Property Division Act : बिना वसीयत के कैसे होगा प्रोपर्टी का बंटवारा, जानिये कानून

HR Breaking News - (Property Dispute) संपत्ति के लिए मुकदमे और झगड़े के मामले कोर्ट में आना आम बात हो गई है। कई ऐसे भी मामले है, जो पिछले कई सालों से कोर्ट में चल रहे हैं, जिनका अब तक फैसला नहीं हो पाया है। इन विवादो से बचने का सही तरीका है प्रोपर्टी के नियमो (rules of the property) से वाकिफ होना।
बता दें कि संपत्ति के बंटवारे (Division of property)के लिए सबसे अहम दस्तावेज वसीयत है। वसीयत में जो कुछ लिखा गया है, उसी हिसाब से संपत्ति का बंटवारा होता है, लेकन अगर किसी व्यक्ति की मृत्यू बीना वसीयत लिखे होती है तो आइए खबर में जानते हैं कि ऐसे में संपत्ति का बंटवारा कैसे होता है।
कैसे तय होता है संपत्ति का बंटवारा-
अगर बीना वसीयत लिखे व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है तो ऐसे में संपत्ति (property rules)का बंटवारा और वाद-विवाद से बचने के लिए कुछ कानून बनाए गए हैं। ऐसे में संपत्ति का बंटवारा उत्तराधिकार कानून के तहत होता है। हालांकि इसका प्रोसेस आसान नहीं होता है। सबसे पहले तो आप ये जान लें कि आखिर वसीयत(rules of will) क्या होती है।
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि वसीयत कानूनी तौर पर पूरी तरह वैध होता है। वसीयत (Will kya hai)एक ऐसा डॉक्यूमेंट है, जो व्यक्ति की मौत के बाद उसकी संपत्ति का बंटवारा कैसे किया जाए।इस बारे में बताता है।
मौत के बाद ऐसे होता है संपत्ति का निपटान-
संपत्ति की वसीयत बिना लिखे जब व्यक्ति की मृत्यु होती है तो उसके बाद कानूनी लड़ाई शुरू हो सकती है। धर्मों के अनुसार संपत्ति के बंटवारे (rights of property distribution)के अपने नियम (rules for dividing property) और कानून हैं। जैसे हम आपको समझाते हैं, जैसे कि मुस्लिम समाज में शरीयत एक्ट के तहत संपत्ति का बंटवारा किया जाता है, बाकी मामलो में उत्तराधिकार कानून(Will Succession Laws) के तहत फैसले लिए जाते हैं।
आमतौर पर ये पूरा प्रोसेस काफी लंबी चला जाता है, कई बार तो दूसरी पीढ़ी तक फैसले नहीं हो पाते हैं।
जानिए क्या है कानून-
आप ऐसे मामलो में कानून (law regarding wills)का सहारा लेकर प्रोपर्टी के इन वाद-विवाद को रोक सकते हैं। कोई भी 18 साल से ऊपर का व्यक्ति और मानसिक तौर पर स्वस्थ व्यक्ति अपनी वसीयत लिख सकता है। वसीयत (Will News Updates) में उन तमाम चीजों को डाला जाता है, जिन पर व्यक्ति का मालिकाना हक होता है।
हालांकि वसीयत को कई बार बदला जा सकता है और व्यक्ति इसे किसी के नाम भी कर सकता है। यानी व्यक्ति किसी दूसरे के नाम भी अपनी पूरी संपत्ति (Property Rights) को लिख सकता है।