High Court : मकान का किराया बढ़ाने के मामले में हाईकोर्ट ने सुनाया बड़ा फैसला, मकान मालिकों को तगड़ा झटका
Tenancy Rules : किराए पर रहने वालों के लिए राहतभरी खबर है। अक्सर मकान मालिकों और किराएदारों में किराया बढ़ाने को लेकर खींचतान होती रहती है। अब हाईकोर्ट ने मकान का किराया बढ़ाने (property rent rules) के मामले में बड़ा फैसला सुनाया है, जिससे मकान मालिकों को झटका लगा है। आइये जानते हैं हाईकोर्ट के इस फैसले को।

HR Breaking News - (Tenancy Law)। आजकल अधिकतर प्रोपर्टी मालिक अपनी प्रोपर्टी या मकान को किराए पर देते हैं। किराएदारों (tenant's rights) को कई बार मकान मालिक की मनमानी का शिकार भी होना पड़ता है। किराए में बढ़ौतरी को लेकर कई बार किराएदारों को दबाव भी झेलना पड़ता है।
अब मकान मालिक किराया बढ़ाने में मनमानी नहीं कर सकेंगे, हाईकोर्ट (HC decision on property rent) ने किराया बढ़ाने के एक मामले में अहम निर्णय सुनाया है। इससे किराएदारों को राहत मिली है तो मकान मालिकों को झटका लगा है।
यह फैसला सुनाया है हाईकोर्ट ने-
कर्नाटक हाईकोर्ट ने प्रोपर्टी (property knowledge) का किराया बढ़ाने के मामले में कहा है कि पंजीकरण अधिनियम, 1908 की धारा 17(1) के अनुसार अगर किसी मकान मालिक (landlord's rights) की ओर से 11 महीने से अधिक समय के लिए बनवाया गया रेंट एग्रीमेंट रजिस्टर्ड नहीं है, तो वह प्रोपर्टी का किराया नहीं बढ़ा सकेगा। यानी अधिक अवधि वाले रेंट एग्रीमेंट (rent agreement) को रजिस्टर करवाना जरूरी है। इससे यह भी साबित होता है कि 11 महीने तक के रेंट एग्रीमेंट यानी किराएनामा को रजिस्टर कराने की जरूरत नहीं है।
संपत्ति मालिक की मांग खारिज-
किराया बढ़ाने का यह मामला पीएनबी बैंक (PNB bank case) और प्रोपर्टी ऑनर से जुड़ा है। बैंक ने निचली अदालत के फैसले को ही हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। यहां पर निचली अदालत के फैसले को पलट दिया गया। हाईकोर्ट ने संपत्ति मालिक (property owner's rights) की ओर से की गई किराया बढ़ोतरी और एरियर की मांग को खारिज कर दिया।
यह टिप्पणी भी की है हाईकोर्ट ने-
इस मामले में हाईकोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि प्रोपर्टी मालिक की ओर से रेंट एग्रीमेंट 11 महीने से ज्यादा समय के लिए बनवाया गया था जो रजिस्ट्र ही नहीं था। ऐसे में यह अमान्य है, क्योंकि 11 माह से ज्यादा का रेंट एग्रीमेंट रजिस्ट्र होना जरूरी है। इसी कारण प्रॉपर्टी मालिक किराया नहीं बढ़ा सकता।
इस धारा का दिया हवाला-
कर्नाटक हाईकोर्ट (Karnataka High Court) ने लिमिटेशन एक्ट की धारा 52 का हवाला भी इस मामले में दिया है। इस धारा के अनुसार 3 साल तक किराया पेंडिंग होते ही रेंट एरियर (rent arrears rules) वसूलने के लिए मामला दायर करना होता है, पर वादी ने केस दायर नहीं किया। ऐसा न करने पर वह एरियर के लिए अपील नहीं कर सकता। इस फैसले से किराएदारों को राहत मिली है।
ये आदेश दिए थे निचली अदालत ने-
मामले के अनुसार साल 2006 में श्रीनिवास एंटरप्राइजेज ने पंजाब नेशनल बैंक के साथ हुए लीज समझौते (lease agreement rules) के अनुसार किराया बढ़ाते हुए एरियर सहित इसे लेने के लिए केस दायर किया था। रेंट एग्रीमेंट में हर 3 साल में किराए में 20 प्रतिशत की बढ़ोतरी के साथ किरायेदारी (kirayedari kanoon) अवधि को 5 साल तक बढ़ाने का भी जिक्र था।
इस मामले में निचली अदालत ने बैंक को श्रीनिवास एंटरप्राइजेज को लाखों का बकाया किराया और रेंट एरियर (rent arrears new rules) सहित देने का आदेश दिया। पीएनबी ने इस मामले में पक्ष रखते हुए कहा था कि किराया समझौता पंजीकृत नहीं था इसलिए वह बढ़ाए गए किराए के एरियर की मांग का हकदार नहीं है।
रेंट एग्रीमेंट के फायदे -
किराएदार और मकान मालिक (tenant landlord rights) के हितों की रक्षा करने में रेंट एग्रीमेंट सहायक होता है। इसे बनवाकर ही किसी किराएदार को मकान में रखना सही रहता है। इसके बाद किराएदार प्रोपर्टी (property rights) पर कब्जे का दावा भी नहीं कर सकता। रेंट एग्रीमेंट किरायेदार और मकान मालिक (mkan malik ke adhikar) में वह लिखित सहमति होती है जिसमें संबंधित प्रोपर्टी को निर्धारित अवधि के लिए किराएदार को दिया जाता है। इसमें दोनों के बीच तय शर्तों व नियमों की डिटेल होती है।