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नोएडा में मकान मालिकों के लिए बडी खुशखबरी, 50 हजार फ्लैट की रजिस्ट्री का शुरू हो चुका प्रोसेस, चेक करें अपडेट

Noida Flats News: आपको बता दें कि नोएडा में पिछले समय में जिन लोगों ने भी घर या फ्लैट खरीदे थे उनके घरों की रजिस्ट्री नहीं हो पाई हैं। इसी के चलते यह बडा अपडेट आया हैं कि नोएडा में 50 हजार फ्लैट की रजिस्ट्री जल्द ही होने वाली हैं आइए जानते हैं किन लोगों को मिलेगा इसका लाभ...
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नोएडा में मकान मालिकों के लिए बडी खुशखबरी, 50 हजार फ्लैट की रजिस्ट्री का शुरू हो चुका प्रोसेस, चेक करें अपडेट

HR Breaking News (नई दिल्ली)। Noida Flats News: बिल्डर-बायर मसले पर कैबिनेट में मंजूर की गई आईएएस अमिताभ कांत कमेटी की पॉलिसी का गवर्नमेंट ऑर्डर (GO) गुरुवार को प्रदेश सरकार ने जारी कर दिया। इसमें पॉलिसी को लेकर मंजूर किए गए प्रावधान स्पष्ट हो गए हैं, जिसके आधार पर माना जा रहा है कि इसके लागू होने से रजिस्ट्री का इंतजार कर रहे बायर्स को मामूली राहत मिली है।

केवल उन्हीं घर खरीदारों की रजिस्ट्री के रास्ते निकलने के आसार हैं, जिनके बिल्डर पर अथॉरिटी का बहुत ज्यादा बकाया नहीं है। ऐसे बायर्स की संख्या 50 हजार के करीब है। बड़े बकाएदार बिल्डर के प्रोजेक्टों में रजिस्ट्री शुरू होने के आसार अभी भी बेहद कम हैं। दूसरी ओर यह माना जा रहा है कि बिल्डरों को छूट देने के जो प्रावधान किए गए हैं उनसे बिल्डरों का फंड का क्राइसिस थोड़ा कम होगा और फंसे हुए प्रॉजेक्टों में काम शुरू करने की बिल्डर हिम्मत जुटा सकेंगे।


बिल्डर पर कुल बकाया राशि का 25 प्रतिशत अथॉरिटी को देने के बाद फ्लैटों की रुकी हुई रजिस्ट्री शुरू हो सकेगी। हालांकि, यह प्रावधान तीनों अथॉरिटी में पहले से लागू है, लेकिन पहले बिल्डरों को ब्याज में छूट और तीन साल का निशुल्क एक्टेंशन नहीं मिल रहा था। इसके चलते बिल्डर 25 प्रतिशत पैसा जमा नहीं कर पा रहे थे। अब कम फंसे हुए प्रोजेक्टों वाले बिल्डर इसे आसानी से कर सकेंगे, क्योंकि उन्हें करोड़ों की छूट मिल जाएगी, लेकिन 700 करोड़ से अधिक बकाया वाले बिल्डरों के लिए यह अभी भी काफी मुश्किल है, इसलिए जानकारों के मुताबिक ऐसा माना जा रहा है कि जिले में रजिस्ट्री शुरू होने का करीब डेढ़ लाख बायर्स इंतजार कर रहे हैं। इन में करीब 50 हजार प्लैटों की रजिस्ट्री अब शुरू होने के चांस बढ़ गए हैं।


