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Property Document : प्रॉपर्टी खरीदने के बाद रजिस्ट्री नहीं कागज का यह पन्ना है बेहद जरूरी, दिलाएगा मालिकाना-हक

जब हम दुकान, मकान या जमीन खरीदते हैं तो उसपर मालिकाना हक साबित करने के लिए रजिस्ट्री करवाते हैं। वहीं, ज्यादातर लोगों का मानना है कि रजिस्ट्री होने के बाद प्रॉपर्टी पर मालिकाना हक मिल जाता है। लेकिन ऐसा नहीं है। कोई भी प्रॉपर्टी खरीदने से पहले बहुत सारी चीजों की जानकारी हासिल करना जरूरी है। आपको प्रॉपर्टी से जुड़े हर डॉक्यूमेंट के बारे में पता होना चाहिए। आज हम आपको उन दस्तावेजों (Property Document) के बारे में बताते हैं जो घर खरीदने के लिए अनिवार्य होते हैं।

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HR Breaking News (ब्यूरो)। अपना आशियाना बसाने के लिए लोग कड़ी मेहनत करते हैं। पाई-पाई जोड़कर व्यक्ति इस सपने को साकार करने की कोशिश करते हैं। लेकिन जब यह सपना सच होने की कगार पर पहुंचता है तो इस प्रक्रिया में ढेर सारा पेपरवर्क होता है। अगर होम लोन ले रहे हैं तो बैंक और प्रशासन का भी काफी पेपरवर्क होता है। कई लोग तो ऐसे भी होते हैं जिन्हें प्रॉपर्टी से जुड़े डॉक्यूमेंट के बारे में ज्ञान भी बहुत कम होता है। पर यही डॉक्यूमेंट संपत्ति पर आपकी दावेदारी पेश करते हैं। इसलिए जरूरी है घर-मकान, जमीन लेने से पहले आपको इनके बारे में पता होना।


रजिस्ट्री (property registry) भले ही घर-जमीन के संबंध में बुहत महत्वपूर्ण दस्तावेज हो लेकिन यह आपको प्रॉपर्टी पर मालिकाना हक दिलाना सुनिश्चित नहीं करता। अक्सर लोग रजिस्ट्री कराने के बाद निश्चिंत हो जाते हैं। वह प्रॉपर्टी खरीदते समय भी सबसे ज्यादा फोकस रजिस्ट्री के कागजों पर ही रखते हैं। हालांकि, म्यूटेशन कराना भी उतना ही जरूरी है जितना रजिस्ट्री। म्यूटेशन का मतलब नामांतरण है।
अगर आपको लगता है कि  करा लेने भर से ही प्रॉपर्टी आपकी हो जाएगी तो आप गलतफहमी में हैं। भविष्य में किसी भी तरह की परेशानी से बचने के लिए जरूरी है कि आप उसका नामंतरण यानी म्यूटेशन जरूर चेक कर लें। आपको ये भी पता होना चाहिए कि केवल सेल डीड से नामांतरण नहीं हो जाता है।

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बिना नामांतरण के संपत्ति नहीं होती आपके नाम


सेल डीड और नामांतरण दो अलग-अलग चीजें हैं। आमतौर पर लोग सेल और नामांतरण को एक ही समझ लेते हैं। ऐसा समझा जाता है कि रजिस्ट्री करवा ली और संपत्ति अपने नाम हो गई जबकि यह ठीक नहीं है। किसी भी संपत्ति का जब तक नामांतरण नहीं किया जाता है तब तक कोई भी व्यक्ति अपनी नहीं मान सकता भले ही उसने रजिस्ट्री करवा ली हो। फिर भी संपत्ति उसकी नहीं मानी जाती क्योंकि नामांतरण तो किसी दूसरे व्यक्ति के पास होता है।

बैनामा: घर खरीदने के लिए कागज का यह पन्ना सबसे जरूरी होता है। असली बैनामा संपत्ति (sampatti ka bainama) पर आपका मालिकाना हक साबित करता है। जिस इलाके में संपत्ति स्थित है, वहीं के सब-रजिस्ट्रार के ऑफिस में जाकर आपको अपनी प्रॉपर्टी रजिस्टर करानी पड़ती है।

ऑक्यूपॅन्सि सर्टिफिकेट: अऑक्यूपॅन्सि सर्टिफिकेट एक अहम दस्तावेज है, जिसे बिल्डर से जरूर लेना चाहिए। अगर वह इसे नहीं देता तो खरीददारों को यह अधिकार है कि वह डिवेलपर के खिलाफ कानूनी कार्यवाही करें।

पजेशन लेटर: डिवेलपर खरीददार के हक में पजेशन लेटर जारी करता है, जिसमें प्रॉपर्टी पर कब्जे की तारीख लिखी होती है। home loan पाने के लिए इस दस्तावेज की असली कॉपी को पेश करना जरूरी होता है। जब तक ओसी हासिल नहीं किया जाएगा, तब तक पोजेशन लेटर अकेले प्रॉपर्टी पर कब्जे के लिए काफी नहीं माना जा सकता।

