Delhi High Court : क्या बहू को घर से निकाल सकते हैं सास-ससुर, साझा घर में बहू के अधिकार पर हाईकोर्ट का अहम निर्णय

HR Breaking News, Digital Desk- (Delhi High Court) दिल्ली हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया है कि एक बहू का अपने ससुराल वालों के 'साझा घर' में रहने का कोई अपरिहार्य अधिकार नहीं है। अदालत ने स्पष्ट किया कि ससुराल वालों को उनकी संपत्ति (property) से बेदखल नहीं किया जा सकता है, जिससे संपत्ति विवाद में बहू को एक महत्वपूर्ण झटका लगा है। यह फैसला बहू के अधिकारों और ससुराल वालों के संपत्ति अधिकारों के बीच संतुलन स्थापित करता है। (property news)
जस्टिस प्रतिभा एम. सिंह ने हाल ही पारित अपने फैसले में कहा है कि ‘साझा घर’ की अवधारणा स्पष्ट रूप से यह कहती है कि एक साझा घर में बहू का अधिकार एक अपरिहार्य अधिकार नहीं है और ससुराल वालों के इससे बाहर नहीं निकाला जा सकता है।
उन्होंने कहा कि बहू अपने वैवाहिक घर (marital home) या साझा घर में रहने के अधिकार का दावा करते हुए यह दलील नहीं दे सकती है कि साझा घर में ससुराल वाले उसके साथ नहीं रह सकते। जस्टिस प्रतिभा सिंह ने कहा है कि ‘अगर ऐसी परिस्थितियां मौजूद हैं जो दर्शाती हैं कि वे एक साथ नहीं रह सकते हैं, तो बहू के लिए वैकल्पिक आवास भी तलाशे जा सकते हैं।’ (daughter in law property rights)
उच्च न्यायालय (High court) ने संभागीय आयुक्त के 31 मार्च के आदेश को चुनौती देने वाली बहू की याचिका पर सुनवाई की। बहू ने अपने पति और ससुराल वालों के खिलाफ याचिका दायर की थी, जिसमें 'माता-पिता एवं वरिष्ठ नागरिक (senior citizen) देखरेख व कल्याण अधिनियम' के तहत साउथ एक्सटेंशन स्थित घर से उसे बेदखल करने की मांग की गई थी।
जिलाधिकारी ने बहू को घर खाली करने का आदेश दिया था, लेकिन संभागीय आयुक्त ने इस आदेश को पलट दिया और बहू को घर में रहने की अनुमति दे दी। हालांकि, संभागीय आयुक्त ने यह भी कहा कि वरिष्ठ नागरिक ससुराल वाले भी उसी घर में रहेंगे। बहू ने इस शर्त को हाईकोर्ट (High court) में चुनौती दी थी।