Divorce law : इन 9 वजहों के आधार पर कोर्ट में दाखिल कर सकते हैं तलाक का केस
HR Breaking News, Digital Desk- पिछले एक दशक में भारत में तलाक के मामले तेजी से बढ़े हैं. विधि मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार उत्तरप्रदेश तलाक के मामले में सबसे आगे है, वहीं पूर्ण साक्षर राज्य केरल का स्थान दूसरा है. आमतौर पर कोर्ट में तलाक के जो मामले आते हैं, उनकी कुछ खास वजहें हैं और वो कुछ आधार पर टिके होते हैं.
अगर पति या पत्नी में से कोई भी एक शादी के बाहर किसी के साथ यौन संबंध बनाता है तो ये तलाक के लिए बड़ा ग्राउंड है. इसमें आपसी सहमति के बिना कोर्ट में अपील की जा सकती है और कार्रवाई शुरू हो जाएगी. हालांकि व्यभिचार को साबित करने के लिए अर्जी लगाने वाले के पास पर्याप्त सबूत होने चाहिए.
शादी में क्रूरता भी तलाक का आधार है. अगर जोड़े में से एक व्यक्ति दूसरे के साथ मानसिक या शारीरिक क्रूरता करता है तो ये वजह अपने में काफी है. इसके तहत खाना न खाने देना, अपशब्दों का उपयोग, बाहर न निकलने देना, बात करने पर मनाही, अप्राकृतिक यौन संबंध बनाना जैसी तमाम बातें शामिल हैं.
दोनों में से किसी एक ने दूसरे को शादी के बाद दो सालों से छोड़ा हुआ हो यानी दोनों में से एक अनिच्छा से अलग रह रहा हो तो छोड़ा हुआ व्यक्ति तलाक का मामला दायर कर सकता है.
धर्म भी तलाक का आधार बन सकता है. पति या पत्नी में से किसी एक ने धर्मांतरण कर लिया हो और दूसरा उसके साथ रहने में सहज न हो तो इसी आधार पर तलाक लिया जा सकता है.
मानसिक रोग एकतरफा तलाक का बड़ा आधार हो सकता है. पति या पत्नी में से एक मानसिक रूप से अस्वस्थ हो तो उसके साथ रहना मुश्किल है. ऐसे मामले में कोर्ट तुरंत संज्ञान लेता है.
जोड़े में से कोई एक व्यक्ति यौन रोगों का शिकार हो तो भी शादी अमान्य हो सकती है. अगर साथी को ऐसी बीमारी है जो यौन संबंध बनाने पर फैल सकती है तो तलाकनामा दायर किया जा सकता है.
अगर जीवनसाथी लगातार सात सालों के लिए लापता रहे और उसके बारे में किसी से कोई खबर न मिल सके तो तलाक की अपील की जा सकती है.
धर्म तलाक का आधार बन सकता है अगर साथी किसी खास धर्म के खास नियम के तहत अगले की यौन जरूरतों या दूसरी सांसारिक जरूरतों को पूरी करने में सक्षम न रहे.
