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Dadi Love Story: 67 साल की रामकली का 28 साल के पोते पर आया दिल, लिव इन में रहने के लिए खड़खड़ाया कोर्ट का दरवाजा

प्यार कब किससे हो जाए कोई पता नहीं है ऐसा ही कुछ इस कहानी में हुआ है। जहां 67 साल की रामकली का 28 साल के पोते भोलू पर दिल आ गया। जिसके दोनों ने लिव इन में रहने के लिए कोर्ट पहुंच गए।
 
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Dadi Love Story: 67 साल की रामकली का 28 साल के पोते पर आया दिल, लिव इन में रहने के लिए खड़खड़ाया कोर्ट का दरवाजा

HR Breaking News, डिजिटल डेस्क नई दिल्ली, ‘न उम्र की सीमा हो न जन्मों का हो बंधन, जब प्यार करे दो दिल तो निर्मल हो तनमन’ इस गाने का मतलब यही है कि प्यार में उम्र की कोई सीमा नहीं होती है. उम्र का फर्क प्यार के आड़े नही आता है. ऐसे ही प्यार करने वाले अनोखे जोड़े की कहानी सामने आई है. जहां 67 साल की रामकली को 28 साल के भोलू से प्यार हुआ और दोनों लिव इन मे रहने लगे. आखिर में दोनों ने सालभर पहले अपने लिव इन रिलेशन को दस्तावेज की मान्यता देने के लिए नोटरी कराई है.

67 साल की रामकली का 39 साल छोटे लड़के पर दिल आया. लिव इन रिलेशन के मामले आम तौर पर बड़े शहरों में देखने को मिलते हैं, लेकिन ग्वालियर में भी लिव इन का चलन बढ़ रहा है. चंबल में लिव इन रिलेशन का एक अनोखा मामला है, जहां 67 साल की रामकली 28 साल के भोलू के साथ लिव इन रिलेशन संबंधी दस्तावेजों को नोटराइज्ड कराया. मुरैना जिले के कैलारस के रहने वाले 67 साल की रामकली को 28 साल के भोलू से प्यार हो गया. दोनों इस प्यार करते हैं लेकिन शादी के बंधन में नही बंधना चाहते है.

दोनों ने लिव इन रिलेशन को चुना है, लिहाजा रामकली और भोलू ग्वालियर के जिला अदालत पहुंचे और दोनों ने लिव इन रिलेशन की नोटरी कराई. रामकली और भोलू का कहना है कि दोनों एक दूसरे से प्रेम करते हैं और साथ रहना चाहते हैं दोनों बालिग हैं लिव इन रिलेशन में रहने के दौरान भविष्य में किसी तरह का विवाद ना हो इसके लिए विभिन्न रिलेशन की नोटरी कराने आएं हैं.


ग्वालियर के एडवोकेट दिलीप अवस्थी ने बताया कि आजकल महिला और पुरुष जब लिव इन रिलेशन में रहते हैं, तो कई बार उनके बीच मतभेद होने लगते हैं. जब लिव इन जोड़े की जाति अलग हो या फिर उम्र में फासला हो तो ऐसे लिव इन जोड़ों के बीच विवाद ज्यादा होते हैं. वहीं कई जोड़े एक दूसरे की नौकरी को लेकर भी अहम का टकराव होने लगता है, फिर मामले थाने तक पहुंचते हैं. यही वजह है कि ऐसे जोड़े विवादों से बचने के लिए लिव इन रिलेशन की नोटरी तैयार कराते हैं. हालांकि कानूनी रूप से ऐसे दस्तावेज का कोई औचित्य नहीं होता. कांटेक्ट एक्ट केवल मुसलमानों में ही मान्य होता है. हिंदुओं के लिए नहीं है, क्योंकि विवाह अनुबंध की श्रेणी में नहीं आता है.