरिये न सिर्फ आत्मनिर्भर बनी हैं बल्कि वे कमाई के पैसे से परिवार की मदद करते हुए खुद की पढ़ाई भी कर रही हैं. एमए करने के बाद उन्होंने एलएलब की पढ़ाई शुरू कर दी है और खुद के पैसे से सारा काम चला रही हैं.
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ज्योति बताती हैं कि कोरोना भी भीषण महामारी के बीच उन्होंने गांवों में जाकर एक करोड़ से ज्यादा का ट्रांजेक्शन किया है. लोगों की मदद करते हुए गांवों में उनकी एक नई पहचान बनी है, साथ ही स्वावलंबी होने की क्षमता तैयार हुई है.
कमीशन से अच्छी कमाई
बैंक सखी के तौर पर कोई फिक्स मानदेय नहीं होता, लेकिन ट्रांजेक्शन पर कमीशन के रूप में अच्छी कमाई हो जाती है. ज्योति बताती हैं कि अब वे हर महीने 40 हजार रुपये तक की कमाई कर लेती हैं. घर-परिवार चलाने के लिए यह राशि पर्याप्त है.
ज्योति खुद की पढ़ाई पर होने वाले खर्च को पूरा करते हुए घर का खर्च भी देख लेती हैं. अन्य बैंक सखी महिलाओं की तरह ज्योति ने भी बैंक से इसकी ट्रेनिंग ली है और उसके बाद लैपटॉप से गांवों में काम करती हैं. जिस किसी को बैंक से जुड़े काम कराने होते हैं, पैसे निकालने होते हैं, वे ज्योति की मदद लेते हैं.
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आजीविका मिशन के तहत ट्रेनिंग
दरअसल, आजीविका मिशन के तहत बैंक सखी कार्यक्रम से जुड़ने वाली महिलाओं को ट्रेनिंग दी जाती है. सरकार की तरफ से लैपटॉप आदि खरीदने के लिए कर्ज दिया जाता है. ज्योति ने भी ऐसा ही किया और ऋण लेकर लैपटॉप खरीदा और मध्य प्रदेश ग्रामीण बैंक की भ्याना शाखा से जुड़ गईं.
ज्योति आज भ्याना के आसपास के 6 गांवों में लोगों को बैंकिंग से जुड़ी सुविधा मुहैया कराती हैं. आज ज्योति के पास इस काम के लिए दो लैपटॉप और स्कूटर है.
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इसी तरह अन्य राज्यों की महिलाएं भी ट्रेनिंग लेकर यह काम कर रही हैं और स्वावलंबी बन रही हैं. राज्य सरकारें इस स्कीम को तेजी से बढ़ा रही हैं ताकि ग्रामीण स्वरोजगार को बढ़ावा दिया जा सके और लोगों को घर पर बैंकिंग की सुविधा मिल सके.