Ancestral Property : कानूनी जानकारी, पुश्तैनी प्रॉपर्टी में ऐसे ले सकते हैं अपना हक

HR Breaking News (डिजिटल डेस्क)। विनीता पुश्तैनी और पिता की प्रॉपर्टी में अपना हिस्सा चाहती हैं। लेकिन, उन्हें दावे की प्रक्रिया के बारे में नहीं पता है। वह इस बारे में हर जरूरी जानकारी चाहती हैं। आइए, देखते हैं कि एक्सपर्ट उन्हें क्या राय दे रहे हैं।
दिलसेविल के संस्थापक राज लखोटिया कहते हैं कि मान लेते हैं कि विनीता पुश्तैनी प्रॉपर्टी में कानूनी वारिस (Legal heir in ancestral property) हैं और उनके पिता बिना वसीयत किए दुनिया से गुजर गए। इस तरह प्रॉपर्टियों का बंटवारा (division of properties) उत्तराधिकारियों में नहीं हो सका।
विनीता को चाहिए कि वह इन सभी प्रॉपर्टियों के संदर्भ में सक्सेशन सर्टिफिकेट के लिए अप्लाई करें। सक्सेशन सर्टिफिकेट यानी उत्तराधिकार प्रमाणपत्र कानूनी उत्तराधिकारी को सत्यापित करता है। यह उन्हें उत्तराधिकार कानूनों के अनुसार मृतक की चल-अचल संपत्ति को पाने का हक देता है। इनमें बैंक बैलेंस, फिक्स्ड डिपॉजिट, शेयर, म्यूचुअल फंड, निवेश इत्यादि शामिल हैं। सक्सेशन सर्टिफिकेट मिलने के बाद वह प्रॉपर्टियों को अपने नाम ट्रांसफर करा सकती हैं।
सक्सेशन सर्टिफिकेट पाने के लिए विनीता को सिविल कोर्ट या हाई कोर्ट में एप्लीकेशन फाइल करनी होगी। जिस कोर्ट में आवदेन किया जा रहा है, प्रॉपर्टी को उसके क्षेत्राधिकार में होना चाहिए।
आइए, अब समीर का सवाल लेते हैं।
समीर छह भाई-बहन हैं। 1984 में उनके पिता का निधन बिना वसीयत किए हो गया। उनकी संपदा में ईपीएफ की बचत, शेयर और प्रतिभूतियां शामिल हैं। उनकी मौजूदा वैल्यू 5 करोड़ रुपये से ज्यादा है। सक्सेशन सर्टिफिकेट पाने के लिए उनके बड़े भाई ने सभी से हलफनामे में साइन करने के लिए कहा था। उन्हें बताया गया था कि कोर्ट किसी एक के नाम सर्टिफिकेट जारी करेगा। सर्टिफिकेट पाने के बाद अब भाई का कहना है कि हलफनामे पर हस्ताक्षर करके हम सभी ने अपने अधिकार उनके नाम कर दिए हैं। हम क्या कर सकते हैं?
राज लखोटिया कहते हैं कि सही उत्तराधिकारी के तौर पर अपने हिस्से को पाना बहुत मुश्किल है। वजह है कि समीर पहले ही एफिडेविट के रूप में एनओसी पर साइन कर चुके हैं। इसके तहत सक्सेशन सर्टिफिकेट पाने के लिए सभी अधिकार उनके भाई के नाम किए जा चुके हैं।
हालांकि, कानून के अनुसार (according to the law) जहां अधिकार है, वहां समाधान भी है। समीर अपने भाई के खिलाफ धोखाधड़ी की शिकायत कर सकते हैं। इसमें आईपीसी के तहत मुकदमा चलेगा। फौरी तौर पर उन्हें संबंधित कोर्ट से स्टे ऑर्डर लेना चाहिए जब तक केस पूरा नहीं हो जाता है। समीर को इसमें साबित करना होगा कि वाकई में उन्हें इस बारे में जानकारी नहीं थी।