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Delhi Mumbai Expressway: दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे से जुड़ेंगे 6 बड़े शहर, जानिए नया रूट

Delhi Mumbai Expressway Update: दिल्ली से मुंबई तक बनाए जाने वाले दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस-वे (Delhi-Mumbai Expressway) का कार्य बहुत तेजी से चल रहा है. दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे (Delhi-Mumbai Expressway) देश का सबसे लंबा एक्सप्रेसवे है. आइए जानते है इसके बारे में विस्तार से.
 
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Delhi Mumbai Expressway: दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे से जुड़ेंगे 6 बड़े शहर, जानिए नया रूट

HR Breaking News (ब्यूरो) : इसको लेकर उम्मीद जताई जा रही है कि 2023 के अंत तक इस कॉरिडोर का काम पूरा हो जाएगा. दिल्ली से हरियाणा, राजस्थान, मध्य प्रदेश और गुजरात से होकर गुजरने वाले दिल्ली- मुंबई एक्सप्रेसवे से दिल्ली से मुंबई का सफर महज 12 से 13 घंटे में पूरा हो सकेगा.


देश का सबसे लंबा एक्सप्रेसवे


1,382 किलोमीटर लंबा दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे (Delhi-Mumbai Expressway) देश का सबसे लंबा एक्सप्रेसवे है. यह हरियाणा के 3 जिले, राजस्थान के 7 जिले, एमपी के 3 जिले, गुजरात के 3 जिलों से गुजर रहा है. इस एक्सप्रेसवे के चालू हो जाने पर दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे से जयपुर, अजमेर, कोटा, उदयपुर, इंदौर, अहमदाबाद, सूरत और वडोदरा जैसे महत्वपूर्ण शहरों के बीच आवागमन सुविधाजनक हो जाएगा.

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 यह हरियाणा के 3 जिले, राजस्थान के 7 जिले, एमपी के 3 जिले, गुजरात के 3 जिलों से गुजर रहा है। इस एक्सप्रेसवे के चालू हो जाने पर दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे से जयपुर, अजमेर, कोटा, उदयपुर, इंदौर, अहमदाबाद, सूरत और वडोदरा जैसे महत्वपूर्ण शहरों के बीच आवागमन सुविधाजनक हो जाएगा.


2019 को रखी गई थी नींव


8 लेन दिल्ली मुंबई एक्सप्रेसवे (Delhi-Mumbai Expressway) की आधारशिला केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने 9 मार्च 2019 को रखी थी. एक्सप्रेसवे का सबसे ज्यादा हिस्सा गुजरात में (426 किमी) में आता है. फिर राजस्थान में 373 किमी, मध्यप्रदेश में 244 किमी, महाराष्ट्र में 171 किमी औरहरियाणा में 129 किमी हिस्सा आता है.

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आम जनता के लिए खुलेगा जल्द


जनवरी 2023 में हरियाणा से राजस्थान के बीच के कॉरिडोर की शुरुआत होने जा रही है. ट्रायल रन के फौरन बाद इसे आम जनता के लिए खोल दिया जाएगा. 08 लेन वाले 1380 किमी लंबे दिल्ली मुम्बई कॉरिडोर एक्सप्रेस-वे का यह पहला फेज है, जो 210 किमी में बना है. दिल्ली मुम्बई कॉरिडोर का एक हिस्सा दिल्ली दौसा कॉरिडोर है. जो अब पूरी तरह बनकर तैयार है.

 
लॉकडाउन की वजह से हुई देरी


दिल्ली मुंबई के बीच बनने वाले देश के सबसे बड़े एक्सप्रेसवे को लगभग 98,233 करोड़ रुपए की लागत आएगी. Delhi Mumbai Expressway को ग्रीनफील्ड एक्सप्रेस-वे के नाम से भी जाना जाएगा. ये पूरा एक्सप्रेस-वे 8 लेन का होगा.

दिल्ली मुंबई 8 लेन ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे का काम 9 मार्च 2019 से शुरु हुआ. इसे मार्च 2023 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया था लेकिन NHAI के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि अब इसे पूरा करने के लिए मार्च 2024 का लक्ष्य रखा गया है. भुमि अधिग्रहण और कोविड की वजह से लगे लॉकडाउन की वजह से इसमें देरी हुई है.