मॉर्गेज: मॉर्गेज या गिरवी रखना एक प्रकार का ऋण है जिसका उपयोग उधारकर्ता किसी मकान की खरीद या रखरखाव करने के लिए या रियल एस्टेट (real estate) के अन्य रूपों में करता है। साथ ही समय के साथ इसका भुगतान करने पर सहमति जताता है। प्रॉपर्टी, लोन सिक्योर करने में कोलैटरल के रूप में काम करती है।

म्यूटेशन (दाखिल-खारिज) : यह दस्तावेज ग्राम पंचायत की संपत्तियों में काम आता है। इसमें पिछले मालिक की जानकारी होती है। हालांकि असली दस्तावेज (Property Document) देने की जरूरत नहीं पड़ती, लेकिन अगर आप ग्राम पंचायत के तहत आने वाले इलाकों में प्रॉपर्टी लेते हैं तो इसे दिखाना अनिवार्य होता है।

नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट (no objection certificate) : बहुत कम लोग यह बात जानते होंगे कि एक प्रोजेक्ट बनाने के लिए बिल्डर को अलग-अलग अथॉरिटीज से 19 एनओसी लेनी पड़ती हैं। हालांकि विभिन्न शहरों में यह संख्या अलग-अलग हो सकती है। आप अपने डिवेलपर से इन एनओसी की कॉपी अपने पर्सनल रिकॉर्ड में रखने के लिए मांग सकते हैं।

अलॉटमेंट लेटर: होम लोन (home loan) पाने के लिए अलॉटमेंट लेटर बेहद जरूरी दस्तावेजों में से एक होता है। इसे डिवेलपर या हाउजिंग अथॉरिटी द्वारा जारी किया जाता है। इसमें प्रॉपर्टी का विवरण और ग्राहक ने बिल्डर को कितना पैसा दिया है, इसकी जानकारी होती है।

प्रॉपर्टी टैक्स की रसीदें: घर के मालिकों को टैक्स चुकाना पड़ता है। यह भी सुनिश्चित करें कि पिछले मालिक ने प्रॉपर्टी टैक्स चुकाया है और अब कोई बकाया नहीं है। प्रॉपर्टी टैक्स की रसीदें संपत्ति की कानूनी स्थिति साबित करने में भी मदद करती हैं।

प्रॉपर्टी खरीदने से पहले चेक करें ये पांच डॉक्यूमेंट (property paper check) - 

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टाइटल डीड


कोई भी प्रॉपर्टी खरीदें तो उसके टाइटल डीड (title deeds) की पहले ही जानकारी ले लें और इसके दस्तावेज देखें। आप किसी वकील से इसको सर्टिफाइड करा सकते हैं। मुख्य तौर पर टाइटल डीड से ये पता चलता है कि आप जो प्रॉपर्टी खरीदने जा रहे हैं वो किसी कानूनी पचड़े में तो नहीं फंसी है। उसके ट्रांसफर, डिवाइड आदि में कोई दिक्कत तो नहीं है। इस टाइटल डीड को देखने के बाद ही प्रॉपर्टी की खरीद के बारे में आपको आगे बढ़ना चाहिए।

लोन पेपर्स क्लियर हैं या नहीं


प्रॉपर्टी खरीदने से पहले आपको इस बात के पेपर्स जांच लेने चाहिए कि आपकी प्रॉपर्टी पर किसी तरह का लोन तो नहीं चल रहा है। इसके मालिक के ऊपर इस प्रॉपर्टी की देनदारी के रूप में कुछ उधार तो नहीं है। इसकी जांच करना बेहद जरूरी है और इसको जांचे बिना आप प्रॉपर्टी खरीद के बारे में सोचें।

Layout Papers


संपत्ति के लेआउट पेपर्स को लेकर आपको सावधानी बरतनी चाहिए और इसका नक्शा, खुले इलाके का नक्शा पास है या नहीं, इसकी सारी जानकारी ले लेनी चाहिए। बाद में किसी तरह का प्रॉपर्टी डिस्पयुट ना हो, इसके लिए आपको पहले ही आश्वस्त हो जाना चाहिए।

NOC या अनापत्ति प्रमाणपत्र


किसी भी प्रॉपर्टी को खरीदने से पहले इसका अनापत्ति प्रमाणपत्र या नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट लेना बहुत जरूरी है। आप फ्लैट ले रहे हैं तो आपके लिए उसकी सोसायटी और टावर के NOC की जानकारी होनी चाहिए। 

कमेंसमेंट सर्टिफिकेट


इसे कंस्ट्रक्शन क्लियरेंस सर्टिफिकेट के रूप में जाना जाता है और इसे फ्लैट या निर्माणाधीन संपत्ति को खरीदने से पहले ले लें वर्ना बाद में परेशानी हो सकती है। यहां पर आप जान सकते हैं कि प्रॉपर्टी खरीदने-बेचने से जुड़े जानकारों का इस बारे में क्या कहना है।