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property rights : ससुर की प्रोपर्टी में दामाद का कितना अधिकार, हाईकोर्ट ने दिया बड़ा और अहम फैसला

High Court Decision : आमतौर पर प्रॉपर्टी से जुड़े कई मामले कोर्ट में देखने को मिल जाते हैं। हाल ही में भी कुछ ऐसा ही हुआ था। कोर्ट में इन दिनों संपत्ति से जुड़ा एक मामला आया था। मामले के दौरान सुनावाई करते हुए हाई कोर्ट ने ये साफ किया कि ससुर की प्रोपर्टी में दामाद (Right of son in law) का कितना अधिकार होता है। आइए विस्तार से जानते हैं हाईकोर्ट के इस अहम फैसले के बारे में। 

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property rights : ससुर की प्रोपर्टी में दामाद का कितना अधिकार, हाईकोर्ट ने दिया बड़ा और अहम फैसला

HR Breaking News-(sasur ki property )। अगर बात बहु की हो तो उन्हें सास-ससुर की प्रॉपर्टी में हिस्से को लेकर कई कानून बनाएं गए है। वहीं अगर बाद दामाद के ससुर की संपत्ति में अधिकारों की हो तो अधिकतर लोगों को इस बारे में जानकारी नहीं होती है। हाल ही में एक ऐसा ही मामला हाई कोर्ट में आया था। मामले के दौरान ससुर (Father property rights) की प्रोपर्टी में दामाद के अधिकार से जुड़ा फैसला सुनाया गया। मामले की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने एक बड़ा फैसला सुनाया है। 

इस अधिनियम का दिया हवाला-


मध्य प्रदेश हाईकोर्ट (MP high court latest decision) में इन दिनों एक मामला सामने आया है। मामले के दौरान भोपाल के एक स्थाई निवासी ने अपने ससुर (father in law's property) का मकान खाली करने के आदेश को चुनौती देते हुए मध्यप्रदेश हाई कोर्ट में एक याचिका को दायर किया। मामले के दौरान बताया गया था कि उसके ससुर नारायण वर्मा (78) ने माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों का भरण पोषण तथा कल्याण अधिनियम 2007 के तहत एसडीएम कोर्ट में अपील को दायर किया। मामले में एसडीएम ने उसे ससुर का मकान खाली करने करने का अदेश दे दिया। एसडीएम के फैसले को न मानते हुए दामाद (property right of son in law) ने हाईकोर्ट में याचिका को दायर कर दिया। 

दुसरा विवाह कर चुका था दामाद-


युवक ने याचिका के दौरान बताया कि उसने इस घर के निर्माण कार्य में 10 लाख रुपये की राशि को लगाया था। इस बात के सबूत के तौर पर उन्होंने कोर्ट (Bhopal court latest decision) में बैंक स्टेटमेंट को भी दिया था। युगलपीठ ने सुनवाई के दौरान इस बात की जानकारी हासिल हुई कि ससुर ने अपनी बेटी तथा दामाद को अपने मकान में रहने की अनुमति तो दी थी लेकिन इसके बदले में उन्होंने बुजुर्ग अवस्था में ससुर (father in law rights) की देखरेख करने को स्वीकार किया था। इसके बाद साल 2018 में एक दुर्घटना के दौरान उनकी बेटी की मृत्यु हो गई। बेटी की मृत्यु हो जाने के बाद दामाद ने दूसरी शादी कर ली। दूसरी शादी के बाद दामाद ने वृद्ध ससुर को खाना और खर्चा देना भी बंद कर दिया। 

सेवानिवृत्त कर्मचारी थे ससुर-


मामले के दौरान सुनवाई के बाद युगलपीठ ने आदेश देते हुए बताया कि दामाद (damad ke property me adhikar) के विरुद्ध इस अधिनियम के अंतर्गत निष्कासन का प्रकरण चलाया जा सकता है। संपत्ति के हस्तांतरण अधिनियम के अंतर्गत संपत्ति का स्थानांतरण किसी भी रुप से नहीं किया जा सकता है। पीड़ित वृद्ध ससुर (sasur ke adhikar) बीएचईएल का सेवानिवृत्त कर्मचारी है और भविष्य निधि से अंशकालीन पेंशन भी दी जा रही थी। उन्हें अपनी बीमार पत्नी व बच्चों के देखरेख के लिए मकान की जरूरत है कोर्ट ने इस बात की सवकृति दी। इस तरीके से युगलपीठ ने दामाद (Son in law rights) की अपील को खारिज कर दिया। इसके बाद हाई कोर्ट ने मकान को खाली करने के लिए दामाद को 30 दिन का समय दिया।

एक और मामले में दिया ये फैसला-


मध्यप्रदेश हाई कोर्ट की इंदौर खंडपीठ में जमीन (court decision on property) बंटवारे को लेकी एक मामले में सुनवाई के दौरान दोनों ही पक्षों पर जुर्माने को लयाया था। इसके साथ ही अवमानना का नोटिस भी जारी किया। मामले के मुताबिक इंदौर जिले के नैनोद गांव में एक परिवार में जमीन बंटवारे (Land division) को लेकर विवाद काफी जोरो शोरो से चल रहा था। जमीन का बंटवारा तहसील कोर्ट से ने कर दिया है। लेकिन इसके बाद ये मामला संभागायुक्त के पास पहुंचा। संभागायुक्त (divisional commissioner) ने तहसील और अपर कलेक्टर द्वारा जारी किए गए आदेश को निरस्त कर दिया और दोनों पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट ने याचिका रद्द करते हुए दोनों पक्षों पर जुर्माना ठोका।