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High Court ने लिव-इन रिलेशनशिप को लेकर कही ये बड़ी बात, जानिए हाईकोर्ट का बड़ा फैसला

Live-In Relationship Rules : दरअसल, हाल ही में हाईकोर्ट ने एक मामला में लिव-इन रिलेशनशिप (Live-In Relationship ) को लेकर एक बड़ा फैसले सुनाया हैं। इस फैसले को सुनकर लवर्स का दिल टूट जाएगा। कोर्ट ने लिव-इन रिलेशनशिप मामले को लेकर ये बड़ी बात कही है। हाई कोर्ट (High Court Decision) के इस फैसले से जुड़ी पूरी जानकारी जानने के लिए खबर को पूरा पढ़े....
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HR Breaking News, Digital Desk - आपको बता दें कि हाई कोर्ट ने लिव-इन रिलेशनशिप को लेकर दो टूक बात कह दी है छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट के मुताबिक, लिव-इन रिलेशनशिप 'पारंपरिक भारतीय मान्यताओं के खिलाफ' है। कोर्ट ने कहा कि यह अवधारणा... 'भारतीय संस्कृति में कलंक बनी हुई है।' लिव-इन रिलेशनशिप (live-in relationship) से जन्मे बच्चे की कस्टडी की अपील खारिज करते हुए कोर्ट ने यह टिप्पणी की. बच्चे के पिता ने कस्टडी के लिए अपील दायर की थी.

जस्टिस गौतम भादुड़ी और जस्टिस संजय एस अग्रवाल की बेंच ने कहा कि लिव-इन रिलेशनशिप (live-in relationship) एक 'आयातित दर्शन है जो भारतीय सिद्धांतों की सामान्य अपेक्षाओं के विपरीत है।' हाई कोर्ट ने कहा कि पर्सनल लॉ के नियमों को किसी भी अदालत में तब तक लागू नहीं किया जा सकता जब तक उन्हें प्रथागत प्रथाओं के रूप में प्रस्तुत और मान्यता नहीं दी जाती।

और यह मामला अलग-अलग धर्मों (different religions) से ताल्लुक रखने वाले जोड़े का है। याचिकाकर्ता अब्दुल हमीद सिद्दीकी (43) दंतेवाड़ा के रहने वाले हैं। दूसरे धर्म की महिला (36) के साथ लिव-इन रिलेशनशिप (live-in relationship) में रहते हुए बच्चा हुआ। दंतेवाड़ा की फैमिली कोर्ट ने अब्दुल की अपील खारिज कर दी थी जिसके बाद वह हाई कोर्ट गए थे।

3 साल लिव-इन रिलेशनशिप के बाद हुई शादी:

आपको बताते चलें कि सिद्दीकी का दावा था कि तीन साल तक महिला के साथ रहने के बाद 2021 में उन्होंने शादी की। उन्होंने दावा किया कि उन्होंने हिंदू कानून का पालन करने वाली महिला के साथ 'मुस्लिम रीति-रिवाजों के अनुसार' अंतरधार्मिक विवाह (interfaith marriage) किया था। 

सिद्दीकी ने तर्क दिया कि मुस्लिम कानून के अनुसार, उन्हें एक से अधिक शादी करने का अधिकार है, जो दूसरी शादी को वैध बनाता है। उन्होंने यह भी दावा किया कि वह बच्चे की देखभाल करने में सक्षम हैं। हालांकि, अपने माता-पिता के साथ आई महिला ने कहा कि वह उनके साथ रहना चाहती है। उन्होंने सिद्दीकी की हिरासत के दावे का विरोध किया.

हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता (High Court petitioner) के बयानों में गड़बड़ी पाई। वह पहले से ही विवाहित था, अपनी पत्नी के साथ रहता था और उसके तीन बच्चे थे। महिला के वकील ने तर्क दिया कि याचिका में विवाह की वैधता साबित करने के लिए सबूतों का अभाव है। अदालत ने इसके बाद याचिकाकर्ता की अपील खारिज कर दी।