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supreme court decision : बिना पूछे परिवार की सारी प्रोपर्टी बेच सकता है ये शख्स, सुप्रीम कोर्ट ने दिया अधिकार

supreme court decision : प्रॉपर्टी बेचने व खरीदने को लेकर देश भर में कई तरह के नियम और कानून बनाए गए हैं जिनकी बेहद कम लोगों को जानकारी है। आज की इस खबर में हम आपको बताने जा रहे हैं उसे शख्स के बारे में जो बिना किसी से पूछे परिवार की सारी प्रॉपर्टी को भेज सकता है। परिवार के इस व्यक्ति को सुप्रीम कोर्ट द्वारा स्पेशल अधिकार दिए गए हैं।
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supreme court decision : बिना पूछे परिवार की सारी प्रोपर्टी बेच सकता है ये शख्स, सुप्रीम कोर्ट ने दिया अधिकार

HR Breaking News : (supreme court) प्रॉपर्टी की बढ़ रही कीमतों को देख इससे जुड़े नियम भी नए-नए बनते जा रहे हैं। प्रॉपर्टी को लेकर देश भर में कई तरह के नियम बनाए गए हैं जिनकी जानकारी हमें होना बेहद जरूरी है। हाल ही में प्रॉपर्टी से जुड़े एक अधिकार पर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। चलिए खबर में आपको बताते हैं सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बारे में विस्तार से।


सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में गैर-विभाजित हिंदू परिवार या जॉइंट फैमिली की प्रॉपर्टी (Joint family property) को लेकर एक बड़ा फैसला सुनाया है। शीर्ष कोर्ट ने कहा है कि अगर उस परिवार का ‘कर्ता’ चाहे तो वह जॉइंट प्रॉपर्टी को बेच या गिरवी रख सकता है। 
 


इसके लिए उसे परिवार के किसी भी सदस्य से अनुमति (property news) लेने की भी आवश्यकता नहीं है। कोर्ट ने कहा है कि अगर हिस्सेदार कोई नाबालिग है तब भी कर्ता बिना परमिशन लिए प्रॉपर्टी के संबंध में फैसला (supreme court) ले सकता है।


दुसरें लोगो की तरह आपके मन में जरूर सवाल आ रहा होगा कि ये कर्ता कौन होता है, जिसे कोर्ट ने हिंदू अन-डिवाइडेड फैमिली के मामले में इतने तरहे के अधिकार दे दिए है। जानकारी के लिए आपको बता दे कि गैर-विभाजित हिंदू परिवार (non-divided hindu family) में यह अधिकार जन्म से प्राप्त होता है। 


परिवार का सबसे वरिष्ठ पुरुष कर्ता (senior male doer) होता है। अगर सबसे वरिष्ठ पुरुष की मौत हो जाती है तो उसके बाद जो सबसे सीनियर होता है, वह अपने आप कर्ता बन जाता है। हालांकि, कुछ मामलों में इसे विल (वसीयत) द्वारा घोषित किया जाता है।

मौजूदा कर्ता को मिली है ये खास परमिशन


जैसा कि हमने बताया कि कुछ मामलों में यह जन्म सिद्ध अधिकार (birthright) नहीं रह जाता है। ऐसा तब होता है जब मौजूदा कर्ता अपने बाद किसी और को खुद से ही कर्ता के लिए नॉमिनेट कर देता है। 


ऐसा वह अपनी विल में कर सकता है। इसके अलावा अगर परिवार चाहे तो वह सर्वसम्मति किसी एक को कर्ता घोषित कर सकता है। कई बार कोर्ट भी किसी हिंदू कानून (hindu law) के आधार पर कर्ता नियुक्त करता है। हालांकि, ऐसे मामले में बहुत कम होते हैं।

क्या था मामला


कोर्ट (supreme court decision) के सामने जो मामला आया था उस पर 31 जुलाई 2023 को मद्रास हाईकोर्ट (Madras High Court) पहले ही फैसला दे चुका था। यह मामला 1996 का था। याचिकाकर्ता का दावा था कि उनके पिता द्वारा एक प्रॉपर्टी को गिरवी रखा गया था जो कि जॉइंट फैमिली की प्रॉपर्टी (Joint family property) थी। हालांकि, याचिकाकर्ता ने यह भी बताया कि उनके पिता परिवार के कर्ता थे। 


इस पर मद्रास हाईकोर्ट (Madras High Court) ने भी यह फैसला दिया था कि कर्ता प्रॉपर्टी को लेकर फैसले ले सकता है और इसके लिए किसी से पूछने की जरूरत नहीं। सुप्रीम कोर्ट ने भी इस मामले में मद्रास हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ जाने से मना कर दिया।

कब हो सकता है?


कोर्ट (court decision) ने कहा कि ऐसे कर्ता द्वारा किसी प्रॉपर्टी (property news) गिरवी रखे जाने के मामले में कोपर्सिनर (समान उत्तराधिकारी/हमवारिस) तभी दावा कर सकता है जब कुछ गैर-कानूनी हुआ हो। कोर्ट ने कहा कि मौजूदा मामले में ऐसा कुछ नहीं दिखाई देता। बता दें कि परिवार के 2 हिस्से होते हैं। 


पहला सदस्य, इसमें परिवार का हर व्यक्ति शामिल होता है। बाप, बेटा, बहन, मां आदि। वहीं, कोपर्सिनर में केवल पुरुष सदस्यों को ही गिना जाता है। इसमें जैसा परदादा, दादा, पिता व पुत्र।
 

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