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Supreme Court : 53 साल पुराने पिता पुत्र के प्रोपर्टी विवाद में का आया बड़ा फैसला, बताए दोनों के प्रोपर्टी अधिकार

Supreme Court Decision : अदालतों में प्रोपर्टी के विवाद बड़ी संख्या में पेंडिंग हैं। लंबे समय तक प्रोपर्टी विवाद चलते रहते हैं। वहीं, सुप्रीम कोर्ट में एक 53 साल पुराने विवाद में फैसला आया है। यह विवाद पिता और पुत्र के बीच का है, जिसमें संपत्ति के अधिकार (property rights) को लेकर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने बड़ा फैसला सुनाया है। आइए अदालत के फैसले के बारे में जानते हैं।

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Supreme Court : 53 साल पुराने पिता पुत्र के प्रोपर्टी विवाद में का आया बड़ा फैसला, बताए दोनों के प्रोपर्टी अधिकार

HR Breaking News (Supreme Court Decision) कानून के अनुसार माता पिता की संपत्ति में संत्तानों को बराबर का अधिकार दिया गया है। वहीं, अगर पिता संपत्ति को बेटे बेटियों के नाम न करें, उससे पहले ही पिता संपत्ति को किसी को बेच दे तो क्या होगा। ऐसी स्थिति में क्या हो सकता है।

 

ऐसा ही एक मामला सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court Decision) में तक जा पहुंचा। मामला 53 साल पुराना है। इसमें सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने बड़ा फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने बच्चों व पिता के संपत्ति अधिकार को क्लीयर कर दिया है। 

 

 

क्या पिता पहले प्रोपर्टी बेच सकते हैं
 

अनेकों बार स्थिति ऐसी बन जाती है जब इंसान को अपनी संपत्ति बेचनी पड़ जाती है। वहीं, पैतृक संपत्ति तक को भी बेचना पड़ जाता है, हालांकि पैतृक संपत्ति (Ancestral Property) में सभी का बराबर का अधिकार होता है। यह वह संपत्ति है जो 4 पीढ़ियों से चली आ रही है। 4 पीढ़ियों का में क्या कोई एक पीढ़ी संपत्ति को बेच सकती हैं। इसी को लेकर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court Verdict) ने फैसला दिया है। 

 


सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने दिया ये फैसला
 

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने 53 साल से  चल रहे एक मामले में दायर एक याचिका को खारिज कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने क्लीयर किया कि पारिवारिक कर्ज चुकाने या कानूनी जरूरतों को पूरा करने के लिए परिवार का मुखिया पैतृक संपत्ति बेचता है तो ऐसे में चाहे बेटा हो या बेटी या कोई अन्य सदस्य, इसको चुनौती नहीं दे सकता है। 

 

कानून जरूरतों के लिए बेची गई संपत्ति


सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने स्पष्ट किया कि जब ये स्पष्ट हो जाए कि पिता ने कानूनी जरूरतों के चलते पैतृक संपत्ति बेची (Ancestral Property) है तो इस संपत्ति के हिस्सेदार मामले में कोर्ट को चुनौती नहीं दे सकते हैं। ऐसे में पैतृक संपत्ति (property) को जरूरत में हिस्सेदार (पिता) उस संपत्ति को बेच सकता है। 

दोनों ही नहीं रहे दुनिया में


बेटे की ओर से मामले को लेकर 1968 में अपने ही पिता के खिलाफ याचिका दायर की गई थी। मामला काफी समय से चल रहा है। वहीं, सुप्रीम कोर्ट में मामला पहुंचने तक पिता और पुत्र दोनों ही इस दुनिया में नहीं रहे। फिर, दोनों के उत्तराधिकारियों ने मामला अदालत में जारी रखा।

जानिए क्या कहता है कानून


सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में जस्टिस एएम सप्रे और एसके कौल की पीठ ने मामला सुना। मामले में बताया कि हिंदू कानून के अनुच्छेद 254 (Article 254 of Hindu law) में पिता की ओर से संपत्ति बेचने (Property Sell Right ) को लेकर नियम हैं। 

इस कानून के तहत आर्टिकल 254 (2) Article 254(2) में नियम है कि कि कर्ता (घर का मुखिया) पैतृक संपत्ति चाहे वह चल हो या अचल हो, उसको बेच सकता है। मुखिया बेटे या बेटे के बेटे के हिस्से के कर्ज को उतारने के लिए ऐसा कर सकता है। हालांकि यह कर्जा अनैतिक और अवैध काम से न हुआ है। 

जानिए किन परिस्थितियों में बेच सकते हैं संपत्ति


पैतृक संपत्ति (Supreme Court property rights) को पैतृक कर्ज चुकाने के संपत्ति बेची जा सकती है। संपत्ति पर सरकारी देनदारी होती है तो भी संपत्ति बेची जा सकती है। परिवार के लालन पालन हेतू संपत्ति बेची जा सकती है। बच्चों की शादी व अन्य जरूरी समारोह के लिए पैतृक संपत्ति बेची जा सकती है। किसी केस के खर्च के लिए भी पैतृक संपत्ति बेच सकते हैं। किसी मुखिया पर गंभीर आपराधिक मुकदमे के केस को लड़ने के लिए संपत्ति बेच सकते हैं।