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दिल्ली-NCR वालों के लिए बड़ी खबर, 1 जनवरी से लगने जा रहे हैं ये प्रतिबंध

दिल्ली-NCR में केंद्र सरकार की और से नए आदेश जारी किए गए हैं। केंद्र के वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग ने कहा है कि दिल्ली में ज्यादा प्रदूषण के कारण आसपास के इलाकों में कोयले के ईंधन उपयोग पर रोक लगाई जाएगी। आइए नीचे खबर में जानते हैं कि आम लोगों पर इसका क्या प्रभाव पड़ेगा।

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दिल्ली-NCR वालों के लिए बड़ी खबर, 1 जनवरी से लगने जा रहे हैं ये प्रतिबंध

HR Breaking News, Digital Desk- दिल्ली एनसीआर में बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए केंद्र सरकार सख्त हो गई है. केंद्र के वायु गुणवत्ता आयोग ने बुधवार को कहा कि दिल्ली और आसपास के क्षेत्रों में कोयला और अन्य प्रतिबंधित ईंधन का उपयोग करने वाले उद्योगों को एक जनवरी से बंद किया जाएगा और उन पर भारी जुर्माना लगाया जाएगा.

हालांकि, बिजलीघरों में कम सल्फर वाले कोयले के उपयोग की अनुमति होगी. दरअसल दिल्ली एनसीआर में वायु गुणवत्ता के लगातार गंभीर स्तर पर रहने की वजह से सरकारें लगातार कड़े कदम उठा रही है और ऐसी सभी गतिविधियों को नियंत्रित कर रही है जिससे प्रदूषण बढ़ता है.

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वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग के एक अधिकारी ने कहा कि प्रदूषण नियंत्रण प्राधिकरणों को निर्देश दिया गया है कि वे कोयला समेत बिना मंजूरी वाले ईंधन का उपयोग करने वाले उद्योगों और वाणिज्यिक प्रतिष्ठानों पर सख्ती दिखाते हुए उन्हें तुरंत बंद करें. उन्होंने कहा कि केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के दिशानिर्देश के तहत उनसे अधिकतम जुर्माना लिया जाएगा.

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अधिकारी ने साफ किया कि निजी उपयोग वाले बिजलीघरों को कम सल्फर वाले कोयले के उपयोग की अनुमति होगी. इसका उपयोग बिजली उत्पादन में किया जा सकता है.

लकड़ी और जैव ईंधन का उपयोग धार्मिक उद्देश्यों और दाह संस्कार के लिये किया जा सकता है. लकड़ी या बांस के चारकोल का उपयोग होटल, रेस्तरां, बैंक्वेट हॉल (उत्सर्जन नियंत्रण प्रणाली के साथ) और खुले भोजनालयों या ढाबों में किया जा सकता है. कपड़ा प्रेस करने के लिए लकड़ी के चारकोल के उपयोग की अनुमति है. आयोग ने इस साल जून में राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली में एक जनवरी, 2023 से उद्योग, घरेलू और अन्य विविध कार्यों में कोयले के उपयोग पर पाबंदी लगाने का निर्देश दिया था.

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एक अनुमान के अनुसार, दिल्ली और आसपास के क्षेत्रों (एनसीआर) में विभिन्न औद्योगिक कार्यों में सालाना लगभग 17 लाख टन कोयले का उपयोग होता है. इसमें 14 लाख टन का उपयोग छह बड़े औद्योगिक जिलों में हो रहा है.