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land occupation : प्रोपर्टी पर जिसका इतने साल से कब्जा वही होगा मालिक, सुप्रीम कोर्ट ने पलटा 2014 का निर्णय

land occupation : अक्सर लोग एकस्ट्रा कमाई के लिए घर को किराए पर दे देते हैं, लेकिन कुछ चंद पैसों के लिए घर को किराए पर देना परेशानी भरा हो सकता है। जिस व्यक्ति को आप प्रोपर्टी किराए पर दे रहे हैं वह व्यक्ति आपके घर पर एक तय समय के बाद रहकर कब्जा भी कर सकता है। ऐसे में प्रोपर्टी या मकान के असली मालिक को हमेशा सचेत रहना जरूरी है। एक ऐसे ही मामले में सुप्रीम कोर्ट (SC decision) ने अहम फैसला सुनाया है।

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land occupation : प्रोपर्टी पर जिसका इतने साल से कब्जा वही होगा मालिक, सुप्रीम कोर्ट ने पलटा 2014 का निर्णय

HR Breaking News (land occupation act) : कई बार लोग प्रोपर्टी या मकान को किराये पर देने के बाद कई सालों तक नहीं संभालते और न ही कोई कानूनी दस्तावेज तैयार करवाते हैं। ऐसे में लगातार लंबे समय तक दूसरा व्यक्ति प्रोपर्टी पर कब्जा करते हुए मालिकाना हक जताने का दावा ठाेक सकता है।

यह स्थिति होने पर असल मालिक की परेशानियां बढ़ जाती हैं और उसे कोर्ट कचहरी तक के चक्कर काटने पड़ते हैं। सुप्रीम कोर्ट (land occupation rules) ने ऐसे ही एक मामले में अहम निर्णय सुनाया है। आइये जानते हैं शीर्ष कोर्ट के इस फैसले के बारे में।

 

मालिकाना हक का ऐसे किया जाता है दावा

 

आजकल प्रोपर्टी के विवाद खूब सामने आते हैं। कई बार यह भी देखा जाता है कि किसी प्रोपर्टी पर बाहरी या दूसरा व्यक्ति 12 साल तक निश्चित स्थान पर रहने पर अपना मालिकाना हक होने का दावा कर सकता है और असल मालिक परेशानी से घिर सकता है। हालांकि इसके लिए कानून (rules for land occupation) के अनुसार कुछ नियम व शर्तें लागू होती हैं। ऐसा प्रोपर्टी को लेकर बरती गई लापरवाही के कारण भी होता है।

 

 

क्या कर सकता है मकान मालिक -

 

प्रतिकूल कब्जा (Adverse Possession) का सिद्धांत यह मानता है कि अगर कोई व्यक्ति किसी संपत्ति पर 12 साल तक लगातार बिना मालिक की अनुमति के, बिना किसी व्यवधान के और बिना मालिक के विरोध के कब्जा करता है, तो वह व्यक्ति कानूनी रूप से उस संपत्ति का मालिक (property owner) बन सकता है। 

 


इस सिद्धांत के तहत, मालिक को इस कब्जे पर कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए और कब्जा लगातार जारी रहना चाहिए। यदि कब्जा बीच में टूटता है या मालिक ने कभी विरोध किया, तो इसका असर कब्जे वाले व्यक्ति के स्वामित्व (SC decision on tenant rights) के दावे पर पड़ सकता है। इस दावे को साबित करने के लिए, कब्जे वाले व्यक्ति को कानूनी दस्तावेज जैसे संपत्ति डीड, बिल आदि पेश करने पड़ सकते हैं।

 

कब बनेगा किराएदार जमीन का मालिक -

 

सुप्रीम कोर्ट ने इस सिद्धांत पर एक महत्वपूर्ण निर्णय दिया, जिसमें कहा गया कि अगर कोई व्यक्ति 12 साल तक किसी जमीन पर बिना मालिक के विरोध के कब्जा करता है, तो वह व्यक्ति उस जमीन का मालिक बन जाएगा। यह निर्णय (SC decision on landlord rights) केवल निजी संपत्तियों पर लागू होता है, और सरकारी जमीन पर यह नियम लागू नहीं होता।


 कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि अगर 12 साल (time for ownership rights) तक किसी जमीन पर मालिक का दावा नहीं किया गया, तो कब्जा करने वाला व्यक्ति उसे अपने नाम कर सकता है और उसे कानूनी रूप से उस जमीन का मालिक माना जाएगा।

 

इसलिए बदला 2014 का फैसला-

 

 

सुप्रीम कोर्ट (SC decision on tenant rights) की पीठ ने एक प्रोपर्टी को लेकर 2014 में दिए फैसले को बदल दिया है। 2014 में प्रतिकूल कब्जे पर कोई खास नियम नहीं था, हालांकि अब इसमें बदलाव हो गए हैं। इसलिए 2014 के फैसले को बदलना पड़ा। नए नियम के तहत अगर कोई व्यक्ति 12 साल तक एक ही मकान में बतौर किरायेदार (tenants rules) रहता है, तो उस किरायेदार का उस मकान पर हक हो जाएगा, लेकिन अगर मकान मालिक (lanlord property rights) अपना घर उस किराएदार से वापस पाना चाहता है, तो इसके लिए कानून में अलग से प्रावधान हैं। 

लिमिटेशन एक्ट में यह है प्रावधान

अगर कोई व्यक्ति 12 साल से निरंतर एक ही स्थान पर काबिज है, तो उस व्यक्ति के पास कानून (lanlord ownership rules) के प्रावधानों के अनुसार उस स्थान पर हक पाने का पूरा अधिकार होता है। विवादित जमीन के लिए कानून थोडे़ अलग हैं, इसमें अगर व्यक्ति जमीन (tenants property rights) को वापस पाना चाहता है, तो वह 12 साल के भीतर उस जमीन पर मुकदमा दायर कर सकता है और अदालत की मदद से अपनी जमीन वापस पा सकता है। 


निजी संपत्ति पर हक पाने के लिए वहां 12 साल तक रहने की शर्त पूरी होनी चाहिए, वहीं अगर आप सरकारी जमीन पर कब्जे का दावा कर रहे हैं तो आपको वहां 30 साल तक लगातार रहने की शर्त को दर्शाना होगा। ऐसा लिमिटेशन एक्ट, 1963(Limitation Act, 1963) के तहत भी प्रावधान किया गया है।

किरायेदार भी कर सकता है मुकदमा

12 साल तक एक ही स्थान पर रहने से किसी भी निजी संपत्ति पर हक पाया जा सकता है और साथ ही उस संपत्ति पर रहने वाले व्यक्ति का कब्जा माना जाएगा। अगर उस कब्जा (tenants ownership rule) करने वाले व्यक्ति को जोर जबरदस्ती से बाहर निकाला जाता है, तो वह 12 साल के अंदर मुकदमा दायर कर सकता है। यह बात जरूर जान लें कि अगर आपके पाससिर्फ वसीयत या पावर ऑफ अटॉर्नी है, तो आपको मालिमाना हक (tenants ownership rights) नहीं मिलेगा।

इस स्थिति से बचने के लिए क्या करें असल मालिक

ऐसी स्थिति से बचने के लिए असली प्रोपर्टी मालिक या मकान मालिक को अपने किराएदार के लिए 11 महीने का ही रेंट एग्रीमेंट (rent agreement) बनवाएं, ताकि 11 महीने बाद रिन्यू हो जाए और बीच में कुछ समय मिल जाए ताकि किराएदार प्रोपर्टी पर लगातार रहने की बात कहकर कब्जा न कर सके।