High Court Decision : इलाहबाद हाईकोर्ट ने किया स्पष्ट, इस दस्तावेज से क्लीयर होगा मालिकाना हक
High Court Decision : हर किसी का सपना होता है कि वो खुद का घर खरीदें। हाल ही में इलाहबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने क्लीयर कर दिया है कि इस दस्तावेज के बिना मालिकाना हक नहीं मिलने वाला है। इसकी वजह से आम लोगों की परेशानी बढ़ने वाली है। आइए जानते हैं इस बारे में पूरी जानकारी।
HR Breaking News - (property ownership Rule)। अगर आप घर की खरीदी कर रहे हैं तो आपको कुछ बातों का ध्यान देना चाहिए। अगर आप इन दस्तावेजों के बिना घर की खरीदी करते हैं तो आपकी परेशानी बढ़ सकती है। इस दस्तावेज (property documents) के बिना मालिकाना हक नहीं मिल सकता है। आज हम आपको इस खबर के माध्यम से इस बारे में पूरी जानकारी देने जा रहे हैं। खबर में जानिये इस बारे में।
भूमि आवंटन हुआ प्रारम्भ-
इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court News) ने बताया कि किसी जमीन का मालिकाना हक नक्शे से नहीं वैध दस्तावेजों से साबित होता है। दस्तावेजों के विपरीत क्षेत्रधिकार से बाहर किया गया भूमि आवंटन प्रारम्भतः शून्य ही माना जाने वाला है। इस टिप्पणी के साथ न्यायमूर्ति ने याचिका खारिज करते हुए नगर पालिका परिषद स्याना की याचिका को स्वीकार कर लिया है। इसके साथ ही कोर्ट (Court News) ने विवादित जमीन की प्रविष्टि 1975 से पूर्व की स्थिति में बहाल करते हुए भूमि प्रबंधन का जिम्मा नगर पालिका परिषद स्याना को सौंपा जाने वाला है। है।
इस अधिनियम के तहत लिया गया फैसला-
मामला बुलंदशहर के सराय गांव की सभा लगभग दो बीघा भूमि से जुड़ा रहने वाला है। साल 1975 में ग्राम सभा सराय ने अपने प्रस्ताव में इस भूमि का पट्टा गुरु सिंह सभा गुरुद्वारा कमेटी के नाम स्वीकृत किया जा रहा था, इसे उपजिलाधिकारी ने 3 फरवरी 1975 को मंजूरी प्रदान कर दी थी।
बाद में गुल्लू शाह नामक व्यक्ति ने इस पट्टे को चुनौती देते हुए धारा 198(4) के तहत उत्तर प्रदेश जमींदारी विनाश एवं भूमि सुधार अधिनियम, 1950 के तहत निरस्तीकरण की कार्यवाही को दायर कर दिया था। लंबी न्यायिक प्रक्रिया के बाद यह मामला राजस्व न्यायालयों से होते हुए हाईकोर्ट (High Court) तक पहुंच गया।
भूमि आवंटित करने का नहीं है अधिकार-
नगर पालिका परिषद की अधिवक्ता तनीषा जहांगीर मुनीर ने गुहार लगाई कि प्रश्नगत भूमि नगर पालिका परिषद के अधिकार क्षेत्र की है। गांव सभा को भूमि आवंटित करने का कोई विधिक अधिकार नहीं था। लिहाजा, यह आवंटन प्रारम्भतः शून्य रहने वाली है। कोर्ट ने नगर पालिका परिषद की याचिका को स्वीकार कर लिया है। इसके साथ ही ये भी स्पष्ट किया गया है कि बिना अधिकार क्षेत्र के किया गया ऐसा आवंटन “क्षेत्राधिकार से बाहर और प्रारंभतः शून्य माना जाएगा। इस हिसाब से, कोर्ट ने आगे से प्रश्नगत भूमि का प्रबंधन नगर पालिका परिषद करेगी।
