Pension Scheme : इस सरकारी योजना में प्राइवेट कर्मचारियों को मिल रहा ज्याबा ब्याज, सरकारी को कम

Pension Scheme : अगर आपसे यह कहा जाए कि सरकार की ओर से चलाई जाने वाली एकसमान योजना में गवर्नमेंट सेक्‍टर के कर्मचारियों को कम ब्‍याज दिया जाता है, जबकि प्राइवेट सेक्‍टर में काम करने वालों को ज्‍यादा मिलता है तो शायद ही यकीन होगा. पर, ये सच है और ब्‍याज का अंतर भी 1 फीसदी से ज्‍यादा होता है.आइए जानते है इसके बारे में विस्तार से.

 

HR Breaking News (नई दिल्ली)। सरकारी नौकरी करने वालों को कम ब्‍याज मिले और प्राइवेट नौकरी करने वालों को ज्‍यादा. सुनकर चौंक गए न, पर ये बिलकुल सच है. सरकार की एक ऐसी योजना है, जो सरकारी और प्राइवेट सेक्‍टर में नौकरी करने वालों के लिए समान रूप से काम करती है. बावजूद इसके योजना में पैसे लगाने वाले सरकारी कर्मचारियों के मुकाबले प्राइवेट सेक्‍टर के कर्मचारियों को 1 फीसदी ज्‍यादा ब्‍याज मिलता है.

दरअसल, हम बात कर रहे हैं कर्मचारियों के लिए पेंशन योजना की. सरकार की ओर से निजी और सरकारी दोनों ही क्षेत्रों में काम करने वाले कर्मचारियों के लिए पेंशन योजनाएं चलाई जाती हैं. इसमें नौकरी के दौरान कर्मचारियों को अपने वेतन से अंशदान यानी कंट्रीब्‍यूशन करना रहता है और रिटायरमेंट पर एकमुश्‍त पैसा मिलने के साथ ही हर महीने पेंशन का भी लाभ दिया जाता है. सरकारी कर्मचारियों के लिए जहां जनरल प्रोविडेंट फंड (GPF) की योजना चलती है तो प्राइवेट कर्मचारियों के लिए इसी तर्ज पर एम्‍पलॉयी प्रोविडेंट फंड (EPF) की योजना चलाई जाती है.


दोनों योजनाओं में क्‍या अलग


सामान्‍य भविष्‍य निधि यानी जनरल प्रोविडेंट फंड (GPF) में सिर्फ सरकारी कर्मचारियों को ही योगदान के लिए मौका मिलता है. इसमें वेतन का न्‍यूनतम 6 फीसदी और अधिकतम 100 फीसदी तक निवेश किया जा सकता है. सरकारी कर्मचारी रिटायरमेंट पर इसकी पूरी राशि एकमुश्‍त निकाल सकता है, जबकि अगर उसे बीच में भी जरूरत है तो वह 90 फीसदी तक पैसा निकाल सकता है. सरकार जीपीएफ पर समय-समय पर ब्‍याज दरें बदलती रहती है. फिलहाल इस पर 7.1 फीसदी का ब्‍याज मिल रहा है.

क्‍या है EPF का स्‍वरूप


कर्मचारी भविष्‍य निधि यानी EPF भी सरकार की ओर से नियंत्रित की जाने वाली एक पेंशन योजना है. इसका फायदा प्राइवेट सेक्‍टर के कर्मचारियों को मिलता है. EPF में कर्मचारी के बेसिक और डीए वेतन का 12 फीसदी अंशदान करना जरूरी होता है. इतनी ही राशि उसके नियोक्‍ता की ओर से भी डाली जाती है. इतना ही नहीं निवेश की गई इस राशि पर सालाना 8.15 फीसदी का ब्‍याज मिल रहा है और सरकार हर साल इसके ब्‍याज में भी बदलाव करती रहती है.

इस तरह, आपने देखा कि जीपीएफ और ईपीएफ दोनों है तो पेंशन देने वाली योजना लेकिन दोनों की ब्‍याज दरों में 1 फीसदी से ज्‍यादा का अंतर है. इसके अलावा दोनों ही योजनाओं में निवेश करने की सीमा भी काफी अलग है. सरकारी वाली योजना में जहां सिर्फ 6 फीसदी का अंशदान किया जा सकता है, वहीं प्राइवेट पेंशन योजना में 12 फीसदी का निवेश किया जा सकता है.

किसके हाथ में हैं दोनों योजनाएं


अब बात करते हैं कि जीपीएफ और ईपीएफ का रेगुलेशन या देखरेख कौन करता है. अगर जीपीएफ की बात की जाए तो इसका प्रबंधन कार्मिक मंत्रालय का पेंशन और पेंशनभोगी कल्‍याण विभाग करता है. वहीं, ईपीएफ को कर्मचारी भविष्‍य निधि संगठन (EPFO) करता है. ईपीएफओ भी एक सरकार नियंत्रित संस्‍था और इस पर मिलने वाले ब्‍याज दर का फैसला ईपीएफओ ट्रस्‍ट की अपील पर केंद्रीय वित्‍त मंत्रालय करता है.