Neeraj Singhal : देश के 36 बैंकों को 56 हजार करोड़ का चूना
भूषण स्टील वाले नीरज सिंघल का नाम भले ही आपने नहीं सुना होगा, लेकिन जब उन वपर लगे आरोपों के बारे में सुनेंगे तो पैरों तले जमीन खिसक जाएगी। नीरज सिंघल ने देश के सबसे बड़े बैंक घोटाले को अंजाम दिया है। 56000 करोड़ रुपये का बैंक घोटाला। आइए जानते है इसके बारे में विस्तार से.
HR BREAKING NEWS (ब्यूरो)। भारत में बैंकों को चूना लगाकर फरार हो जाना कोई नई बात नहीं है। विजय माल्या (Vijay Mallya), नीरव मोदी ( Nirav Modi), मेहुल चोकसी जैसे कारोबारी इसकी मिसाल बन चुके हैं। भारतीय बैंकों को हजारों करोड़ का चूना लगाकर ये विदेश में बैठे हैं, लेकिन आज जिस घोटाले के बारे में बताने जा रहे हैं, उसके सामने नीरव मोदी और माल्या का घोटाला कुछ नहीं है।
भूषण स्टील (Bhushan Steel) के पूर्व एमडी नीरज सिंघल (Neeraj Singhal) के इस बैंक फ्रॉड के सामने इन सबकी करतूतें बहुत छोटी हैं। ईडी ने इस मामले में अब नीरज को गिरफ्तार कर लिया है। इससे पहले भी वो दो बार इस मामले में गिरफ्तार किए जा चुके हैं।
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क्या है भूषण स्टील घोटाला
भगोड़े कारोबारी विजय माल्या (Vijay Mallya) ने भारतीय बैंकों को करीब 9900 करोड़ रुपये का चूना लगाया। हीरा कारोबारी नीरव मोदी ने पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) को 13,540 करोड़ का झटका दिया। आपके पैरों तले जमीन खिसक जाएगी, जब आपको पता चलेगा कि भूषण स्टील लिमिटेड (Bhushan Steel Limited) के प्रबंध निदेशक रहे नीरज सिंघल (Neeraj Singhal) ने 36 से ज्यादा बैंकों के साथ फ्रॉड कर उन्हें 56000 करोड़ रुपये का चूना लगाया। कंपनी के पूर्व एमडी नीरज सिंघल ने 3 दर्जन से ज्यादा बैकों को 56 हजार करोड़ रुपये का चूना लगाकर इस बैंक फ्रॉड को अंजाम दिया ।
56000 करोड़ रुपये का बैंक स्कैम
इसे देश का सबसे बड़ा बैंक स्कैम कहा जा रहा है। भूषण स्टील के पूर्व एमडी नीरज सिंघल ने बैंकों के साथ हेरफेर कर 56 हजार करोड़ रुपये का झटका दिया है। इस स्कैम का खुलासा पहले ही हो चुका है। भूषण स्टील भी दिवालिया हो चुकी है। कंपनी का अधिग्रहण टाटा स्टील (Tata Steel) कर चुकी है। लंबे वक्त से ईडी और सीबीआई इस घोटाले की जांच कर रही थी। ईडी ने 56 हजार करोड़ रुपये के घोटाला मामले में नीरज सिंघल को गिरफ्तार कर लिया है।
36 बैंकों को 56 हजार करोड़ का चूना
खबर के मुताबिक नीरज सिंघल पर कई गंभीर आरोप रहे हैं। नीरज ने 36 बैंकों को 56000 करोड़ रुपये का चूना लगाया। कंपनी के नाम पर नीरज ने करोड़ों की हेरफेर की। शेल कंपनियां बनाकर पैसे की मल्टीपल ट्रांजेक्शन दिखाकर हेर-फेर करने का गंभीर आरोप लगा है। बैंकों से कंपनी और कारोबार के नाम पर लोन उठाकर नीरज ने उसका इस्तेमाल पर्सनल इस्तेमाल के लिए। बैंकों से कंपनी के नाम पर लोन लेकर अपने लिए प्रॉपर्टी खरीदी, शॉपिंग, पार्टी , महंगी कारों में खर्च कर दिया। बैंकों से लोन के लिए फर्जी दस्तावेजों के इस्तेमाल काआरोप है। इस स्कैम बैंकों को 56 हजार करोड़ का नुकसान हुआ है। जिन बैंकों को नीरज ने चूना लगाया उनमें एसबीआई और पीएनबी , समेत देश के 36 बैंकों के नाम शामिल हैं।
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कैसे लिखी स्कैम की पूरी कहानी
नीरज ने जेएसडब्ल्यू स्टील और हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड के साथ कारोबार बढ़ाने के नाम पर बैंकों से लोन लिए, लेकिन इसका इस्तेमाल पर्सनल यूज के लिए किया। नीरज सिंघल भूषण स्टील की जिम्मेदारी संभाल रहे थे। उन्होंने कंपनी के नाम पर कई सरकारी और प्राइवेट बैंकों से लोन लिया। लोन के लिए डमी कंपनियां बनाई। उन्होंने बड़ी ही चालाकी से एक शेल कंपनी से दूसरी कंपनी में ट्रांसफर करके फंड का मल्टीपल इंट्रीज दिखाया और उसका इस्तेमाल अपने निजी कामों के लिए किया। नीरज ने कंपनी में नया प्लांट लगाने और मशीनरी खरीदने के नाम पर हजारों करोड़ का लोन लिया, लेकिन कंपनी के बजाए नीरज उन पैसों को खुद पर खर्च करते रहे। पंजाब नेशनल बैंक, इलाहाबाद बैंक से 1700 करोड़ रुपये का लोन लिया। इन लोन को चुकाना तो दूर, वो और लोन लेते रहे। साल 2007 से 2014 के बीच से खेल चलता रहा। सबसे ज्यादा लोन पीएनबी ले लिया गया। बैंकों का ब्याज और मूलधन कुछ भी नहीं चुकाया। बैंकों ने इन लोन्स को NPA में डाल दिया है।
कैसे हुई भूषण स्टील कंपनी की शुरुआत
गौरतलब है कि नीरज सिंघल के पिता बृजभूषण सिंघल ने साल 1987 में भूषण स्टील की शुरुआत की। शुरुआत में वो दरवाजे के हैंडल , हैंगर आदि बनाते थे। साल 2003 में उन्होंने ओडिशा में बड़ा स्टील प्लांट लगाया। वो भूषण स्टील को देश की सबसे बड़ी स्टील कंपनी बनाना चाहते थे। बेटे के हाथों में कमान आने के बाद नीरज का अधिकांश समय पार्टी और फिजूलखर्चों में बितता रहा।
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दिवालिया होने के बाद टाटा के हाथों बिक गई कंपनी
बैंकों के बढ़ते कर्ज और कंपनी के एमडी के रवैये के कारण भूषण स्टील दिवालिया हो गई। साल 2018 में टाटा स्टील ने इसका अधिग्रहण कर लिया। पहले साल 2014 में सीबीआई ने नीरज सिंघल को गिरफ्तार किया। फिर साल 2018 में सीरियस फ्रॉड इंवेस्टिगेशन ऑफिस ने सिंघल को गंभीर कॉरपोरेट फ्रॉड से जुड़े आरोपों के में गिरफ्तार किया।