home page

Property Rights : क्या पत्नी को अपनी प्रोपर्टी से बेदखल कर सकता है पति, जानिए कानूनी प्रावधान

Property Rights : आमतौर पर प्रोपर्टी से जुड़े नियमों और कानूनों को लेकर लोगों में जानकारी का अभाव होता है। इसी कड़ी में आज हम आपको अपनी इस खबर में ये बताने जा रहे है कि आखिर क्या पति, पत्नी को अपनी प्रोपर्टी से बेदखल कर सकता है या नहीं। ऐसे में आइए नीचे खबर में जान लेते है इससे जुड़ा कानूनी प्रावधान-

 | 
Property Rights : क्या पत्नी को अपनी प्रोपर्टी से बेदखल कर सकता है पति, जानिए कानूनी प्रावधान

HR Breaking News, Digital Desk- (Property Rights) घरेलू झगड़े अक्सर प्रॉपर्टी के विवाद को लेकर होते हैं, जिसमें भाई-भाई, पिता-बेटे, या पति-पत्नी के बीच संघर्ष सामान्य है। प्रॉपर्टी विवादों में कानूनी जानकारी का होना अत्यंत आवश्यक है। जब रिश्तों में आर्थिक मुद्दे जुड़ते हैं, तो स्थितियाँ बदल जाती हैं। जमीनी विवाद, वसीयत, और अधिकारों को जानने से व्यक्ति अपने हक की रक्षा कर सकता है।  ऐसे में आप प्रॉपर्टी को लेकर कानूनी जानकारी रखते हैं या नहीं, यह बेहद महत्वपूर्ण होता है। आइए समझते हैं कि प्रॉपर्टी के हक को लेकर क्या कहता है कानून?

क्या पत्नी को पति या पति को पत्नी घर से बेदखल कर सकते हैं?

घरेलू विवाद (Domestic dispute) से जुड़े एक मामले की सुनवाई के दौरान मुंबई के एक मैजिस्ट्रेट कोर्ट में ऐसा ही एक मामला आया जिसमें पत्नी ने पति को घर से निकालने की मांग की थी जिसे उन दोनों ने मिलकर खरीदा था। जिसे लेकर कोर्ट ने कहा कि पति को घर पर कानूनी अधिकार है और उसे निकाला नहीं जा सकता। हालांकि कोर्ट (court) ने कहा कि यह पति का नैतिक फर्ज है कि वह अपनी पत्नी औ बेटियों के साथ घर में रहे ताकि उनकी देखभाल कर सके। महिला और उसकी बेटियां अलग रहती हैं। कोर्ट ने शख्स को आदेश दिया कि वह पत्नी को मैंटिनेंस के तौर पर 17 हजार रुपये हर महीने दे। मैंटिनेंस का भुगतान अगस्त 2021 से होगा जब महिला ने पहली बार कोर्ट का रुख किया था।

क्या कहता है कानून?

भारत में पत्नी का पति की प्रॉपर्टी पर हक होता है। शादी टूटने पर हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 24 के तहत भत्ता मांगा जा सकता है। घरेलू हिंसा अधिनियम और 125 सीआरपीसी के तहत भी जीवन भर गुजारा भत्ता मांगा जा सकता है। यह महिलाओं के अधिकारों की रक्षा करता है।

हिंदू अडॉप्शंस ऐंड मैंटिनेंस ऐक्ट (Hindu Adoptions and Maintenance Act), 1956 के तहत हिंदू पत्नी को अपने ससुराल के घर में रहने का अधिकार है भले ही उसके पास उसका स्वामित्व हो या न हो। इससे फर्क नहीं पड़ता कि ससुराल का घर पैतृक संपत्ति है, जॉइंट फैमिली (joint family) वाला है, स्वअर्जित है या फिर रेंटेड हाउस (rented house) यानी किराये का घर है। महिला को अपने ससुराल वाले घर में रहने का ये अधिकार तबतक है जब तक उसके पति के साथ उसके वैवाहिक संबंध बरकरार (marital relationship intact) रहता है। अगर महिला पति से अलग हो जाती है तब वह मैंटिनेंस का दावा कर सकती है।

व्यक्ति की खुद से अर्जित संपत्ति (self-acquired property of a person), चाहे वह जमीन, मकान, पैसे, गहने या अन्य कोई वस्तु हो, पूरी तरह से उसी व्यक्ति का अधिकार होती है जिसने इसे अर्जित किया है। इसका मतलब है कि वह अपनी संपत्ति को बेचने, गिरवी रखने, वसीयत लिखने या दान करने का अधिकार (right to make a will or make a donation) रखता है। इसके अलावा, संपत्ति से जुड़े सभी कानूनी और व्यक्तिगत अधिकार उसके लिए सुरक्षित होते हैं। इस अधिकार का सम्मान करना और किसी भी प्रकार से इसे बाधित नहीं करना चाहिए, क्योंकि यह उस व्यक्ति के श्रम और बुद्धिमानी का परिणाम होता है।