आचार्य चाणक्य ने बताए छह तरह के सुख, जानिए यह किस व्यक्ति को मिलेंगे
HR Breaking News, New Delhi: महान अर्थशास्त्री, विद्वान, कूटनीतिज्ञ और राजनीतिज्ञ आचार्य चाणक्य ने अपने नीति शास्त्र में मनुष्य के जीवन से जुड़ी कई बातों का जिक्र किया है। चाणक्य द्वारा बताई गई नीतियां आज भी कारगर और सत्य के करीब हैं। खास बात ये है कि आचार्य चाणक्य द्वारा बताई गई बातें मनुष्य को जीवन में लक्ष्य पाने के लिए प्रेरित करती हैं। यही वजह है कि आज भी लोग चाणक्य नीति का अध्ययन करते हैं।
वर्तमान में जो हमे सुख-दुख मिल रहे हैं वो पिछले जन्म के कर्म के आधार पर तय किए जाता है। पिछले जन्म के कर्म के हिसाब से वर्तमान में गर्भ के समय ही आपकी तकदीर लिख दी जाती है। चाणक्य नीति भी यही कहती है कि पिछले जन्म के पुण्य की वजह से हमें कुछ खास चीजें वर्तमान जीवन में जरूर मिलती हैं। चाणक्य नीति के दूसरे अध्याय के दूसरे ही श्लोक में आचार्य चाणक्य ने छह तरह के सुख बताए हैं जो हर किसी को नहीं मिलते। आइए जानते हैं कौन से हैं वो 6 तरह के सुख।
भोज्यं भोजनशक्तिश्च रतिशक्तिर वरांगना।
विभवो दानशक्तिश्च नाऽल्पस्य तपसः फलम्॥
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भोजन
उक्त श्लोक के माध्यम से चाणक्य ने बताया है कि बेहतर खाना मिलना बेहतर जिंदगी की निशानी होती है। भाग्यशाली लोगों को ही अच्छा भोजन नसीब होता है। जिस वक्त जो खाने का मन हो और वो मिल जाए तो इससे बड़ा सुख नहीं हो सकता।
पाचन शक्ति
अच्छा भोजन मिलना ही सब कुछ नहीं होता। इसे पचाने की शक्ति भी होनी चाहिए। कई बार हमें अच्छा खाना तो मिल जाता है, लेकिन चाहकर भी हम उसे खा नहीं पाते। जैसे बीमार व्यक्ति अच्छा भोजन ग्रहण करने की क्षमता नहीं रख पाता क्योंकि उसकी पाचन शक्ति कमजोर होती है। वो लोग भाग्यशाली होते हैं जिनमें खाने के साथ पचाने की क्षमता होती है।
जीवनसाथी
चाणक्य कहते हैं कि वर्तमान जीवन में गुणवान जीवनसाथी मिलना सबसे बड़ा सुख है। जिन लोगों के पास समझदार और गुणी लाइफ पार्टनर हो वो किस्मत के धनी होते हैं।शास्त्रों में कहा गया है कि पिछले जन्म में स्त्री का अपमान करने वालों का दांपत्य जीवन हमेशा कष्ट में होता है।
धन का सही उपयोग
आचार्य कहते हैं कि सिर्फ धनी होना ही जरूरी नहीं, पैसों का सही इस्तेमाल करने की जानकारी भी होना चाहिए। यह गुण उन्हीं लोगों को मिलता है जिसने पूर्णजन्म में पुण्य किए हों।
काम
सुखी वैवाहिक जीवन के लिए काम शक्ति का होना जरूरी है। चाणक्य कहते हैं कि किस्मत वालों को काम शक्ति मिलती है लेकिन व्यक्ति को खुद पर इसे हावी नहीं होने देना चाहिए। चाणक्य का मानना है कि काम के वश में रहने वाला व्यक्ति जल्दी बर्बाद हो जाता है।
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दान
संसार में धनवान लोगों की कमी नहीं है, लेकिन दान देने का स्वभाव बहुत ही कम लोगों में है। आचार्य कहते हैं कि व्यक्ति में यह गुण भी पिछले जन्म के कर्मों के आधार पर मिलता है।