रेजिडेंशियल प्रॉजेक्ट पर लागू होंगी पॉलिसी की शर्ते -

  • यदि बिल्डर किसी प्रोजेक्ट को पूरा नहीं कर पा रहा है तो उसके लिए को-डिवेलपर लाने की प्रक्रिया को आसान दिया गया है। साथ ही प्रोजेक्ट सरेंडर करने की प्रक्रिया भी काफी आसान हो गई है। उसे पूरे करने के दूसरे रास्ते आसानी से अब निकाले जा सकते हैं।
  • बिल्ड़रों का डायरेक्ट छूट का सबसे बड़ा प्रावधान तीन साल का निशुल्क टाइम एक्सटेंशन दिए जाने का किया गया है। इससे बिल्डर सीधे काम शुरू कर सकेगा। पहले टाइम एक्सटेंशन लेने के लिए अथॉरिटी को करोड़ों देना पड़ रहा था। इसलिए बिल्डर प्रोजेक्ट को बीच में छोड़ रहे थे।
  • 2020 से 2022 तक का जीरो पीरियड का लाभ बिल्डरों को टारगेट के अनुसार फ्लैट तैयार करने की शर्त के साथ दिया गया। इसके अलावा एनजीटी के आदेश के समय का जीरो पीरियड का लाभ भी बिल्डर प्रॉजेक्ट कंडीशन के आधार पर ले सकेंगे।
  • बिल्डरों के लिए परमिशन टू मार्जेग की शर्तों को आसान कर दिया गया है। इससे यह फायदा होगा कि बिल्डरों को प्रॉजेक्ट शुरू करने के लिए बैंकों और मार्केट से लोन मिल सकेगा।
  • बिल्डरों पर बकाया राशि की पुनर्गणना हो सकेगी, जिससे बिल्डरों को अपना वर्तमान में फाइनल बकाया पता चल सकेगा।
  • अतिरिक्त एफएआर की प्रक्रिया भी बिल्डरों के लिए थोड़ा आसान हो गई है, जिससे बिल्डर अतिरिक्त फ्लैट प्रोजेक्ट में बना सकेंगे और उन्हें बेचकर अधूरे फ्लैटों पूरा कर सकेंगे। इससे फंड का क्राइसिस थोड़ा कंट्रोल होगा।
  • बिल्डर पर 100 करोड़ का बकाया राशि एक साल में देने, 500 करोड़ का बकाया राशि दो साल में देने और 500 करोड़ से अधिक की बकाया राशि उससे ज्यादा वर्षों में देने का प्रावधान किया गया है। इससे बिल्डरों पर जल्दी अथॉरिटी को पैसा देने का दबाव नहीं रहेगा।


पॉलिसी की शर्तों में किया गया है संशोधन -

अमिताभ कांत की पॉलिसी में कुल 17 सिफारिशें दी गई हैं, जिनमें करीब 40-50 प्रतिशत सिफारिशों को संशोधन के साथ प्रदेश सरकार ने मान लिया है। बायर्स को सीधे फायदा पहुंचाने के लिए सबसे बड़ी सिफारिश अमिताभ कांत पॉलिसी की यह थी कि अथॉरिटियों के बिना किसी हस्तक्षेप के लोगों की रजिस्ट्री होनी चाहिए, लेकिन इसे नहीं माना गया है। जहां तक बिल्डरों को डायरेक्ट रिलीफ की बात है तो अधूरे प्रॉजेक्ट पूरे हो सकेंगे इसी को ध्यान में रखते हुए बिल्डरों को छूटों का लाभ दिया गया है। जिससे लोगों को घर मिल सकेंगे।

अपने फ्लैट की रजिस्ट्री कराने की तैयारी कर सकते हैं बायर्स -
बड़ी संख्या में बायर वर्षों से अपने घर में रह रहे हैं, लेकिन उनकी रजिस्ट्री नहीं हो पा रही है। इनमें से कम फंसे हुए प्रोजेक्टों के बायर्स रजिस्ट्री कराने के लिए पैसा आदि का इंतजाम करने की तैयारी कर सकते हैं, क्योंकि कम फंसे हुए प्रोजेक्टों में अब रजिस्ट्री शुरू होने की उम्मीद बढ़ गई है। वहीं, जिन बायर्स के प्रोजेक्ट कोर्ट के अधीन हैं, जिनमें कि आम्रपाली, जेपी, यूनिटेक आदि पर यह पॉलिसी लागू नहीं होगी और न ही स्पोर्ट्स सिटी के प्रॉजेक्टों में फंसे बायर्स को इस पॉलिसी का कोई लाभ मिलेगा।