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अब FASTAG की छुट्‌टी, नए तरीके से कटेगा वाहनों का टोल टैक्स

Satellite Based Toll Tax System : टोल टैक्स का नाम तो आपने सूना ही होगा। हाइवें और नेशनल हाइवें पर कम से कम 60 किलोमीटर की दूरी पर टोल प्लाजा लगाए होते है। जब भी हम एक शहर से दूसरें शहर या दूसरे राज्य में जाते है तो हर वाहन चालक को टोल देना होता है। अब तक FASTAG सिस्टम के द्वारा ही टोल लिया जाता था लेकिन अब फास्टैग की छुट्‌टी करके इस नए तरीके से कटेगा वाहनों का टोल टैक्स...
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अब FASTAG की छुट्‌टी, नए तरीके से कटेगा वाहनों का टोल टैक्स

HR Breaking News : (Toll Tax System) देशभर में जो भी वाहन चालक एक राज्य से दूसरे राज्य में जाता है। तो उसे टोल टैक्स चुकाना होता है। टोल टैक्स चुकाने के लिए टोल प्लाजा बने होते हैं। जहां पर फास्टैग के जरिए लोग टोल चुकाते हैं। पहले जहां लोगों को मैन्युअली खुद से टोल चुकाना होता था। लेकिन अब भारत में टोल टैक्स की व्यवस्था (toll tax system) को लेकर कई तरह के बदलाव किए गए है।


अब तक सभी गाड़ियों में FASTAG अनिवार्य कर रखा है। टोल प्लाजा पर लगे कैमरा फास्टैग को स्कैन करके सीधे अकाउंट से ही टोल काट लेते हैं।


लेकिन अब व्यवस्थाएं बदलने वाली है। अब भारत में सैटेलाइट बेस्ड टोल सिस्टम (Satellite Based Toll System) लागू होने जा रहा है। भारत सरकार ने इसे लेकर नोटिफिकेशन जारी कर दिया है। इसे ग्लोबल नेवीगेशन सेटेलाइट सिस्टम यानी GNSS के नाम से जाना जाएगा। जो कि गाड़ी कितना चली उसे कैलकुलेट करके टोल टैक्स (Toll Tax) वसूलेगा चलिए जानते है कि सेटेलाइट सिस्टम किस तरह मापेगा गाड़ी की दूरी.... 

इन कार ट्रैकिंग सिस्टम 


अबतक भारत में FASTAG के जरिए टोल टैक्स चुकाया जाता है। जहां गाड़ियों में फास्टैग होता है। जो टोल पर स्कैन होता है। इसके बाद अकाउंट से पैसे कट जाते हैं। लेकिन अब गाड़ियां सेटेलाइट से कनेक्ट होगी गाड़ियों में इन कार ट्रैकिंग सिस्टम (in car tracking system) होगा। सैटेलाइट इस बात को कैलकुलेट करेगी कि कौन सी गाड़ी कितना चली है। और उसी हिसाब से गाड़ी के लिए टोल टैक्स निर्धारित किया जाएगा।


जो कोई भी वहां जीएनएसएस सिस्टम का इस्तेमाल (use of GNSS system) करेगा उसे 20 किलोमीटर तक के लिए जीरो टोल कॉरिडोर दिया जाएगा। उसके बाद से ही टोल लिया जाएगा। ऑन-बोर्ड यूनिट्स या फिर कर के अंदर की ट्रैकिंग डिवाइस से पता लगेगा कि गाड़ी ने हाइवे पर कितनी दूरी तय की है उसी हिसाब से टोल लिया जाएगा। 

इस तरह काम करेगा नया सिस्टम?


GNSS सिस्टम के तहत गाड़ियों को OBU यानी ऑनबोर्ड यूनिट से लैस किया जाएगा। ऑडियो जो हाइवे पर वाहन जाएंगे उनके कोऑर्डिनेट्स सेटेलाइट के साथ शेयर करेगा। जिस GPS की मदद से जीएनएसएस सिस्टम सटीक दूरी को माप सकेगा।  इसके लिए हाईवे पर कैमरे (cameras on the highway) भी लगाए जाएंगे।


ताकि वह वाहनों की इमेज के साथ उसकी जगहें भी ट्रेक (new toll system) कर सकें। इस सिस्टम के लागू होने के बाद दूरी के अनुसार वाहनों से आधार के जरिए लिंक बैंक खातों से ऑटोमेटिक ही टोल टैक्स (toll tax rules) काट लिया जाएगा । फिलहाल इस सिस्टम को पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर कुछ जगहों पर शुरू किया जा चुका है