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Daughter Property Rights : इन बेटियों को नहीं मिलेगा पिता की संपत्ति में हिस्सा, सुप्रीम कोर्ट ने किया साफ

Property Rights :जब बात पिता की संपत्ति में बेटे और बेटी के अधिकार की आती है तो ज्यादातर का मानना है कि दोनों का बराबर का हक होता है। लेकिन ऐसा नहीं है। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court Decision) ने अपने एक फैसले में यह स्पष्ट किया है कि इस स्थिति में बेटी अपने पिता की संपत्ति में कोई हकदार नहीं होती है। आईये नीचे खबर में जानते हैं - 

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Daughter Property Rights : इन बेटियों को नहीं मिलेगा पिता की संपत्ति में हिस्सा, सुप्रीम कोर्ट ने किया साफ

HR Breaking News (property rights) - इस बार में कोई दौराय नहीं है कि भारतीय कानून में बेटियों को संपत्ति में बेटे के बराबर का अधिकार दिया गया है। लेकिन जो बेटी अपने पिता (Daughter's right in father's property) से कोई संबंध नहीं रखती है तो वह पिता से किसी भी प्रकार की कोई फाइनेंशियल सहायता की हकदार नहीं है। इसके साथ ही उसका अपने पिता की संपत्ति पर भी कोई अधिकार नहीं रह जाता है। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court Decision) ने एक अहम फैसले में यह बात साफ की है।  

 

 

इस स्थिति में बेटी को पिता की ंसंपत्ति में नहीं मिलेगा अधिकार

 

 

जस्टिस एमएम सुंदरेश (MM Sundresh) और जस्टिस संजय किशन कौल की खंडपीठ ने तलाक के एक मामले पर सुनवाई करते हुए अहम फैसला सुनाया है। कोर्ट का कहना है कि अगर बेटी की उम्र 20 साल या अधिक है और वह अपने पिता के साथ केाई रिश्ता नहीं रखना चाहती है तो ऐसी स्थिति में उसे अपने पिता से शिक्षा और शादी के लिए पैसे मांगने का कोई अधिकार नहीं है। इसके साथ ही बेटी का पिता की संपत्ति में भी (Daughter's right in father's property) कोई हक नहीं रह जाता है। 

 


जानिये क्या है पूरा मामला


याचिकाकर्ता ने अपनी बीवी से अलग होने के लिए शर्षी अदाल में याचिका दर्ज करवाई थी। सुप्रीम कोर्ट ने तलाक की अर्जी को स्वीकार कर लिया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सबूतों और तर्कों से पता चला है कि पत्नी अपने भाईयों के साथ रहती है  पति उसकी और बेटी की शिक्षा का खर्च उठा रहा है। पति की ओर से पत्‍नी को अंतरिम गुजारा भत्ता (Interim Alimony) के तौर पर 8000 रुपये हर महीने दिए जा रहे हैं। कोर्ट ने कहा कि गुजारा भत्ता और अन्य सुविधाओं के एवज में  पति एक साथ पत्नी को 10 लाख रुपए भी दे सकता है।

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court)ने अपने फैसले में यह भी कहा कि अगर मां अपनी बेटी की शिक्षा और विवाह का खर्चा उठाती है तो यह रकम उसके पास रहेगी। यदि वह ऐसा नहीं करती है तो पिता द्वारा दिए जाने वाले पैसे बेटे को दिए जाएंगे। जिला अदालत में पति ने तलाक की याचिका दी थी जिसको स्वीकार कर लिया गया था। लेकिन पत्‍नी की ओर से जिला अदालत के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी।


बाद में मामले पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट (High Court) ने जिला अदालत के फैसले को खारिज कर दिया था। इसके बाद पति ने सुप्रीम कोर्ट में इंसाफ की गुहार लगाई थी। सुप्रीम कोर्ट की ओर से मध्यस्थता केंद्र ने पति-पत्‍नी को फिर से एक करने की कोशिश की गई लेकिन ऐसा नहीं हो पाया। दोनों ही तलाक की मांग पर अड़े रहे।