Delhi की सबसे महंगी मार्केट का कौन है मालिक, जानिये कौन वसूलता है किराया

most expensive market : राजधानी दिल्ली में कई फेमस बाजार है जिनके चर्चे विदेशों तक फैले हुए हैं। राजधानी दिल्ली में कई बाजार ऐसे भी हैं जहां आपको हर सामान सस्ते से भी सस्ते में मिल जाएगा लेकिन कई बाजार ऐसे भी हैं जो सबसे महंगी मार्केट के नाम से मशहूर है। क्या आप जानते हैं कि दिल्ली की सबसे महंगी मार्केट का मालिक कौन है? आइए खबर में जानते हैं दिल्ली की सबसे महंगी मार्केट से कौन वसूलता है किराया।

 

HR Breaking News : (India's costliest market) जब भी सबसे महंगी चीजों का नाम आता है तो दिल्ली और मुंबई शहर का सबसे पहले जिक्र किया जाता है। सालों के दौरान राजधानी दिल्ली का भी काफी तेजी से विकास हुआ है। देश में महंगी बंजारों की बात आने पर दिल्ली सबसे पहले बाजी मार लेता है। दिल्ली में अभी कई बड़े-बड़े मॉल बना रहे हैं बात की जाए महंगे बाजारों की तो राजधानी दिल्ली में कई फेमस तथा महंगे बाजार भी है। आइए खबर में जानते हैं दिल्ली का सबसे महंगा बाजार (Delhi's most expensive market) कौन सा है तथा इसका किराया कौन वसूलता है।

देश का सबसे महंगा मार्केट कौन सा है?

कुशमैन एंड वेकफील्ड जो कि एक रियल एस्टेट कंसलटेंसी की मल्टीनेशनल फर्म (Cushman & Wakefield) है। इसी फर्म ने एक महीने पहले एक रिपोर्ट जारी की थी। उसमें बताया गया है कि दिल्ली का खान मार्केट (Delhi's Khan Market) देश का सबसे महंगा रिटेल हॉटस्पॉट(Most Expensive Retail Hotspot) है। इस साल खान मार्केट के किराये में करीब 7 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। इसके बाद दिल्ली के कनॉट प्लेस और गुड़गांव के गैलेरिया मार्केट (Galleria Market, Gurgaon) का नंबर आता है।

खान मार्के क्यों है इतनी खास?

दिल्ली का खान मार्केट (Delhi's Khan Market) दिल्ली के दिल यानी लुटियंस जोन में स्थित है। यह राष्ट्रपति भवन, संसद भवन और अन्य महत्वपूर्ण इमारतों के पास स्थित है। यह क्षेत्र देश के उच्च पदस्थ अधिकारियों और धनी व्यक्तियों का घर है। इसके पास ही ताज मानिसंह लग्जरी होटल (Taj Manisingh Luxury Hotel) है।

पास ही में दिल्ली मेट्रो का स्टेशन भी है। लोग इसे लुटियंस दिल्ली का बाजार (Markets of Lutyens Delhi) भी कहते हैं। पांच साल पहले जब पीएम नरेंद्र मोदी ने "खान मार्केट गैंग" शब्द का उल्लेख किया था, तब इस बाजार ने व्यापक ध्यान आकर्षित किया था, जिससे लोगों में उत्सुकता पैदा हुई थी।

खाने-पीने का अड्डा तथा खरीदारी

खान मार्केट में खरीदारी के साथ-साथ स्वादिष्ट भोजन का आनंद भी ले सकते है। यहां दूर-दूर से लोग खाने का स्वाद लेन के लिए आते हैं। दरसअल, खान मार्केट को सरकार ने साल 1951 में विभाजन के दौरान पाकिस्तान से भारत आए लोगों को मकान और दुकान उपलब्ध कराने के लिए की गई थी।

डिज़ाइन में भूतल पर दुकानें और ऊपर आवासीय स्थान शामिल थे। बाजार का नाम अब्दुल जब्बार खान (Abdul Jabbar Khan) के नाम पर रखा गया था, जो एक स्वतंत्रता सेनानी और अब्दुल गफ्फार खान के भाई थे। अब्दुल जब्बार खान ने विभाजन के दौरान हिंदुओं को पाकिस्तान से भारत सुरक्षित रूप से पलायन करने में मदद करके एक खास भूमिका निभाई थी।

खान मार्केट की दुकानों का मालिक कौन?

अक्सर लोगो के मन में सवाल उठता है कि खान मार्केट का मालिक (owner of khan market) कौन? तो जान लीजिए कि सरकार ने इसे पाकिस्तानी रिफ्यूजी को दिया था। उन्हें यह लम्बे समय के लिए लीज पर दिया गया था। मतलब कि इसका असली मालिक अभी भी सरकार ही है। कुछ दुकानों को सरकार ने 1956 में बेचा भी था।

जिन्हें दुकानें लीज पर मिली थीं या खरीदी गई थी, उन्हीं के वंशज आज इन दुकानों को दूसरे कारोबारियों को पट्टे पर दे रहे हैं। बाजार में सैकड़ों दुकानें अभी भी सरकारी नियंत्रण (government controlled shop) में हैं। कुछ दुकानों का प्रबंधन नगर निगम भी करता है। इस समय, खान मार्केट की अधिकांश दुकानें (Khan Market Shops) पट्टे पर हैं।

खान मार्केट की दुकान का किराया कितना है?

शुरूआत में खान मार्केट की दुकानों का किराया (rent of shops in khan market) 50 रुपये प्रति माह से भी कम था। बाद में, 1956 में पुनर्वास मंत्रालय की योजना (Scheme of Ministry of Rehabilitation) के तहत, दुकानों को 6,516 रुपये प्रति दुकान पर आवंटित कर दिया गया था।

इन दिनों खान मार्केट में एक व्यावसायिक स्थान का औसत किराया 1,800 रुपये से 2,200 रुपये प्रति वर्ग फुट के बीच है। मतलब कि एक दुकान का जो किराया पहले 50 रुपये महीने से भी कम था, अभी यह बढ़ कर 6 लाख रुपये से अधिक हो गया है।

बाजार का नाम बदलने को लेकर भी हुआ था प्रस्ताव

एक समय, केंद्र सरकार में तत्कालीन गृह मंत्री राजनाथ सिंह (Home Minister Rajnath Singh) ने इस बाजार का नाम बदलने का प्रस्ताव रखा था। लेकिन स्थानीय दुकान मालिकों ने इस विचार का विरोध किया था।

इसके बाद इसका नाम बदला नही गया। खान मार्केट आज दिल्ली के इतिहास(History of Delhi) संस्कृति और विलासिता का प्रतीक बन गया है, जो इसे शहर के सबसे पसंदीदा स्थलों में से एक बनाता है।