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Delhi High Court Decision : पत्नी की परमिशन के बिना गहने ले जाने पर पति के खिलाफ लगेगी धारा 380

Delhi News : दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High court) ने पति-पत्नी के बीच जारी विवाद के एक मसले पर सुनवाई के बाद बड़ा फैसला सुनाया है। फैसले के मुताबिक कानूनन पति अपनी पत्नी से इजाजत लिए बगैर उसके गहने या अन्य कोई सामान नहीं ले सकता। ऐसा करना कानूनन सही होगा। देश का कानून ऐसा करने की इजाजत नहीं देता। आइए खबर में जानते है दिल्ली हाईकोर्ट के इस बारे में विस्तार से।
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HR Breaking News, New Delhi : दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा कि कानून एक पति को अनुमति (permission to husband) नहीं देता कि वह पत्नी की इजाजत के बिना उसके गहनों सहित सामान ले जाए। अदालत ने आरोपी पति की अग्रिम जमानत अर्जी खारिज करते हुए कहा कि किसी भी व्यक्ति को कानून अपने हाथों में लेने की अनुमति नहीं दी जा सकती।


न्यायमूर्ति अमित महाजन ने कहा कि पति के खिलाफ लगाए गए आरोप (allegations made against husband) तुच्छ नहीं हैं और इसलिए उसने अग्रिम जमानत देने से इनकार कर दिया। अदालत ने कहा कि भले ही याचिकाकर्ता शिकायतकर्ता का पति है, वह कानून के अनुसार उसे घरेलू सामान हटाने का अधिकार नहीं है। ऐसा करना कानूनन सही नहीं है। अदालत ने यह भी कहा कि पति जांच में शामिल नहीं हुआ है और सामान भी अब तक बरामद नहीं हुआ है। 


पत्नी ने आरोप लगाया था कि जब वह घर से बाहर थी तो उसके घर का सामान चोरी हो गया था। इस मामले में पति के खिलाफ आईपीसी की धारा 380 के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई थी।
 

दिल्ली सरकार अवैतनिक बकाये के भुगतान में योगदान की इच्छुक नहीं


एक अन्य मामले में डीएमआरसी ने बुधवार को उच्च न्यायालय को सूचित किया कि दिल्ली सरकार रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर की ओर से प्रवर्तित दिल्ली एयरपोर्ट मेट्रो एक्सप्रेस प्राइवेट लिमिटेड (डीएएमईपीएल) को मध्यस्थता निर्णय के अवैतनिक बकाये के भुगतान में योगदान करने से इनकार कर दिया।


दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरेशन (डीएमआरसी) द्वारा दाखिल हलफनामे के अनुसार दिल्ली सरकार (Delhi Government) ने दावा किया है कि वह मध्यस्थता राशि ब्याज सहित भुगतान के लिए इक्विटी के रूप में 3565।64 करोड़ रुपये की पेशकश करने की इच्छुक नहीं है।


न्यायमूर्ति यशवंत शर्मा के समक्ष केंद्र सरकार और डीएमआरसी की ओर से पेश अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमानी ने अदालत को बताया कि इस मुद्दे पर संबंधित अधिकारियों की ओर से सक्रिय रूप से विचार किया जा रहा है।अदालत ने उनका तर्क सुनने के बाद  मामले को अगली सुनवाई 19 जनवरी तय कर दी।


डीएमआरसी ने अदालत को सूचित किया कि वह इस दायित्व को पूरा करने के लिए खुले बाजार, बाहरी सहायता प्राप्त फंड या भारत सरकार से ऋण के माध्यम से धन प्राप्त कर सकता है। अदालत 11 मई 2017 के मध्यस्थता पुरस्कार को लागू करने की मांग वाली डीएएमईपीएल द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रही है।