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8th Pay Commission : नए वेतन आयोग में कर्मचारियों के लिए टेंशन, बढ़ रही बेचैनी

​8th Pay Commission : अब दिसंबर का महीनो खत्म होने को हैं, बस एक हफ्ता ही शेष रह गया है। अब हाल ही में आठवें वेतन आयोग के तहत एक बड़ा अपडेट सामने आया है, जिसके तहत कर्मचारियों की चिंताए बढ़ गई है। अब समय बीतने के साथ ही कर्मचारियों की बैचेनी लगातार बढ़ती जा रही है। आइए खबर में जानते हैं इस बारे में विस्तार से।

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8th Pay Commission : नए वेतन आयोग में कर्मचारियों के लिए टेंशन, बढ़ रही बेचैनी

HR Breaking News (8th Pay Commission) जैसे-जैसे यह साल बीत रहा है। वैसे ही 8वें वेतन आयोग को लेकर केंद्रीय कर्मचारियों की बेचैनी लगातार बढ़ रही है। कर्मचारियों में न्यूनतम वेतन (minimum wage among employees) और फिटमेंट फैक्टर को लेकर खूब चर्चां की जा रही है। अब इस बढ़ती देरी के चलते कर्मचारियों की चिंताए भी बढ़ती जा रही है। आइए खबर के माध्यम से जानते हैं आठवें वेतन आयेाग से जुड़े अपडेट के बारे में।

 

 

टीओआर के तहत इन चीजों पर होगा गौर 
 

अब नवंबर में आठवें वेतन आयोग (8th cpc Updates) का TOR तय किया गया है और टीओर के तहत आयोग को सैलरी, भत्तों और दूसरी सुविधाओं की छानबीन करनी है। इसके तहत ऐसे सुझाव दिए गए हैं, जो कर्मचारियों (Employees News) के लिए व्यवहारिक हों और कर्मचारियों की जरूरतों को पूरा करें। इसके साथ ही कर्मचारी यूनियंस की ओर से TOR में बदलते कार्य के रूप और अलग-अलग विभागों की जरुरतें और खर्चों के संतुलन पर खास ध्यान रखने की बात की है।

ऐसा होना चाहिए कर्मचारियों का सैलरी स्ट्रक्चर 
 

भले ही TOR में सैलरी का कुछ क्लियर नहीं किया गया है, लेकिन यह क्लियर है कि कर्मचारियों का सैलरी स्ट्रक्चर (Salary structure of employees) कुछ ऐसा होना चाहिए, जिससे योग्य और प्रतिभाशाली लोग गर्वमेंट जॉब की ओर अट्रेक्ट हो सकें। सिर्फ इतना ही नहीं बल्कि कर्मचारियों की कार्यक्षमता, जवाबदेही और जिम्मेदारी बढ़ाने को लेकर भी मांग की गई है। ताकि सैलरी सिर्फ खर्च के लिए न हो, बल्कि यह सैलरी कर्मचारियों के लिए बेहतर काम के लिए प्रेरणास्त्रोत भी बन सकें।

क्या है कर्मचारी यूनियनों की मांग
 

अब कर्मचारियों में इस बात को लेकर चर्चांए हो रही है कि न्यूनतम वेतन (Employees minimum wage) कैसे तय किया जाएगा। TOR में अभी यह क्लियर नहीं किया गया है कि कर्मचारियों का न्यूनतम वेतन किस आधार पर तय किया जाएगा। इस वजह से कर्मचारी यूनियनें नए और आधुनिक फॉर्मूले लागू करने को लेकर डिमांड कर रहे हैं। उनके अनुसार आज की महंगाई और जरूरतों के हिसाब से पुराने मानक काफी नहीं हैं।

कैसे तय होगी कर्मचारियों की न्यूनतम सैलरी 
 

हाल ही में  NC-JCM के स्टॉफ की बैठक में यह फैसला लिया गया है कि वह सैलरी आयोग के सामने एक विस्तृत प्रस्ताव रखने वाली है। उनके मुताबिक कर्मचारियों की न्यूनतम सैलरी (Minimum salary of employees) सिर्फ खाना और कपड़ों तक नहीं होनी चाहिए। उनका कहना है कि सैलरी तय करते समय सभी बातों पर गौर करना चाहिए। एक वयस्क कर्मचारी की नॉर्मल सी जरूरत में परिवार के सदस्यों की संख्या, खाने-पीने के साथ गैर-खाद्य जरुरतें, सरकारी राशन दुकानों की खुदरा कीमतें, त्योहारों और सामाजिक जिम्मेदारियों का खर्च, मोबाइल आदि से जुड़ा खर्च भी शामिल होना चाहिए। 

न्यूनतम सैलरी के फॉर्मूले 
 

कर्मचारी संगठनों ने क्लियर किया है कि आज के इस महंगाई के जमाने में मोबाइल फोन, इंटरनेट और डिजिटल सेवाएं ये कोई जरूरी सेवाएं नहीं हैं। बल्कि आज के समय में पढ़ाई, बैंकिंग, सरकारी काम और रोजमर्रा की जिंदगी में टेक्नोलॉजी जरूरत का एक हिस्सा बन गया है। इस वजह से न्यूनतम सैलरी के फॉर्मूले  (8th cpc Minimum salary formula)में इन खर्चों को दूर नहीं किया जा सकता है।

कैसे बना था 7वां वेतन आयोग 
 

वर्तमान में चल रहे 7वें वेतन आयोग (7th cpc updates) को 1957 के 15वें इंडियन लेबर कॉन्फ्रेंस (Indian Labor Conference) के मानकों के बेस पर बनाया गया था। इस दौरान एक कर्मचारी और कर्मचारी की वाइफ और 14 साल से कम उम्र के दो बच्चों वाले परिवार को मानक माना गया था। हालांकि उस वक्त में मोबाइल, इंटरनेट और डिजिटल खर्चों को इसमे जोड़ा नहीं गया था। अब कर्मचारी यही उम्मीद कर रहे हैं कि 8वें वेतन आयोग में इस कमी को हटाना चाहिए। 

कितना हो सकता है फिटमेंट फैक्टर
 

कर्मचारियों की नजरें फिटमेंट फैक्टर (Fitment Factor Hike) पर टिकी हुई है। इससे पहले 6वें वेतन आयोग में फिटमेंट फैक्टर 1.86 तय किया गया था। वर्तमान में चल रहे 7वें वेतन आयोग में फिटमेंट फैक्टर 2.57 तय किया गया है। अब 8वें वेतन आयोग में उम्मीद है कि इससे ज्यादा का फिटमेंट फैक्टर (Fitment Factor)  रह सकता है। कर्मचारियों का कहना है कि महंगाई, बच्चों की पढ़ाई, स्वास्थ्य खर्च और तकनीकी जरूरतों के चलते खर्चा भी काफी बढ़ गया है। हालांकि आखिरी फैसला सरकार की वित्तीय स्थिति और कर्मचारियों की जरुरतों पर निर्भर कर लिया जाएगा।