अंग्रेजी सिखाने वाले लेक्चरर को तपती धूप में क्यों चलाना पड़ रहा ऑटो,जानिए पूरी कहानी 

HR Breaking News :  किसी को उसके कपड़ों और पेशे के आधार पर आंकना बहुत आसान है. बेंगलुरू की एक रिसर्चर निकिता अय्यर को हाल ही में ऐसा ही अनुभव हुआ, जब उनका सामना एक ऑटो-चालक से हुआ था.
 

HR Breaking News :Viral News: लड़की ऑटो ड्राइवर के फर्राटेदार अंग्रेजी बोलने के कौशल से हैरान रह गई. निकिता अय्यर ने एक लिंक्डइन पोस्ट में दिल छू लेने वाली बात लिखी, जिससे कई लोग प्रेरित हुए. अब यह पोस्ट ऑनलाइन वायरल हो गई है.


जब सुबह-सुबह परेशान हुई लड़की तो ऐसे मिली मदद
एक लिंक्डइन पोस्ट में निकिता ने लिखा कि कैसे वह हाईवे के बीच में कैब बुक नहीं कर पा रही थी. एक ऑटो चालक उसकी मदद के लिए आया और उससे पूछा कि क्या उसे लिफ्ट की जरूरत है.

जब उसने उसे बताया कि वह शहर के दूसरे छोर पर स्थित ऑफिस के लिए देर हो रही है, तो ऑटोरिक्शा चालक ने अच्छी अंग्रेजी में जवाब दिया, 'कृपया अंदर आएं मैम, आप जो चाहें भुगतान कर सकती हैं.'

निकिता शुरू में हैरान रह गई और उसने उत्सुकता से उससे पूछा कि वह इतनी अच्छी अंग्रेजी कैसे बोलते हैं. इसके बाद दोनों के पास बातचीत करने के लिए 45 मिनट थे.


ऑटो ड्राइवर कभी हुए करते थे अंग्रेजी लेक्चरर
74 वर्षीय पटाबी रमन के रूप में पहचाने जाने वाले व्यक्ति ने खुलासा किया कि वह मुंबई के एक कॉलेज में अंग्रेजी लेक्चरर हुआ करता था और उसने एमए व एमएड किया था.

निकिता अय्यर के अगले सवाल की भविष्यवाणी करते हुए पटाबी रमन ने कहा, 'तो आप मुझसे पूछने जा रहे हैं कि मैं ऑटो क्यों चला रहा हूं?' एक सकारात्मक प्रतिक्रिया प्राप्त करने के बाद, बुजुर्ग व्यक्ति ने अपने जीवन के बारे में राज खोला और कहा कि वह 14 वर्षों से ऑटो-रिक्शा चला रहा है.

वह मुंबई के एक कॉलेज में अंग्रेजी पढ़ाते थे, क्योंकि उनकी जाति के कारण उन्हें कर्नाटक में नौकरी नहीं मिली थी. वह 60 वर्ष की आयु में रिटायर हुए और फिर उन्होंने एक निजी कॉलेज में काम किया, इसलिए वे किसी भी पेंशन के हकदार नहीं थे.

तभी उन्होंने कर्नाटक वापस जाने और ऑटो चलाने का फैसला किया. वह वर्तमान में अपनी 72 वर्षीय पत्नी के साथ कडुगोडी में रहते हैं.


उन्होंने कहा, 'शिक्षकों को अच्छा वेतन नहीं मिलता है. आप अधिकतम 10  से 15,000 रुपये कमा सकते हैं और चूंकि यह एक निजी संस्थान था, इसलिए मुझे पेंशन नहीं मिली. रिक्शा चलाने से मुझे रोजाना कम से कम 700-1500 रुपये मिलते हैं, जो मेरे और मेरी पत्नी के लिए काफी है.'


जीवन के आखिरी पड़ाव में कैसे व्यतीत कर रहे जीवन
पताबी ने समझाया, 'मैं अपनी पत्नी को गर्लफ्रेंड कहता हूं क्योंकि आपको हमेशा उनके साथ समान व्यवहार करना चाहिए. जैसे ही आप पत्नी कहते हैं, पति सोचते हैं कि वह एक दासी है जिसे आपकी सेवा करनी चाहिए लेकिन वह किसी भी तरह से मुझसे कम नहीं है, वह कभी-कभी मुझसे ज्यादा श्रेष्ठ होती है.

वह 72 साल की हैं और घर की देखभाल करती हैं जबकि मैं दिन में 9-10 घंटे काम करता हूं. हम कडुगोडी में एक 1 बीएचके में रहते हैं जहां मेरा बेटा 12,000/- का किराया देने में मदद करता है, लेकिन हम अपने बच्चों पर निर्भर नहीं हैं. वे अपना जीवन जीते हैं और हम खुशी से अपना जीवन जीते हैं. अब मैं अपनी सड़क का राजा हूं, मैं जब चाहूं अपना ऑटो निकाल सकता हूं और जब चाहूं काम कर सकता हूं.'


निकिता ने अपनी पोस्ट के आखिर में लिखा, 'लाइफ को लेकर एक भी शिकायत नहीं. एक भी अफसोस नहीं. इन छिपे हुए नायकों से बहुत कुछ सीखना है. मेरी गुरुवार की सुबह अच्छी हो गई.'