Delhi High Court : क्या WhatsApp Chat या वीडियो को कोर्ट में सबूत के तौर पर कर सकते है पेश, जान लें दिल्ली होईकोर्ट का जवाब
HR Breaking News, Digital Desk- Is WhatsApp chat as evidence in court in India : सोशल मीडिया का जमाना है और लोग भर-भर के इसका इस्तेमाल कर रहे है। पूरी दुनिया में व्हाट्सएप एक ऐसा ऑनलाइन प्लेटफॉर्म बन चुका है जिसके जरिए अब सिर्फ पर्सनल चैट नहीं बल्कि प्रोफेशनली भी लोग वर्क कर रहे हैं। जहां पहले दोस्त-यार या रिश्तेदारों से जुड़े रहने के लिए व्हाट्सएप का इस्तेमाल होता था, वहीं, अब ऑफिशियल बातचीत या काम के लिए भी ऐप का काफी यूज किया जा रहा (whatsapp news) है। एक दूसरे को दस्तावेज भेजने से लेकर अन्य कोई जानकारी देने तक के लिए ऐप को यूज किया जा रहा (delhi court) है।
देखा जाए तो पिछले कुछ सालों की तुलना में व्हाट्सएप इतना प्रसिद्ध हो गया है कि इसकी चैट्स और वीडियो को लोग सबूत के तौर पर भी इस्तेमाल करने की सोचते हैं, लेकिन क्या कोर्ट की नजर में ये मान्य है? क्या भारतीय कानून के तहत व्हाट्सएप चैट या वीडियो को सबूत माना जाता है? इस पर दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi Highcourt) का क्या कहना है, आइए जानते हैं।
व्हाट्सएप चैट पर हाईकोर्ट का आदेश
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि हाल ही में दिल्ली हाईकोर्ट ने एक फैसला सुनाया (High Court Order on WhatsApp Chat) और उस दौरान कोर्ट ने ये भी साफ कहा कि व्हाट्सएप चैट कानून की नजर में एक मान्य सबूत नहीं है। बिना प्रॉपर सर्टिफिकेट के व्हाट्सएप चैट की कोई मान्यता नहीं होगी। इसे सबूत के तौर पर इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है। दरअसल, दिल्ली हाईकोर्ट का कहना है कि भारतीय साक्ष्य अधिनियम 1872 (Indian Evidence Act 1872) के तहत किसी भी सबूत को तभी माना जाता है जब उसे जरूरी प्रमाण पत्र के साथ पेश किया जाता है, लेकिन कोर्ट की नजर में व्हाट्सएप चैट मान्य नहीं है।
अनिवार्य सर्टिफिकेट के बिना व्हाट्सएप वीडियो को भी सबूत नहीं माना जा सकता है। बता दें कि एक मामले की सुनवाई के दौरान दिल्ली हाई कोर्ट ने व्हाट्सएप चैट के कानूनी सबूत न होने की पुष्टि की है।
आखिर क्या था मामला
बता दें कि साल 2022 में डेल इंटरनेशनल सर्विसेज इंडिया प्राइवेट लिमिटेड (Dell International Services India Private Limited) के खिलाफ एक ग्राहक ने शिकायत दर्ज की थी। शिकायत में देरी होने के कारण उपभोक्ता अदालत की ओर से डेल पर जुर्माना लगाया गया। हालांकि, इस पर डेल का कहना है कि उन्हें शिकायत की पूरी कॉपी नहीं दी गई थी जिस वजह से जवाब में देरी हुई। अपनी बात को साबित करने के लिए कंपनी की ओर से WhatsApp chat का एक स्क्रीनशॉट भी कोर्ट में पेश किया गया था, लेकिन इसे सबूत के तौर पर अपनाने से कोर्ट ने इनकार कर दिया।
व्हाट्सएप चैट के स्क्रीनशॉट (high court decision on WhatsApp chat screenshots) को लेकर कोर्ट ने कहा कि इसे सबूत नहीं माना जाएगा। दिल्ली हाईकोर्ट के जज ने कहा कि भारतीय साक्ष्य अधिनियम 1872 के तहत जरूरी प्रमाण पत्र वाले सबूत की ही मान्यता होती है। इसे सबूत न मानने के कारण दिल्ली हाईकोर्ट ने उपभोक्ता अदालत के फैसले को सही माना और डेल की याचिका को भी खारिज कर दिया गया।