home page

Delhi Metro : 17 रेलवे लाइनों के नीचे से गुजरेगी दिल्ली मेट्रो, इन इलाकों में बिछाई जाएगी नई मेट्रो लाइन

Delhi Metro : दिल्ली मेट्रो अपने विस्तार के चौथे चरण में 86 किमी नई लाइनों का निर्माण कर रही है. यह मार्ग 17 रेलवे लाइनों के नीचे से गुजरेगा, जो लगभग 110 मीटर चौड़ा क्षेत्र है. मेट्रो पहले भी रेलवे लाइनों के नीचे से गुजर चुकी है लेकिन यह पहली बार होगा जब मेट्रो का मार्ग इतनी बड़ी संख्या में रेलवे लाइनों के नीचे से गुजरेगा-

 | 
Delhi Metro : 17 रेलवे लाइनों के नीचे से गुजरेगी दिल्ली मेट्रो, इन इलाकों में बिछाई जाएगी नई मेट्रो लाइन

HR Breaking News, Digital Desk- (DMRC) दिल्ली मेट्रो अपने विस्तार के चौथे चरण में 86 किमी नई लाइनों का निर्माण कर रही है, जिसमें से 40.1 किमी अंडरग्राउंड (underground) होंगी. इस चरण में कुल पांच कॉरिडोर बनाए जाएंगे, जिनमें से तीन का निर्माण कार्य चल रहा है. ये कॉरिडोर हैं: जनकपुरी वेस्ट से आरके आश्रम, मजनू का टीला से मौजपुर, और एयरोसिटी से तुगलकाबाद. यह विस्तार दिल्ली की मेट्रो कनेक्टिविटी (metro connectivity) को और मजबूत करेगा.

इनमें से तुगलकाबाद-एयरोसिटी कॉरिडोर इंजीनियरिंग के लिए एक बड़ी चुनौती है. यह मार्ग 17 रेलवे लाइनों के नीचे से गुजरेगा, जो लगभग 110 मीटर चौड़ा क्षेत्र है. मेट्रो पहले भी रेलवे लाइनों के नीचे से गुजर चुकी है लेकिन यह पहली बार होगा जब मेट्रो का मार्ग इतनी बड़ी संख्या में रेलवे लाइनों के नीचे से गुजरेगा.

लंबी टनलिंग ड्राइव्स का रिकॉर्ड-
डीएमआरसी (DMRC) ने फेज-IV में अपने इतिहास की सबसे लंबी टनलिंग ड्राइव्स पूरी की हैं. सितंबर 2024 में जनकपुरी वेस्ट से आरके आश्रम मार्ग के बीच 3 किलोमीटर की टनलिंग ड्राइव पूरी हुई. इसके अलावा, गोल्डन लाइन पर तुगलकाबाद एयरफोर्स लॉन्चिंग शाफ्ट से मां आनंदमयी मार्ग तक 2.65 किलोमीटर की टनलिंग ड्राइव भी पूरी हुई. यह फेज-III की 1.6 किलोमीटर की सबसे लंबी टनलिंग ड्राइव (आश्रम से निजामुद्दीन) से काफी अधिक है, जो दिल्ली मेट्रो के निर्माण में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है.

तकनीकी चुनौतियां और समाधान-
डीएमआरसी (DMRC) अपनी भूमिगत सुरंगों के लिए दो मुख्य तकनीकों का उपयोग करता है. कट-एंड-कवर (cut-and-cover) पद्धति का इस्तेमाल भूमिगत स्टेशन बनाने के लिए किया जाता है, जबकि टनल बोरिंग मशीन (TBM) का प्रयोग घनी आबादी वाले इलाकों के नीचे सुरंगें खोदने के लिए किया जाता है. टीबीएम के उपयोग से सतह पर मौजूद इमारतों और संरचनाओं को कोई नुकसान नहीं होता. सदर बाज़ार जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में निर्माण कार्य के दौरान इमारतों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए विशेष उपकरणों से लगातार निगरानी की जाती है.

आगे की योजनाएं-
फेज-IV के अन्य दो कॉरिडोर – इंद्रलोक से इंद्रप्रस्थ और लाजपत नगर से साकेत G ब्लॉक, फिलहाल प्री-टेंडर स्टेज में हैं. यह फेज-IV विस्तार न केवल दिल्ली मेट्रो के नेटवर्क को मजबूत करेगा, बल्कि यातायात की बढ़ती जरूरतों को भी पूरा करेगा.