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50 साल तक जस का तस रहेगा ये एक्सप्रेस-वे


इस एक्सप्रेसवे को जर्मन तकनीक से बनाया जा रहा है. इस एक्सप्रेसवे पर सुरक्षा की दृष्टि से हर 500 मीटर पर सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएंगे. इसके अलावा इस पूरे एक्सप्रेसवे को एलिवेटेड बनाया जा रहा है इस एक्सप्रेसवे पर कहीं पर भी स्पीड ब्रेकर नहीं होगा साथ ही सड़क पर कोई जानवर ना आए इसके लिए खास इंतजाम किए गए हैं.


टोल वसूलने के लिए भी खास तरीका अपनाया


इस एक्सप्रेस-वे पर टोल वसूलने के लिए भी खास तरीका अपनाया गया है इसीलिए जब आप इस टोल पर गाड़ी चलाएंगे तो आपको केवल उतना ही टोल का भुगतान करना होगा जितने किलोमीटर आपकी गाड़ी चलेगी. मिनी बसों का 1.05 रुपए, बसों और ट्रकों से 2.20 रुपए, जेसीबी जैसी भारी मशीनरी पर 3.45 रुपए और अन्य भारी वाहनों पर 4.20 रुपए प्रति किलोमीटर टोल टैक्स वसूला जाएगा.


इमरजेसी में हो सकती है प्लेन लैंडिंग


इस एक्सप्रेस-वे को इस तरह डिजाइन किया गया है कि कुछ जगहों जहां हाई टेंशन तार नहीं हैं, वहां जरूरत पड़ने पर इस पर इमरजेंसी में प्लेन की भी लैंडिंग कराई जा सकती है. इस एक्सप्रेस-वे पर 120 किलोमीटर की रफ्तार से गाड़ियां दौड़ सकेंगी. इसके चालू होने के 08 महीनों के अंदर इस पर पेट्रोल-सीएनजी पम्प, इलेक्ट्रिकल व्हीकल चार्जिंग स्टेशन, रेस्तरां और होटल जैसी सुविधाओं को भी शुरू किए जाने का लक्ष्य है.  

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एक्सप्रेस-वे की खासियत


दिल्ली मुंबई एक्सप्रेसवे (Delhi-Mumbai Expressway) की आधारशिला नौ मार्च 2019 को रखी गई थी. यह एशिया का पहला और दुनिया का दूसरा एक्सप्रेसवे है जहां वन्य जीवों के लिए ओवरपास की सुविधा दी गई है. इसके निर्माण में 12 लाख टन स्टील का इस्तेमाल होगा जो 50 हावड़ा ब्रिज के बराबर है. साथ ही इसमें 35 करोड़ क्यूबिक मीटर मिट्टी और 80 लाख टन सीमेंट का इस्तेमाल होगा. यह सीमेंट देश की सालाना उत्पादन क्षमता के दो फीसदी के बराबर है. इसके निर्माण पर करीब एक लाख करोड़ रुपये का खर्च आने का अनुमान है.


एक्सेस कंट्रोल होगा एक्सप्रेस-वे


यह एक्सप्रेस-वे एक्सेस कंट्रोल है. इसका मतलब है कि हाईवे के बीच में एक तरफ से दूसरी तरफ कोई भी आ जा नहीं सकेगा. एक्सप्रेसवे का निर्माण पूरा होने के बाद फ्यूल की खपत में 32 करोड़ लीटर की कमी भी आएग. साथ ही कार्बन डाई ऑक्साइड (CO2) उत्सर्जन में 85 करोड़ किलोग्राम की कमी आएगी जो कि चार करोड़ पेड़ लगाने के बराबर है. यह पर्यावरण के लिए काफी फायदेमंद होगा. हाइवे पर हर 500 मीटर पर रेन वॉटर हार्वेसटिंग सिस्टम होगा. साथ ही एक्सप्रेसवे के दोनों तरफ 40 लाख पेड़ लगाए जाने की योजना है.

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वाइल्ड लाइफ का खास ध्यान


यह एशिया का पहला ऐसा हाईवे हैं जिसके निर्माण में वन्यजीवों के लिए ग्रीन ओवरपास की सुविधा दी जाएगी. इसके अंतर्गत आठ लेन की दो सुरंग बनाई जाएगी. इनमें से एक सुरंग पहले राजस्थान के मुकुंदरा सेंक्चुरी के नीचे से बनाई जा रही है. दूसरी सुरंग महाराष्ट्र के माथेरान ईको सेंसिटिव जोन में बनाई जाएगी. इसकी लंबाई भी चार किलोमीटर है. केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि यह एक्सप्रेस-वे मुकंदरा और रणथंभौर से होकर भी गुजर रहा है. ऐसे में वन्यजीवों को प्रकार की परेशानी नहीं हो इसके लिए साइलेंट कॉरिडोर लाया जा रहा है.