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Indian Railways : 2 दिन से अधिक छुट्‌टी से लौटने के बाद लोकोपायलट को नहीं दी जाती नाइट ड्यूटी, जानिए इसका कारण

Indian Railways : आपको बता दें कि लोकोपायलट जब 48 घंटे से अधिक की छुट्टी से लौटता है तो उसे रात में चलाने वाली ट्रेन नहीं दी जाती है। भले ही छुट्टी से लौटा लोकोपायलट लंबे समय से रात की ही ट्रेन क्‍यों न चला रहा हो। ऐसे में आइए नीचे खबर में जानते है आखिर इसके पीछे की वजह क्या है...
 
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HR Breaking News, Digital Desk- लोकोपायलट यानी ट्रेन ड्राइवर जब 48 घंटे यानी दो दिन से अधिक छुट्टी से लौटता है तो उसे रात में चलाने वाली ट्रेन नहीं दी जाती है. भले ही छुट्टी से लौटा लोकोपायलट लंबे समय से रात की ही ट्रेन क्‍यों न चला रहा हो. रेलवे ने इसकी वजह बताई, जो यात्रियों से जुड़ी है. जब आपको भी इसकी वजह पता चलेगी तो आपभी रेलवे की खूब तरीफ करेंगे.

सामान्‍य आफिसों में जब कोई कर्मचारी छुट्टी से लौटता है तो उसे वहीं काम सौंपा जाता है, जो पहले कर रहा होता है. चाहे वो लंबी छुट्टी से या फिर दो चार दिन की छुट्टी से लौटा हो. लेकिन रेलवे में ऐसा नहीं है, वहां पर सख्‍त नियम हैं. कम दिनों की छुट्टी से कोई लोको पायलट आया है तो उसके लिए अलग नियम हैं और अगर कोई लंबी छुट्टी से वापस लौटा है तो उसके लिए नियम अलग हैं.

ये हैं नियम-

रेलवे बोर्ड के रिटायर मेंबर इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर प्रदीप कुमार बताते हैं कि नियम के मुताबिक जब कोई लोकोपायलट 48 घंटे से अधिक की छुट्टी से लौटता है तो उसे रात की ड्यूटी नहीं दी जाती है. दो दिन की छुट्टी के बाद लौटने पर यह आंशका रहती है कि रात में न सो पाया हो या फिर ठीक से नींद न ले पाया हो तो ऐसे में रात में ट्रेन चलाते समय अगर लोकोपायलट को झपकी आ जाए तो हादसा हो सकता है. इस वजह से छुट्टी से आने के बाद पहली ड्यूटी दिन में जाती है, माना जाता है कि इसके बाद वो रात में ठीक से सो सकेगा, अगले दिन की ड्यूटी उसे रात में दी जा सकती है.

इसी तरह अगर कोई लोकोपायलट तीन माह से अधिक छुट्टी पर गया है और लौटकर आने पर ज्‍वाइनिंग से पहले उसे ट्रेनिंग दी जाती है. यह ट्रेनिंग उस लोकोपायलट को भी दी जाती है, जो ट्रांसफर होकर नए रूट पर आता है. यानी लंबी छुट्टी के बाद नया माना जाता है.