home buyers rights : बिल्डर ने टाईम पर नहीं दिया फ्लैट तो ले सकते हैं पैसे वापिस, हाई कोर्ट ने सुनाया फैसला
HR Breaking News - (home buyers ke adhikar) अक्सर ऐसा होता है कि जब भी कोई व्यक्ति बिल्डर से फ्लैट को खरीदता है तो ऐसे में बिल्डर खरीदार को फ्लैट देने में देरी कर देता है। कई बार इस परिस्थिति में खरीदार को मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। लेकिन अब आपको परेशान होने की जरूरत नहीं है।
हाल ही में हाई कोर्ट ने खरीदारों के पक्ष में एक अहम फैसला सुनाया है। फैसले के मुताबिक अब कोई भी बिल्डर (builders right as per law) अगर र्निधारित समय से ज्यादा समय लेते हुए फ्लैट को देता हैं तो ऐसे में खरीदार के पास ये पूरा हक होता हैं कि वो बिल्डर को दी गई राशि को वापिस पा लें। आइए विस्तार से जानते हैं इस बारे में।
इन्होंने सुनाया अहम फैसला-
पंजाब के राज्य उपभोक्ता आयोग ने हाल ही में घर खरीदारों (Home Buyers rules) के पक्ष में एक बड़े फैसले को सुनाया हैं। इस फैसले में उन्होंने बताया कि अगर बिल्डर समय पर फ्लैट का पजेशन नहीं दे पाता है तो ऐसे में ग्राहक को बाद में किसी भी स्थिति में इसके लिए मजबूर नहीं किया जा सकता है।
यानी ये पूरी तरह से ही ग्राहक पर निर्भर करेगा कि वो उस प्रॉपर्टी का पजेशन (possession of property) लेना चाहते हैं या नहीं। सिर्फ इतना ही नहीं, ग्राहक को भी उचित ब्याज के साथ पूरी रकम रिफंड पाने का भी अधिकार दिया जाता है। आयोग ने चंडीगढ़ के एक दंपति की शिकायत पर सुनवाई करते हुए इस फैसले को सुनाया है।
जानिये क्या हैं पूरा मामला-
मामले के मुताबिक पति-पत्नी ने 6 सितंबर, 2014 को डेराबस्सी में स्थित 'एटीएस गोल्फ मीडोज लाइफस्टाइल' नाम के प्रोजेक्ट में एक अपार्टमेंट (Apartment buying rules) की बुकिंग की थरी।
इस फ्लैट की टोटल वैल्यू (flat price in delhi) 61 लाख रुपये थी। बायर एग्रीमेंट के मुताबिक बिल्डर को बुकिंग के तीन साल के भीतर ही अपार्टमेंट का पजेशन देना था। इसमें छह महीने का ग्रेस पीरियड भी था।
इतनी रक्म का कर दिया था भुगतान-
शिकायतकर्ता ने फ्लैट की बिक्री के मूल्य (flat downpayment rules in india) में से पहले ही 53.70 लाख रुपये का भुगतान कर दिया था। वहीं बाकी की रकम का भुगतान पजेशन के समय किया जाना था। हालांकि, बिल्डर ने इस बात को माना है कि वो तय समय के भीतर पजेशन देने में विफल रहा।
वह केवल बायर एग्रीमेंट (Buyer Agreement) पर प्रति माह 5 रुपये प्रति वर्ग फीट का मुआवजा दे रहा खरीदार को दे रहा था। इसके बाद खरीदार ने फरवरी, 2019 को आयोग मे अपना पक्ष रखते हुए बिल्डर की शिकायत की।
आयोग ने कहीं ये बड़ी बात
इस मामले में बिल्डर (property Builder rights) ने शिकायत को खारिज करने के लिए याचिका को भी दर्ज किया। उन्होंने बताया कि रियल एस्टेट (विनियमन और विकास) अधिनियम (रेरा), 2016 के लागू होने के बाद आयोग इस पर सुनवाई नहीं कर सकता है। यह उसके क्षेत्राधिकार से बाहर है।
इसके बाद आयोग ने बिल्डर की दलील खारिज करते हुए उसकी शिकायत को स्वीकार किया। एक संयुक्त आदेश के माध्यम से आयोग ने बताया कि बिल्डर (rules for property Builder) को पहले से किए गए भुगतान को वापस करने की जरूरत है। यानी 53.70 लाख रुपये के साथ बिल्डर को सालाना 12 फीसदी के हिसाब से ब्याज का भुगतान करना होगा। इसके अलावा मानसिक पीड़ा और मुकदमेबाजी के खर्च (Litigation expenses) के लिए भी 65,000 रुपये का मुआवजा देना का फैसला आयोग ने सुनाया।
