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Scrap Policy : पुरानी गाड़ियों की तरह पुराने मोबाइल भी होंगे कबाड़

भारत धीरे-धीरे इलेक्ट्रॉनिक्स का मैन्युफैक्चरिंग हब बनता जा रहा है. खासकर के मोबाइल फोन की मैन्युफैक्चरिंग का, तभी तो Apple जैसी मोबाइल कंपनी ने भी यहीं पर iPhone बनाना शुरू कर दिया है. आइए जानते है इसके बारे में विस्तार से.
 
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Scrap Policy : पुरानी गाड़ियों की तरह पुराने मोबाइल भी होंगे कबाड़

HR Breaking News (ब्यूरो) :  देश की 120 करोड़ से ज्यादा आबादी के पास मोबाइल फोन हैं. ऐसे में इलेक्ट्रॉनिक कचरे (Electronic Waste) के बढ़ने का भी जोखिम है. हालांकि घरेलू इलेक्ट्रिकल और इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग उद्योग इससे इत्तेफाक नहीं रखता है.


इंडियन इलेक्ट्रिकल एंड इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (IEEMA) के प्रेसिडेंट और बिड़ला कॉपर (हिंडाल्को इंडस्ट्रीज) के सीईओ रोहित पाठक ने TV9 Digital से एक विशेष बातचीत में कहा कि जिस तरह से अभी गाड़ियों को ‘स्क्रैप’ करने की पॉलिसी आई है. आने वाले समय में उसी तरह से मोबाइल फोन को ‘कबाड़ में भेजने’ का ढांचा तैयार हो सकता है.

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मिलेंगे स्क्रैप सर्टिफिकेट और डिस्काउंट


रोहित पाठक ने बताया कि ई-वेस्ट के लिए पॉलिसी फ्रेमवर्क है, बस इसे थोड़ा पुश देकर लागू करने की जरूरत है. एक बार ई-कचरा से जुड़ा इकोनॉमिक मॉडल डेवलप हो गया, तो लोग खुद अपना इलेक्ट्रॉनिक वेस्ट एक्सचेंज के लिए देना शुरू कर देंगे. वहीं आने वाले सालों में कंपनियों की ‘एक्सटेंड प्रोड्यूसर रिस्पॉन्सबिलिटी’ (EPR) पर फोकस बढ़ेगा, तो वो खुद लोगों से पुराना इलेक्ट्रॉनिक कचरा खरीदने पर फोकस करेंगी.


दरअसल रोहित पाठक से सवाल किया गया था कि जिस तरह से सरकार ने गाड़ियों की स्क्रैपिंग करने पर लोगों को एक ‘डिस्काउंट सर्टिफिकेट’ देने की बात कही है, जिसका इस्तेमाल वे नई गाड़ी खरीदने में कर सकते हैं. क्या वैसी ही व्यवस्था इलेक्ट्रॉनिक वेस्ट के लिए बन सकती है.

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इसके जवाब में उन्होंने कहा कि अभी भी सैमसंग और एप्पल जैसी कई कंपनियां एक्सचेंज ऑफर के तहत अपने ग्राहकों से पुराने इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस लेकर छूट देती हैं. आने वाले सालों में इसका एक इकोनॉमिक मॉडल डेवलप हो जाएगा जिसके तहत लोगों को मोबाइल फोन या अन्य ई-कचरा वेस्ट जमा करने पर सर्टिफिकेट मिल जाएगा, जिसका इस्तेमाल वह दूसरे प्रोडक्ट को खरीदने में कर पाएंगे.


कबाड़ के बिजनेस को संगठित करने की जरूरत


ई-कचरा का सही से निपटारा नहीं होने में सबसे बड़ी दिक्कत रोहित पाठक कबाड़ के बिजनेस का कैश इकोनॉमी या असंगठित क्षेत्र में होना बताते हैं. उन्होंने कहा ई-कचरा कलेक्शन के काम को फॉर्मल बनाने की जरूरत है, ताकि ई-कचरे को सही से निपटाया या रिसाइकिल किया जा सके.

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उन्होंने कहा कि ऐसी व्यवस्था बनानी होगी जो ई-कचरा पैदा होने के एंट्री लेवल पर जीएसटी या किसी अन्य फॉर्मल सेक्टर से लिंक हो जाए. इससे इसका पूरा सिस्टम ऊपर तक ठीक होने लगेगा. इसी तरह ही इसका कोई इकोनॉमिक मॉडल तैयार हो पाएगा.
रोहित पाठक ने कहा कि ई-कचरा के रिसाइकिल में पोटेंशियल है, क्योंकि इससे वैल्यूबल मात्रा में अहम धातुओं की रिकवरी हो सकेगी.