Bank Locker Rules : अब बैंक लॉकर को संभालने में ग्राहकों को नहीं आएगी परेशानी, जानिए नए नियम
Bank Locker Rules Changed : ये खबर बैंक लॉकर के लाभार्थियों के लिए बेहद काम की है। अगर आपने भी बैंक लॉकर की सुविधा ले रखी है तो अब परेशान होने की कोई जरूरत नहीं है। आइए नीचे खबर में जानते हैं नए नियम-
HR Breaking News (डिजिटल डेस्क)। अगर आपने बैंक लॉकर की सुविधा ले रखी है तो शायद बैंक से नए लॉकर एग्रीमेंट के बारे में सूचना मिल गई होगी. आपको अब तक ऐसी कोई सूचना नहीं मिली है तो जल्द ही मिल सकती है. बहुत से लोग अपने कीमती सामान जैसे जूलरी, प्रॉपर्टी के कागजात, एफडी डॉक्युमेंट्स आदि को सुरक्षित रखने के लिए बैंकों द्वारा दी जाने वाली लॉकर सुविधा का इस्तेमाल करते हैं. इसके लिए बैंक सालाना चार्ज या किराया वसूलते हैं. रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने पिछले खल बैंक लॉकर से जुड़ी नई गाइडलाइंस जारी की थी. इससे कुछ नियम बदल गए हैं.
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अब कस्टमर के लिए लॉकर को संभालना आसान होगा और बैंक की जिम्मेदारी बढ़ेगी. साथ ही कोई याद होने की स्थिति में बैंक के लिए भी आसानी होगी. अब बैंको को यह भी ध्यान में रखना होगा कि वे लॉकर एग्रीमेंट में कोई गैरवाजिब शर्त या नियम नहीं जोड़ सकते. साथ ही मुश्किल शर्तें भी नहीं रख सकते है. कुल मिलाकर अब लॉकर की सेफ्टी मैनेजमेंट, किराया लेना और वेरिफिकेशन कराना होगा. बता दें कि आमतौर पर बैंक लोगों को तीन तरह के लॉकर मुहैया कराता है जैसे स्मॉल, मीडियम और लार्ज।
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अब रिन्यू कराना होगा एग्रीमेंट
अगर अब तक आपने एग्रीमेंट नहीं बनवाया है तो आप बैंक में जाकर इस बारे में पता सकते है और नया फॉर्म भरकर ड्यूटी स्टैप पेपर पर नया एग्रीमेंट बनवा सकते हैं. इसकी कॉपी दोनों पक्षों को अपने पास रखनी होगी.
बैंक ले सकते हैं टर्म डिपोजिट
अब नए नियम के मुताबिक बैंक नया लॉकर देते वक्त ही टर्म डिपोजिट ले सकते हैं. इसमें तीन साल का किराया कवर हो सकता है. साथ ही किसी भी वजह से लॉकर तोड़ने का चार्ज भी लेकिन बैंक पुराने कस्टमर को टर्म डिपोजिट लेने के लिए मजबूर नहीं कर सकते या फिर उन्हें जो पहले से संतोषजनक तरीके से अकाउंट को चला रहे हैं.
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अगर लॉकर की हो शिफ्टिंग
अगर बैंक की ब्रांच किसी दूसरी ब्रांच मे मिला दी जाए या बंद हो जाए या शिफ्ट करनी पड़े, जिसमे फिजिकली लॉकर की जगह बदलनी हो तो बैंक को कम से कम दो अखबारों में नोटिस छपवाना होगा. कस्टमर को दो महीने पहले इसकी जानकारी देनी होगी ताकि वह लॉकर सुविधा जारी रखने, बंद करने आदि का फैसला कर सके. अगर लॉकर का किराया लिया जा चुका है तो कस्टमर को रिफंड देना होगा.
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नॉमिनी जरूर बनाएं
अक्सर हम यह गलती करते है कि बैंक लॉकर में किसी को नामिनी नहीं बनाते है लेकिन ऐसा न करें अपना लॉकर जॉइट नेम से या किसी को नॉमिनी जरूर बना लें. ऐसे बहुत-से केस सामने आते है जब लॉकर के मालिक के साथ कोई अनहोनी होने पर बाद में परिवार वालों को उस लॉकर या उनके अकाउंट तक पहुंचने में कई मुश्किलों का सामना करना पड़ता है.
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2 साल बाद ही टूटेगा लॉकर
किसी लॉकर का इस्तेमाल न होने पर कानूनी तरीके से लॉकर तोड़ने की टाइम लिमिट 2 साल की गई है कि कई बार कस्टमर न तो बैंक को किराया देते है और न लॉकर का इस्तेमाल करते हैं. यहीं, अगर लॉकर का किराया आता रहे पर लॉकर लेने वाला कस्टमर लंबे समय तक उसे ऑपरेट करने के लिए न आए तो उसका सामान कानूनी उत्तराधिकारी या नामिनी को दे सकता है, पर ऐसा ट्रास्पेस्ट तरीके से होगा.
