property rights : बेटी, बहू और मां का प्रोपर्टी में कितना अधिकार, जानिये कानूनी प्रावधान
HR Breaking News : (Rights of women in Property) बढ़ रहे प्रॉपर्टी विवादों का सबसे बड़ा कारण है इससे जुड़े नियम और कानून की जानकारी का अभाव होना। देशभर में 90% लोग ऐसे हैं जिन्हें प्रॉपर्टी में अपने हक को लेकर कानून और नियमों की पूरी जानकारी नहीं है।
आज इस कड़ी के माध्यम से हम आपको रूबरू करवाने जा रहे हैं उस कानूनी प्रावधान के बारे में जिसके तहत आप जान सकते हैं की मां बेटी और बहू का प्रॉपर्टी में कितना अधिकार होता है।
उत्तराधिकार के कानून (laws of succession) भी काफी स्पष्ट हैं। 2005 में हिंदू उत्तराधिकार कानून में संशोधन हुआ था। जिसमें पहली बार बेटियों को भी पैतृक संपत्ति में अधिकार (rights in ancestral property) दिया गया था, लेकिन ये अधिकार उन्हीं को मिलता था, जिनके पिता की मृत्यु 9 सितंबर 2005 के बाद हुई हो।
सुप्रीम कोर्ट ने इसमें तारीख और वर्ष वाली शर्त खत्म कर दी थी। आज हम आपको बताने जा रहे है कि महिलाओं के बेटी, बहन और मां के रूप संपत्ति में क्या अधिकार हैं।
प्रापर्टी पर बेटी का हक
संपत्ति के बंटवारे (Property News) को लेकर भारत में कानून बनाए गए हैं। इसके अनुसार, पिता की संपत्ति में केवल बेटे का ही नहीं बल्कि बेटी का भी बराबर का हक होता है। पिता की प्रॉपर्टी पर शादीशुदा महिला क्लेम कर सकती है।
हिंदू सक्सेशन ऐक्ट, 1956 में साल 2005 के संशोधन के बाद बेटी को हमवारिस यानी समान उत्तराधिकारी माना गया है। हिंदू सक्सेशन ऐक्ट, 1956 में साल 2005 में संशोधन कर बेटियों को पैतृक संपत्ति में समान हिस्सा पाने का कानूनी अधिकार दिया गया है।
प्रापर्टी पर बहन का अधिकार
पैतृक संपत्ति में बहन का भी उतना ही अधिकार (sister's right in ancestral property) है, जितना भाई का। साल 2005 में हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम में संशोधन करके यह अधिकार दिया गया था।
साथ ही इसके बाद सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने साल 2020 में एक फैसले जिसने इस संबंध में किसी भी प्रकार की आशंका एवं संशय को समाप्त कर दिया और पैतृक संपत्ति के मामले में भाई-बहन को बराबरी का फैसला दिया।
संपत्ति पर मां का अधिकार
बेटे की संपत्ति पर अधिकार को लेकर हिन्दू उत्तराधिकार अधिनियम, 1956 में व्यवस्था है। इसमें लड़के के विवाहित और अविवाहित रहते मृत्यु होने पर अलग-अलग तरीके से संपत्ति का बंटवारा (Mother's right on property) होता है।
एक मां को अपने मृत बेटे की संपत्ति में उतना ही हिस्सा मिलता है, जितना उसकी पत्नी और बच्चों को मिलता है। इसके साथ ही अगर पति की संपत्ति को बांटा जाता है तो उसकी बीवी को भी अपने बच्चों के समान ही उस संपत्ति में अधिकार मिलता है।
हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम (Hindu Succession Act) की धारा 8 के अनुसार, बच्चे की संपत्ति पर माता-पिता के अधिकार को परिभाषित करती है।
सास-ससुर की संपत्ति पर बहू का अधिकार
सास-ससुर की संपत्ति पर भी सामान्य परिस्थितियों में महिला का कोई हक नहीं होता है। ना ही उनके जीवित रहते और ना ही उनके देहांत के बाद महिला उनकी संपत्ति (Property News) पर कोई क्लेम कर सकती है।
सास-ससुर की मृत्यु के बाद उनकी संपत्ति में हक (Property Knowledge) महिला का ना होकर पति को मिलता है, लेकिन पहले पति और उसके बाद सास-ससुर के देहांत की परिस्थिति में संपत्ति पर महिला को हक (property rights ) मिल जाता है।