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बैंकों को बढ़ानी होगी लॉकर की सेफ्टी
बैंकों को लॉकर की सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम करने होंगे. बैंक की लापरवाही या अनदेखी से आग लगने “चोरी, डकैती, लूट या बिल्डिंग गिरने आदि मामलों में बैंक लॉकर के किराए से 100 गुना तक बैंक की जिम्मेदारी होगी. हालांकि आप जैसे आसमानी बिजली गिरने, बाढ़, भूकंप आदि के मामले जो बैंक के काम में नहीं है और जिन्हें एक्ट औक गांड़ कहा जाता है, उसमें बैंक की जिम्मेदारी नहीं होगी. RBI ने नोटिफिकेशन में साफ कहा है कि बैंकों को अपने कैंपस में सिक्युरिटी बढ़ानी होगी.
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मिलेगा नोटिफिकेशन
कस्टमर को हर बार लॉकर का इस्तेमाल होने पर SMS और Email से नोटिफिकेशन मिलेगा. इससे उनके मन में लॉकर की चिंता कम होगी. अगर बैंक में आपका ईमेल और फोन नंबर अपडेट नहीं है तो जरूर करा लें. इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम से लॉकर ऑपरेट करने पर सुरक्षा उपायों की जिम्मेदारी बैंक की है. कस्टमर पासवर्ड भूल जाता है तो बैंक नया पासवर्ड देगा. अगर लॉकर की चाबी खो जाए तो बैंक को तुरंत बताएं.
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इन बातों का रखें ध्यान
सारा सामान एक ही जगह न रखें आप चाहे तो अपना कीमती सामान आधा-आधा बांटकर भी रख सकते हैं. चाहे वो पति और पत्नी अलग-अलग लॉकर ले सकते है या फिर कुछ कम कीमती सामान घर में ही लॉकर में रखें. इससे किसी अनहोनी पर पूरा नुकसान होने से बचा जा सके.
आमतौर पर लोग साल में एक बार तो लॉकर खोल ही लेते हैं. अब उन्हें ऐसा करने की छूट नहीं है कि लॉकर का किराया देते रहे और फिजिकली बैंक में जाकर अपने लॉकर को चेक न करें. बैंक कह सकते है कि सिर्फ किराया मिव देना काफी है. साथ ही कभी भी अपनी लॉकर पीस या लॉकर का चार्ज समय पर भरना न भूले.
जब आप बैंक के एग्रीमेंट पर साइन करें तो पहले अच्छी तरह पढ़ लें. सभी कस्टमर अप्रैट की कॉपी संभालकर अपने साथ रखे लॉकर में रखे सारे सामान की एक लिस्ट अपने अग्रीम के साथ रखना न भूलें.
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आमतौर पर लोग शादी के सीजन में बैंक लॉकर से जूलरी आदि निकलते हैं. ऐसे में जो भी जूलरी निकालें उसे अपनी लिस्ट में अपडेट कर ले. जब जूलरी वापस लॉकर में जमा करें तो लिस्ट में फिर से अपडेट करें.
लॉकर लेते हुए उसका साइज जरूर देखे ताकि यह पता चल जाए कि आपके डॉक्युमेंट्स उसमें आ रहे है या नहीं अगर डॉक्युमेंट्स ढूंढ़ रहे है तो खराब हो सकते हैं. रेट बचाने के लिए छोटा लॉकर न लें. अगर ऑप्शन मिल रहा हो तो सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए जमीन से ऊंचाई वाला लौकर ही लें.
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अगर लॉकर रूम में किसी कारण पानी भर जाता है तो निचली लाइन के लॉकर में पानी जाने से डॉक्युमेंट्स खराब हो सकते हैं. अपने डॉक्युमेंट्स को ऊपर की लाइन में रखेंगे तो उन्हें नमी से भी बचा पाएंगे.
घर के दरवाजे पर लॉक लगाने के बाद जैसे आप फिर से चेक करते है कि लोक लगा है या नहीं, उसी तरह से अपने लॉकर को जब भी बंद करे तो बाद में ठीक से चेक करें कि पूरी तरह से बंद हो गया है.
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लॉकर का नहीं होगा मिसयूज
कोई भी कस्टमर अब अपने बैंक लॉकर में कैश या करसी नहीं रख सकता. साथ ही किसी भी तरह का केमिकल या कोई विस्फोटक नहीं रख सकते. अगर कभी भी बैंक को किसी भी तरह का शक हुआ तो कस्टमर से संपर्क कर सकता है. ऐसे में बैंक लॉकर तक पहुंचने से कस्टमर को रोका जा सकता है, लेकिन कस्टमर को पूरी कानूनी प्रक्रिया से कमिटी के सामने लॉकर खोलने का मौका दिया जाएगा.